नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने विधि एवं न्याय मंत्रालय के माध्यम से शुक्रवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति शमीम अहमद को मद्रास उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करने की अधिसूचना जारी की.
अधिसूचना में कहा गया है, ‘‘भारत के संविधान के अनुच्छेद 222 के खंड (1) द्वारा प्रदत्त शक्ति का प्रयोग करते हुए, राष्ट्रपति भारत के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श के बाद इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति शमीम अहमद को मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में स्थानांतरित करते हैं तथा उन्हें मद्रास उच्च न्यायालय में अपने पद का कार्यभार संभालने का निर्देश देते हैं.’’
हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति शमीम अहमद के मद्रास उच्च न्यायालय में स्थानांतरण पर पुनर्विचार करने के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया है. कॉलेजियम ने अपने निर्णय को दोहराते हुए कहा कि स्थानांतरण न्याय के बेहतर प्रशासन के लिए किया गया था.
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 21 अगस्त को जस्टिस शमीम अहमद को इलाहाबाद हाई कोर्ट से मद्रास हाई कोर्ट में स्थानांतरित करने का प्रस्ताव रखा, ताकि ‘न्याय के बेहतर प्रशासन के लिए’ यह निर्णय कॉलेजियम की प्रक्रियाओं के अनुसार इलाहाबाद हाई कोर्ट के मामलों से परिचित सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश, साथ ही इलाहाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और मद्रास हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के साथ परामर्श के बाद लिया गया.
जस्टिस अहमद के पुनर्विचार के अनुरोध के बावजूद, कॉलेजियम को अपना निर्णय बदलने के लिए पर्याप्त आधार नहीं मिले और उसने 21 अगस्त से अपनी सिफारिश दोहराई है. जस्टिस अहमद को पहली बार 12 दिसंबर, 2019 को इलाहाबाद हाई कोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था और 26 मार्च, 2021 को उन्हें स्थायी न्यायाधीश बनाया गया था. अपनी पदोन्नति से पहले, उन्होंने 1993 से सिविल, संवैधानिक, सेवा, श्रम, कंपनी और आपराधिक कानूनों सहित विभिन्न क्षेत्रों में विशेषज्ञता के साथ कानून का अभ्यास किया.
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