नई दिल्ली. भारत ने खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के संबंध में कनाडाई मीडिया में आई खबरों को 'बदनाम करने वाला अभियान' करार दिया है. विदेश मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि ऐसे अभियान से दोनों देशों के रिश्तों में और तल्खी आएगी और इस तरह के 'हास्यास्पद' आरोपों को सिरे से खारिज कर देना चाहिए.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बुधवार को कहा कि हम आम तौर पर मीडिया रिपोर्ट्स पर टिप्पणी नहीं करते हैं. हालांकि, एक कनाडाई सरकारी स्रोत द्वारा कथित तौर पर एक अखबार को दिए गए ऐसे हास्यास्पद बयानों को उसी अवमानना के साथ खारिज किया जाना चाहिए जिसके वह हकदार हैं. इस तरह के बदनाम करने वाले अभियान हमारे पहले से ही तनावपूर्ण संबंधों को और नुकसान पहुंचाते हैं.
यह बयान कनाडा स्थित ग्लोब एंड मेल की एक रिपोर्ट के बाद आया है, जिसमें एनआईए द्वारा घोषित आतंकवादी हरदीप निज्जर की मौत और भारत सरकार के बीच संबंध स्थापित करने का प्रयास किया गया था.
गौरतलब है कि, कनाडा के साथ भारत के संबंधों में पिछले कुछ महीनों में काफी तल्ख हुए हैं. भारत ने बार-बार कनाडा में उग्रवाद और हिंसा की संस्कृति और भारत विरोधी गतिविधियों के बारे में अपनी गहरी चिंता व्यक्त की है और कनाडाई अधिकारियों से इन गतिविधियों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा है.
कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने दावा किया था कि पिछले साल कनाडा में हुई खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत का हाथ था.
भारत लगातार कनाडा के आरोपों का खंडन करता आ रहा है. भारत ने ट्रूडो के आरोपों को बेतुका और राजनीति से प्रेरित बताया था. इसके अलावा, भारत ने कनाडा पर अपने देश में चरमपंथी और भारत विरोधी तत्वों को जगह देने का आरोप भी लगाया था.
हालिया मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और विदेश मंत्री एस जयशंकर भी निज्जर की हत्या की साजिश के बारे में जानते थे.
इस महीने की शुरुआत में, भारत ने कनाडा से छह राजनयिकों को वापस बुला लिया था, क्योंकि खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या की जांच में कनाडा सरकार ने उन्हें "पर्सन ऑफ इंटरेस्ट" घोषित किया था.
बता दें कि निज्जर की पिछले साल 18 जून को ब्रिटिश कोलंबिया के सरे स्थित गुरुद्वारे के बाहर हत्या कर दी गई थी.
पिछले महीने कनाडा द्वारा भारतीय उच्चायुक्त संजय वर्मा और कुछ अन्य राजनयिकों की संलिप्तता की बात के बाद दोनों देशों के संबंध तनावपूर्ण हो गए थे.
भारत ने मामले के संबंध में ओटावा द्वारा लगाए गए सभी आरोपों को दृढ़ता से खारिज कर दिया था और बाद में उच्चायुक्त को वापस बुला लिया था. कनाडा सरकार ने कहा था कि भारतीय राजनयिकों को देश से निकाल दिया गया था.
कनाडा के आरोपों के बाद नई दिल्ली ने कनाडा के प्रभारी राजदूत स्टीवर्ट व्हीलर और पांच अन्य राजनयिकों को निष्कासित कर दिया था.