आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी गुरुवार (17 अप्रैल) को ओडिशा में बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने के लिए 4,000 करोड़ रुपये की लागत वाली विकास परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन करने भुवनेश्वर पहुंचे. ओडिशा BJP अध्यक्ष मनमोहन सामल के अनुसार, 4,000 करोड़ रुपये की लागत वाली 25 परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन किया जाएगा.
धर्मेंद्र प्रधान के साथ की बैठक
इसके अलावा 4,000 करोड़ रुपये की लागत वाली नई परियोजनाओं की घोषणा भी की जाएगी. बुधवार को गडकरी ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के साथ बैठक की अध्यक्षता की. बैठक में स्कूली शिक्षा प्रणाली में सड़क सुरक्षा को एकीकृत करने पर ध्यान केंद्रित किया गया. साथ ही एक्स पर एक पोस्ट में केंद्रीय मंत्री ने सड़क दुर्घटनाओं के बारे में आंकड़े साझा किए और लिखा कि केवल 2023 में स्कूल और संस्थागत क्षेत्रों के पास 11,000 से अधिक लोगों की जान चली गई, जिनमें 18 साल से कम उम्र के 10,000 से अधिक बच्चे शामिल हैं. यह चिंताजनक आंकड़ा तत्काल कार्रवाई की मांग करता है.
उन्होंने आगे कहा कि शिक्षा मंत्रालय के सक्रिय सहयोग से हम सड़क सुरक्षा अभियान को पूरे भारत के स्कूलों में विस्तारित करने के लिए तैयार हैं, जिसका उद्देश्य हमारी भावी पीढ़ियों को सड़क सुरक्षा के बारे में जागरूक करना है - जो राष्ट्रीय महत्व की चिंता है. बैठक में सुरक्षित स्कूल क्षेत्र बनाने स्कूल के समय में सख्त सुरक्षा प्रोटोकॉल लागू करने और यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया कि स्कूल बसें और वैन सभी सुरक्षा मानदंडों का पालन करें.
'देश का विकास है जरूरी'
इससे पहले 14 अप्रैल को मुंबई में एक कार्यक्रम में भाग लेने के दौरान गडकरी ने कहा कि भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर के बुनियादी ढांचे का निर्माण करके ही 'विश्वगुरु' बन सकता है. अमर हिंद मंडल द्वारा आयोजित 78वें वसंत व्याख्यान माला में गडकरी ने कहा कि अगर हम अपने देश का विकास करना चाहते हैं, अगर हम अपने देश को विश्वगुरु बनाना चाहते हैं. अगर हम अपने देश को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाना चाहते हैं. अगर हम अपने देश को पांच अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाना चाहते हैं, जिसे हमारे प्रधानमंत्री पूरा करना चाहते हैं, तो पहली आवश्यकता देश में अंतरराष्ट्रीय स्तर के बुनियादी ढांचे का निर्माण करना है. उन्होंने कहा कि यदि भारत को विश्वगुरु बनाना है तो हमें आयात कम करना होगा और निर्यात बढ़ाना होगा तथा लॉजिस्टिक्स लागत को एकल अंक पर लाने का प्रयास करना होगा.