आवाज द वाॅयस /नई दिल्ली
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने स्वीकार किया कि देश ने भारत के साथ 1999 के लाहौर घोषणापत्र समझौते का उल्लंघन किया था, जिस पर उनके और तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने हस्ताक्षर किए थे.जनरल परवेज मुशर्रफ द्वारा कारगिल में किए गए दुस्साहस का परोक्ष रूप से जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, यह हमारी गलती थी.
पीटीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार,शरीफ ने अपनी पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एन) की एक बैठक में कहा, 28 मई, 1998 को पाकिस्तान ने पांच परमाणु परीक्षण किए. उसके बाद, वाजपेयी साहब यहां आए और हमारे साथ एक समझौता किया. लेकिन हमने उस समझौते का उल्लंघन किया...यह हमारी गलती थी.
लाहौर घोषणापत्र, 21 फरवरी, 1999 को दोनों युद्धरत पड़ोसियों के बीच हस्ताक्षरित एक शांति समझौता था. इसके तहत शांति और सुरक्षा बनाए रखने और लोगों से लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने पर जोर दिया गया था. हालांकि, कुछ महीने बाद, जम्मू और कश्मीर के कारगिल जिले में पाकिस्तानी घुसपैठ के कारण कारगिल युद्ध हुआ.
मार्च 1999 में मुशर्रफ पाकिस्तानी सेना के चार सितारा जनरल थे. उन्होंने लद्दाख के कारगिल जिले में सेना की गुप्त घुसपैठ का आदेश दिया. नई दिल्ली द्वारा घुसपैठ का पता लगाने के बाद युद्ध छिड़ गया और भारत ने शरीफ के प्रधानमंत्री रहते हुए युद्ध जीत लिया.
सरकारी स्वामित्व वाले पाकिस्तान टेलीविजन कॉरपोरेशन द्वारा प्रसारित नवाज शरीफ के भाषण का एक हिस्सा सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.जिसमें कहा गया कि पाकिस्तान ने अपने पहले परमाणु परीक्षण की 26वीं वर्षगांठ मनाई. शरीफ ने कहा, राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने पाकिस्तान को परमाणु परीक्षण करने से रोकने के लिए 5 बिलियन अमरीकी डॉलर की पेशकश की थी, लेकिन मैंने मना कर दिया.
उन्हांेने कहा, अगर (पूर्व प्रधानमंत्री) इमरान खान जैसे व्यक्ति मेरी सीट पर होते तो वे क्लिंटन की पेशकश स्वीकार कर लेते.शरीफ ने यह भी कहा कि उनके खिलाफ मामला, जिसके कारण उन्हें 2017 में प्रधानमंत्री पद से हटाया गया था, झूठा था. आरोप लगाया कि यह पाकिस्तान की जासूसी एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को सत्ता में लाने के लिए रचा गया था, जो अब जेल में बंद हैं.
उन्होंने पीएमएल (एन) की आम परिषद की बैठक को संबोधित करते हुए कहा, मैं इमरान से कहता हूं कि वे हमें सेना द्वारा संरक्षण दिए जाने का, दोष न दें और बताएं कि क्या पूर्व आईएसआई प्रमुख, जनरल जहीरुल इस्लाम ने पीटीआई पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ, को सत्ता में लाने की बात की थी.
उन्होंने 2014 में प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के लिए आईएसआई प्रमुख से प्राप्त संदेश का भी उल्लेख किया. कहा, जब मैंने इनकार कर दिया, तो उन्होंने मुझे एक उदाहरण बनाने की धमकी दी.मंगलवार को शरीफ सत्तारूढ़ पीएमएल-एन पार्टी के निर्विरोध अध्यक्ष चुने गए. छह साल पहले तीन बार के पूर्व प्रधानमंत्री को पनामा पेपर्स मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पद छोड़ने के लिए मजबूर किया गया था.
सत्र के दौरान, पार्टी की आम परिषद में कश्मीर, फिलिस्तीन और अन्य प्रासंगिक मामलों से संबंधित प्रस्तावों पर विचार किया गया.पार्टी के पांच सदस्यीय चुनाव आयोग की अध्यक्षता राणा सनाउल्लाह कर रहे थे. इस आयोग में इकबाल झगरा, इशरत अशरफ, जमाल शाह काकर और खेलदास कोहिस्तानी शामिल हैं. उनकी देख-रेख में चुनावी प्रक्रिया पूरी हुई.
एआरवाई न्यूज के अनुसार, नवाज शरीफ के खिलाफ किसी भी उम्मीदवार ने नामांकन पत्र दाखिल नहीं किया था, इसलिए वे निर्विरोध चुने गए.इस मौके पर नवाज शरीफ ने अपने भाषण में तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के संस्थापक अध्यक्ष इमरान खान पर हमला बोला और 2017 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के परिणामस्वरूप उनकी सरकार के अंत के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराया.
