प्रयागराज
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने आगामी महाकुंभ मेले को लेकर एक विवादित बयान दिया है. उन्होंने कहा कि "धर्म भ्रष्ट" करने वाले मुसलमानों को महाकुंभ मेले में दुकानें नहीं लगानी चाहिए. उन्होंने यह बयान महाकुंभ की तैयारियों के संदर्भ में दिया, जो 13 जनवरी से 26 फरवरी तक प्रयागराज में आयोजित होगा.
महंत रवींद्र पुरी ने कहा, "मुसलमान हमारे भाई हैं, और उनसे हमें कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं है. लेकिन महाकुंभ एक धार्मिक आयोजन है, और इसमें मुसलमानों को दुकानें लगाने की अनुमति नहीं होनी चाहिए. वे हमारी धार्मिक परंपराओं और मान्यताओं को प्रभावित कर सकते हैं. उन्हें किराने की दुकानें, जूस की दुकानें, खाने-पीने की दुकानें और चाय की दुकानें नहीं लगानी चाहिए."
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कुछ मुसलमान खाने-पीने की चीजों पर थूकते हैं, जो हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचा सकता है. उनके इस बयान के बाद विवाद खड़ा हो गया है और विभिन्न समुदायों में चर्चा का विषय बन गया है.
महंत रवींद्र पुरी ने अपने बयान के दौरान यह भी कहा कि महाकुंभ मेले की तैयारियों में हिंदू-मुस्लिम एकता का भी उदाहरण देखने को मिलता है. उन्होंने बताया कि निरंजनी अखाड़े के छावनी प्रवेश के दौरान मुस्लिम बैंड का प्रदर्शन शामिल था. इसके अलावा, अखाड़ा परिषद के मठ का निर्माण करने वाला ठेकेदार भी मुस्लिम है.
उन्होंने कहा, "हमारी धार्मिक परंपराओं में शामिल होने वाले मुस्लिम कलाकारों और श्रमिकों को लेकर कोई आपत्ति नहीं है. छावनी प्रवेश में मुस्लिम बैंड का होना हमारी एकता का प्रतीक है."निरंजनी अखाड़े के छावनी प्रवेश में शामिल आजाद बैंड के मालिक इकबाल अहमद ने इस पर अपनी खुशी जताते हुए कहा, "महाकुंभ मेले के उत्सव में शामिल होना हमारे लिए गर्व की बात है. यह आयोजन केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक समरसता का प्रतीक भी है."
अखाड़ा परिषद के मठ निर्माण के काम को संभालने वाले मुस्लिम ठेकेदार ने भी अपनी भूमिका पर संतोष जताया और इसे हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक बताया.महाकुंभ मेला हर 12 साल में आयोजित होने वाला धार्मिक और सांस्कृतिक समागम है, जो विश्वभर से करोड़ों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है. इस बार यह आयोजन 13 जनवरी 2025 से शुरू होकर 26 फरवरी तक चलेगा.
इसमें विभिन्न अखाड़ों और धार्मिक संस्थानों के साधु-संत शामिल होंगे और गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर स्नान करेंगे.महाकुंभ में धर्म और आस्था के साथ-साथ सांस्कृतिक और सामाजिक विविधताओं का प्रदर्शन होता है. ऐसे में महंत रवींद्र पुरी का यह बयान इस आयोजन के समरसता के संदेश के खिलाफ माना जा रहा है.
महंत रवींद्र पुरी के बयान पर मुस्लिम समुदाय और विभिन्न संगठनों ने कड़ी आपत्ति जताई है. मुस्लिम संगठनों ने इसे धार्मिक भेदभाव और सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने वाला कदम बताया है। वहीं, हिंदू संगठनों के एक वर्ग ने महंत के बयान का समर्थन किया है.
इस बीच, प्रयागराज प्रशासन ने यह सुनिश्चित करने का भरोसा दिलाया है कि महाकुंभ का आयोजन शांतिपूर्ण और समरसता के माहौल में होगा. प्रशासन के एक अधिकारी ने कहा, "हम यह सुनिश्चित करेंगे कि किसी भी समुदाय के प्रति भेदभाव न हो और महाकुंभ का आयोजन सभी की सहभागिता के साथ हो."
समरसता बनाम विवाद
महाकुंभ का आयोजन जहां धार्मिक और सांस्कृतिक समरसता का प्रतीक है, वहीं महंत रवींद्र पुरी के इस बयान ने आयोजन के उद्देश्य और संदेश पर सवाल खड़े कर दिए हैं. यह देखना दिलचस्प होगा कि आगामी दिनों में इस विवाद का समाधान कैसे निकाला जाता है और क्या यह आयोजन अपनी समरसता की भावना को बनाए रख पाता है.