नई दिल्ली. वक्फ संशोधन बिल गुरुवार को लोकसभा में पेश हो गया. इस बिल को लेकर दरगाह हजरत निज़ामुद्दीन औलिया के सज्जादानशीन सैयद फरीद अहमद निजामी ने प्रतिक्रिया दी है. सैयद फरीद अहमद निजामी ने कहा, “वक्फ एक्ट 1995 में बहुत सारी खामियां थी, जिसे लेकर लंबे वक्त से सरकार से हमारी यही डिमांड थी कि इसमें संशोधन किया जाए. खास तौर पर जो सूफी दरगाह हैं, उसके प्रोटेक्शन के लिए इस एक्ट में कोई प्रावधान नहीं है. हमारी एक डिमांड थी कि दरगाह बोर्ड बना दिया जाए या फिर एक इससे अलग एक एक्ट बना दिया जाए.”
उन्होंने कहा, “केंद्र सरकार जो संशोधन ला रही है, मैंने उसे पढ़ा है. लेकिन, इसमें भी दरगाह बोर्ड का कोई जिक्र नहीं है. हम कोशिश कर रहे हैं कि इस संबंध में अल्पसंख्यक मंत्री के साथ मीटिंग की जाए, ताकि प्रधानमंत्री मोदी से मिलकर इन मुद्दों पर चर्चा कर सकें, क्योंकि सरकार ने हमें इस बारे में आश्वासन भी दिया था.”
उन्होंने विपक्ष के विरोध पर कहा, “मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि वह इसका विरोध क्यों कर रहे हैं. इस संबंध में विपक्ष ही अच्छी तरह से बता पाएगा. लेकिन, मौजूदा बिल में कुछ खामियां हैं. सारे संशोधन सही नहीं है, जिस पर सरकार को दोबारा विचार करने की आवश्यकता है. इस बिल में पारदर्शिता लाने की जरूरत है. देश के जितने भी वक्फ बोर्ड हैं, वह इस समय कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं. इसमें दरगाहों और कब्रिस्तान समेत जमीन के मुकदमें शामिल हैं.”
शरीयत में हस्तक्षेप के सवाल पर सैयद फरीद अहमद निजामी ने कहा, “वक्फ का मतलब है कि अल्लाह के नाम पर अपनी संपत्ति दान कर देना. इन संपत्तियों से गरीब बच्चों की शादियां करना, अनाथ बच्चों का ख्याल रखना और गरीबों काे खाना खिलाना ये सब इसमें आता है. अगर कोई भी शख्स अपनी संपत्ति को दान कर देता है, तो वह इसे वापस नहीं ले सकता है. वक्फ कानून शरीयत के हिसाब से चलता है. अगर विपक्ष ऐसी बात बोल रहा है, तो यह गलत है. हालांकि, हम खामियों के बारे में सरकार को जरूरत अवगत कराएंगे.”
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