उनके भाषण में उनकी पिछली उपलब्धियों का भी जिक्र हुआ और उन्होंने उन लोगों की आलोचना की जिन्हें वे अपने पिछले शासन के अंत के लिए जिम्मेदार मानते थे.इस मौके पर नवाज शरीफ ने शाहबाज शरीफ की तारीफ करते हुए कहा कि उन्हें मुझसे अलग करने की कोशिश की गई. उन्हें प्रधानमंत्री पद का ऑफर दिया गया, लेकिन उन्होंने सभी ऑफर ठुकरा दिए.
नवाज शरीफ ने कहा कि हमारे खिलाफ तमाम झूठे मामले बनाए गए और पार्टी को प्रताड़ित किया गया. आज इमरान खान के खिलाफ सभी मामले सच्चे हैं.2013 में मैं खुद इमरान खान के पास गया और उनसे साथ चलने को कहा, बानी गाला रोड बनाने की मांग के साथ मीटिंग खत्म हुई. लेकिन उसके बाद वह लंदन चले गए जहां एक जनरल थे और कनाडा से एक मौलाना भी आए थे.
एक पत्रकार ने इस बैठक की पूरी घटना का वर्णन किया है और खुद जनरल जहीर इस्लाम ने कहा कि हमने तीसरी ताकत लाने का फैसला किया है.नवाज शरीफ ने इमरान खान को संबोधित करते हुए कहा, क्या वह तीसरी ताकत नहीं थे? अगर आप कहेंगे कि तीसरी ताकत आप नहीं थे तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा. क्या आप अंपायर की उंगली का जिक्र नहीं कर रहे थे?
राजनीतिक टिप्पणीकार उनके भाषण पर प्रतिक्रिया देते हुए कह रहे हैं कि भाषण में कुछ भी नया नहीं.उर्दू न्यूज से बात करते हुए राजनीतिक विश्लेषक सलमान गनी ने कहा, मुझे लगता है कि अब नवाज शरीफ को अतीत की बाड़ से बाहर आना होगा. उनकी सारी बातें सही हैं, उन्हें बहुत गालियां दी गईं. उनकी सरकारें उखाड़ फेंकी गईं.
उन्होंने कहा कि यह देश अभी जिन समस्याओं से जूझ रहा है, उन्हें पहले कभी हल नहीं किया जा सकता था. उन्हें भविष्य का एक व्यावहारिक नक्शा देना चाहिए और लोगों को बताना चाहिए कि उनकी पार्टी अब पाकिस्तान को महंगाई और बेरोजगारी से कैसे बाहर निकाल रही है.
अब वह पार्टी के अध्यक्ष भी बन गए हैं, इसलिए अब सारी जिम्मेदारी उनकी है.वरिष्ठ विश्लेषक सोहेल वराइच ने नवाज शरीफ के भाषण पर टिप्पणी करते हुए कहा, वैसे तो मियां साहब की सारी बातें पुरानी थीं, लेकिन मुझे जो लगा कि उन्होंने एक जज और एक पूर्व जनरल का जिक्र किया तो उनका निशाना थोड़ा-बहुत लगता है.
अगर उनके फोकस की बात करें तो पहले ये इमरान खान की तरफ नहीं था. यही कारण था कि उन्हें लंबे समय तक चुप रहना पड़ा. यह पार्टी बाकी उनकी है और यह पद भी उनका है जिसे उन्होंने वापस ले लिया है.
नवाज शरीफ ने अपने भाषण में पूर्व आईएसआई प्रमुख जहीर-उल-इस्लाम पर अपनी सरकार के खिलाफ साजिश का आरोप लगाया और पूर्व मुख्य न्यायाधीश साकिब निसार की भी आलोचना की.
अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत में कहा कि आज उनकी पार्टी ने साकिब निसार के फैसले को खारिज कर दिया है.पूर्व मुख्य न्यायाधीश साकिब निसार के कार्यकाल के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें लोकसभा का सदस्य बनने के लिए अयोग्य घोषित कर दिया था और उन्हें जीवन के लिए पार्टी अध्यक्ष बनने के लिए भी अयोग्य घोषित कर दिया था.
राजनीतिक विश्लेषक वजाहत मसूद का कहना है कि नवाज शरीफ को अब यह बात समझ में आ गई है कि उन्हें मौजूदा हालात के साथ मिलकर चलना होगा, इसलिए उन्होंने पार्टी के अध्यक्ष पद के रूप में कानूनी सुरक्षा हासिल कर ली है.
उन्होंने कहा कि नवाज शरीफ जो भाषण देते हैं वह अपने कार्यकर्ताओं के लिए होता है. नेता आमतौर पर जो कहते हैं उसे बार-बार दोहराते हैं ताकि यह उनके कार्यकर्ताओं के दिमाग में अंकित हो जाए. इमरान खान भी यही कर रहे हैं और कहा जाता है कि वह अपने भाषणों में अपनी बातें दोहराते हैं. यह एक संचार रणनीति है.