India में कोई भी Religion खतरे में नहींः Ajit Doval

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 14-07-2023
भारत में कोई भी धर्म खतरे में नहींः अजीत डोभाल
भारत में कोई भी धर्म खतरे में नहींः अजीत डोभाल

 

मलिक असगर हाशमी / नई दिल्ली

भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल ने कहा कि भारत में कोई भी धर्म खतरे में नहीं. आतंक के खिलाफ युद्ध में, गंभीर उकसावों के बावजूद भारत ने कानून के शासन, अपने नागरिकों के अधिकारों और मानवीय मूल्यों की सुरक्षा को दृढ़ता से बरकरार रखा है. उन्होंने कहा कि भारत असहमति को आत्मसात करने की असीमित क्षमता के साथ विधर्मी विचारों की शरणस्थली के रूप में अपनी भूमिका लगातार निभा रहा है.

अजीत डोभाल नई दिल्ली स्थित इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर के बीएस अब्दुर रहमान ऑडिटोरियम में आयोजित पीस कॉन्फ्रेंस में बोल रहे थे. इसका आयोजन कल्चरल सेंटर और खुसरो फाउंडेशन ने संयुक्त रूप से किया था. इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में मुस्लिम वर्ल्ड लीड के महासचिव महासचिव डॉ. मोहम्मद बिन अब्दुल करीम अल-इस्सा ने भी अपने विचार रखे.

 


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पीस कान्फ्रेंस में  अल-इस्सा के विचार पर प्रतिक्रिया देते हुए एनएसए अजीत डोभाल ने कहा कि उनका संदेश युवा दिमाग के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि हमें भारत और सऊदी अरब के बीच मौजूद उत्कृष्ट संबंधों पर गर्व है.

डोभाल ने भारतीय संस्कृति की याद दिलाते हुए कहा कि एक गौरवशाली सभ्यतागत राष्ट्र के रूप में भारत समय की चुनौतियों से निपटने के लिए सहिष्णुता, संवाद और सहयोग को बढ़ावा देने में विश्वास करता है.

एनएसए डोभाल ने विश्व शांति के लिए मुस्लिम वर्ल्ड लीग और इसके महासचिव डॉ. मोहम्मद बिन अब्दुल करीम अल इस्सा के कार्यों पर प्रकाश डाला और कहा कि ये अंतर-धार्मिक सद्भाव को प्रेरक ढंग से आगे बढ़ा रहे हैं.

डोभाल ने भारत और इस्लाम के गहरे रिश्ते को उजागर करते हुए कहा कि  पैगम्बर मुहम्मद साहब की महान पत्नी हजरत खदीजा को भारत के रेशमी और कश्मीरी शॉल पसंद थे.

 

 

अजीत डोभाल ने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र और लोकतंत्र की जननी है. यह अविश्वसनीय विविधता की भूमि है. उन्होंने कहा कि भारत संस्कृतियों, धर्मों और भाषाओं का एक मिश्रण है, जो सौहार्दपूर्वक सह-अस्तित्व में है.

उन्होंने कहा कि एक समावेशी लोकतंत्र के रूप में भारत अपने सभी नागरिकों को उनकी धार्मिक, जातीय या सांस्कृतिक पृष्ठभूमि की परवाह किए बिना स्थान प्रदान करने में सफलतापूर्वक कामयाब रहा है.

उन्होंने कहा कि भारतीय मुस्लिम आबादी इस्लामिक सहयोग संगठन के 33 सदस्य देशों की संयुक्त आबादी के लगभग बराबर है.

उन्होंने कहा कि इस्लाम ने एक अनूठी समन्वयवादी परम्परा विकसित की है. उन्होंने हिंदू धर्म, इस्लाम, सऊदी अरब और भारत (Hindu, Islam, Saudi Arabia and India realations) के रिश्तों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत की गहरी आध्यात्मिक सामग्री लोगों को एकसाथ एक मंच पर लाई और एक-दूसरे के बारे में सामाजिक और बौद्धिक समझ विकसित करने में मदद की.

उन्होंने कहा कि भारत में इस्लाम ने शांति और सद्भाव की एक विशिष्ट और जीवंत अभिव्यक्ति को जन्म दिया है.

