ईरान जाने वाले भारतीय पर्यटकों की संख्या में 39 प्रतिशत का इजाफा, दोनों मुल्कों में पर्यटन समझौता का मसौदा तैयार

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 14-09-2024
Aliasgar Shalbafian
Aliasgar Shalbafian

 

नई दिल्ली. ईरान के सांस्कृतिक विरासत, पर्यटन और हस्तशिल्प मंत्रालय में पर्यटन उप-प्रमुख, अलियासगर शालबाफियान ने शुक्रवार को दोनों सभ्यताओं के बीच समानताओं को रेखांकित करते हुए कहा कि इस क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए भारत और ईरान के पर्यटन अधिकारियों के बीच एक समझौता ज्ञापन पाइपलाइन में है.

ईरान पर्यटन रोड शो के दौरान पीटीआई को दिए साक्षात्कार में शालबाफियान ने यह भी कहा कि उन्होंने अपने ईरानी प्रतिनिधिमंडल के साथ नई दिल्ली में भारतीय पर्यटन मंत्रालय के अधिकारियों के साथ ‘बहुत उपयोगी’ बैठक की.

शालबाफियान ने कहा, ‘‘ईरान और भारत के हजारों साल के इतिहास में बहुत समानताएं हैं. हम पर्यटन के माध्यम से इन संबंधों को पुनर्जीवित करने जा रहे हैं और किसी तरह आपसी पर्यटन सहयोग को सुविधाजनक बनाएंगे.’’

इस संबंध में, ईरान ने पिछले साल ईरान आने वाले भारतीय पर्यटकों के लिए ‘एकतरफा वीजा माफ’ कर दिया था. सांस्कृतिक विरासत, पर्यटन और हस्तशिल्प मंत्रालय में पर्यटन उप-प्रमुख ने कहा कि वर्ष के पहले चार महीनों में ईरान आने वाले भारतीय पर्यटकों की संख्या में 39 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो पिछले साल ईरान आने वाले 58,000 से अधिक भारतीय पर्यटकों से अधिक है.

उन्होंने पीटीआई को बताया, ‘‘बेशक, भारत के पास ईरानी पर्यटकों को देने के लिए बहुत कुछ है. पिछले साल, 13 मिलियन (1.3 करोड़) से अधिक ईरानी लोग विविध पर्यटन उद्देश्यों के लिए बाहर गए थे. भारत इन अच्छे बाजारों का आनंद ले सकता है. इस रोड शो में हम ईरान की विविध पर्यटन संभावनाओं को पेश करने की योजना बना रहे हैं और साथ ही, भारत के पर्यटन मंत्रालय की मदद से ईरानी पर्यटन व्यवसायों को जोड़ना चाहते हैं.’’

शालबाफियान ने कहा कि ये रोड शो मुंबई, हैदराबाद और अब नई दिल्ली में किए जा चुके हैं और इसे अन्य शहरों में विस्तारित करने की योजना है. इस बीच, ईरान अपने देश के विभिन्न शहरों में रोड शो का स्वागत करता है, क्योंकि नवंबर के अंत में ईरानी शहर यज्द में पर्यटन मंत्रियों की एक प्रमुख बैठक आयोजित की जाएगी.

उन्होंने कहा, ‘‘ईरान ने 40 से अधिक देशों के लिए वीजा माफ कर दिया है और दुनिया की आधी से अधिक आबादी बिना किसी वीजा की आवश्यकता के ईरान की यात्रा कर सकती है. कई लोग हवाई अड्डे पर पहुंचने पर आसानी से वीजा प्राप्त कर सकते हैं.’’

भारतीय पर्यटन मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बैठक के बारे में पूछे जाने पर, शालबाफियान ने कहा कि दोनों पक्ष द्विपक्षीय पर्यटन संबंधों को बढ़ावा देने के लिए ‘सहमत’ हैं, क्योंकि उन्होंने रेखांकित किया कि पर्यटकों के आगमन की संख्या ‘संभावना के बराबर नहीं है’.

उन्होंने कहा, ‘‘दोनों पक्ष ईरानियों की भारत यात्रा और भारतीयों की ईरान यात्रा की आवश्यकता को और सुविधाजनक बनाने के लिए सहमत हुए. निकट भविष्य में हम दोनों देशों के बीच पर्यटन के संबंध में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर कर सकते हैं, और हम जिस समझौता ज्ञापन पर सहमत होंगे, उसकी आवश्यकता के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध होंगे.’’

ईरानी मंत्रालय में पर्यटन उप मंत्री ने कहा कि समझौता ज्ञापन में भारत और ईरान के पर्यटन को बढ़ावा देना, दोनों देशों के अनुभवों को साझा करना, भारत और ईरान की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत पर विशेष ध्यान देते हुए उत्पाद विकास और दोनों देशों के बीच समानताएं शामिल होंगी. उन्होंने कहा कि ‘समझौता ज्ञापन का मसौदा पहले ही तैयार कर लिया गया है’ और छह महीने के भीतर इस पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है. चर्चा के दौरान दोनों पक्षों ने दोनों देशों की राजधानियों के अलावा दोनों देशों के विभिन्न शहरों के बीच सीधी उड़ानें शुरू करने पर भी सहमति जताई.

वर्तमान में, तेहरान से दिल्ली के लिए दो सीधी साप्ताहिक उड़ानें और तेहरान से मुंबई के लिए एक उड़ान संचालित होती है. शालबाफियन ने कहा कि दोनों देशों के बीच सभी उड़ानें ईरानी वाहकों - महान एयर और ईरान एयर द्वारा संचालित की जाती हैं. ईरानी मंत्रालय में पर्यटन उप-प्रमुख ने कहा, ‘‘अन्य ईरानी शहरों और भारतीय शहरों से भी बहुत मांग है और साथ ही, सीधी उड़ानों की संख्या में वृद्धि पर्यटन को बढ़ावा देने की आवश्यकता के रूप में काम करेगी.’’ उन्होंने कहा कि शिराज, इस्फहान और तेहरान के लिए सीधी उड़ानों की मांग है.

 

ये भी पढ़ें :   वक्फ संशोधन बिल से गरीब मुसलमानों को मिलेगा फायदा: सैयद शहजादी
ये भी पढ़ें :   हिन्दी दिवस पर विशेष: हिन्दी पत्रकारिता और आज का समाज
ये भी पढ़ें :   हिंदी के जानेमाने लेखक, कथाकार असग़र वजाहत
ये भी पढ़ें :   हिंदी दिवसः हिंदी साहित्य के चार स्तंभ
ये भी पढ़ें :   हिन्दी साहित्य में बिहार के मुस्लिम साहित्यकारों का योगदान