 


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पवित्र कुरान का हवाला देते हुए अजीत डोभाल ने का कि यह विविध पृष्ठभूमि के लोगों के बीच एकता और समझ के महत्व पर जोर देता है. कुरान का संदेश आपसी परिचय और पहचान को सुगम बनाने के लिए है.

उन्होंने इतिहासकारों के हवाले से कहा कि भारत में एकता की शक्तिशाली सामाजिक अंतर धाराओं की सराहना करने की आवश्यकता है.

डॉ. अल-इस्सा को सभ्यतागत मेल-मिलाप के प्रवर्तक के रूप में पेश करते हुए उन्होंने कहा कि इस्लाम में सहयोग और संवाद का यह दर्शन सदियों से ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ यानी विश्व एक परिवार है, की प्राचीन हिंदू सभ्यता की परंपरा के साथ सहज रूप से आत्मसात हो गया है.

उन्होंने कहा कि भारत की आवास की स्थायी परंपरा इस बात का प्रमाण है कि भारत एक बहु-जातीय, बहु-धार्मिक और बहुभाषी समाज है.

एनएसए डोभाल ने एकता का संदेश देने के लिए स्वामी विवेकानंद के प्रसिद्ध भाषण का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि भारत उस समय सूफी पुनर्जागरण का पोषण कर रहा था, जब बगदाद के पतन के बाद इस्लाम खतरे में था.

अजीत डोभाल ने कहा कि असहमति का मतलब विघटन नहीं है. भारत सांस्कृतिक संलयन का एक उत्पाद है. आधुनिक भारत की इमारत समान अधिकारों, समान अवसरों और समान जिम्मेदारियों के सिद्धांतों पर बनी है.

 


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उन्होंने कहा कि यह कोई संयोग नहीं है कि लगभग 200 मिलियन मुसलमानों के बावजूद, वैश्विक आतंकवाद में भारतीय नागरिकों की भागीदारी अविश्वसनीय रूप से कम रही है. उग्रवाद और वैश्विक आतंकवाद की चुनौती हमें अपनी सतर्कता कम न करने के लिए मजबूर करती है.

उन्होंने कहा कि हमारी सीमाओं के भीतर सुरक्षा और स्थिरता को बनाए रखने और परे सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने के लिए, भारत लड़ाई का नेतृत्व कर रहा है. ऐसे व्यक्तियों और संगठनों के खिलाफ लड़ाई, जो उग्रवाद, नशीले पदार्थों और आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे हैं.

एनएसए डोभाल ने आतंकवाद निरोध की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए 1979 में मक्का में ग्रैंड मस्जिद पर हुए हमले को याद किया. उन्होंने कहा कि भारत भी कई दशकों से आतंकवाद का शिकार है. डोभाल ने कहा कि आतंक के खिलाफ युद्ध में, गंभीर उकसावों के बावजूद भी, भारत ने कानून के शासन, अपने नागरिकों के अधिकारों और मानवीय मूल्यों और अधिकारों की सुरक्षा को दृढ़ता से बरकरार रखा है.

अजीत डोभाल ने कहा कि भारत बेहद जिम्मेदार शक्ति है. जब आतंकवादियों के पनाहगाहों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जरूरत महसूस हुई, हम अपने राष्ट्रीय हित में आतंकवाद को नष्ट करने के लिए हर संभव प्रयास में जुट गए. आतंकवाद किसी धर्म से जुड़ा नहीं है. आध्यात्मिक नेताओं को चरमपंथियों का मुकाबला करने की जरूरत है.

उन्होंने कहा कि हम भारत में संघर्ष से बचने और उसके शमन के लिए अनुसरण, संवाद और शांति के सिद्धांतों में विश्वास करते हैं.

उन्होंने कहा कि केवल राष्ट्रों, नागरिक समाजों, धर्मों और दुनिया के लोगों के बीच आपसी विश्वास और सहयोग से ही सभी नागरिकों के लिए सुरक्षा, स्थिरता, सतत विकास और सम्मानजनक जीवन सुनिश्चित किया जा सकता है. जैसा कि हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं, ‘यह अब युद्ध का युग नहीं है.’