मुस्लिम कार्यकर्ताओं का 'घोषणापत्र' बना चर्चा का विषय

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 14-11-2024
Muslim activists' 'manifesto' is becoming a topic of discussion
Muslim activists' 'manifesto' is becoming a topic of discussion

 

प्रज्ञा शिंदे

महाराष्ट्र में चुनावी सरगर्मियां तेज होने लगी हैं. सभी पार्टियों ने अपनी कमर कस ली है और प्रचार जोरों से शुरू हो चुका है. नामांकन पत्र वापस लेना और रद्द करना जैसी प्रक्रियाएं अब पूरी हो गई हैं और विधानसभा चुनाव की भी तस्वीर स्पष्ट हो गई है. अब मतदाता इस बात पर विचार कर रहे हैं कि किस उम्मीदवार को वोट देना है. विभिन्न पार्टियां अपना घोषणापत्र प्रस्तुत कर रही हैं और साथ ही कुछ मतदाता भी अपने मुद्दों और अपेक्षाओं का घोषणापत्र उम्मीदवारों के सामने प्रस्तुत कर रहे हैं. इन्हीं में से एक घोषणापत्र ने सबका ध्यान आकर्षित किया है, जो कि युवा मुस्लिम सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा प्रस्तुत किया गया है.

आगामी विधानसभा चुनाव के परिप्रेक्ष्य में सांगली, सातारा और कोल्हापुर जिलों में सामाजिक कार्य के लिये जाने जानेवाले मुनीर शिकलगार और हजरतअली सोनीकलगीर, शकील काझी, आयेशा सोनीकर, शबाना शेख, अयूब मुल्ला, अय्याज शिकलगार, सलीम शिकलगार, राजू शिकलगार नामक युवाओं ने 300 से अधिक गांवों में जाकर सर्वेक्षण किया.

अल्पसंख्यक समुदाय के 4,500 नागरिकों से संवाद कर उनकी समस्याओं को जानने का प्रयास किया गया. इस सर्वेक्षण के माध्यम से उन्होंने मुस्लिम समाज की बुनियादी समस्याओं को उम्मीदवारों के समक्ष रखा है.

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इस पहल के माध्यम से इन कार्यकर्ताओं ने सामान्य मुस्लिम मतदाताओं की भावनाओं को समझा. इस अभिनव पहल के बारे में आवाज मराठी की टीम को जानकारी देते हुए मुनीर भाई ने कहा, ‘‘अल्पसंख्यक समुदाय में शिक्षा का स्तर अत्यंत कम है.

इस बात को ध्यान में रखते हुए हमने विधानसभा चुनाव के परिप्रेक्ष्य में सांगली, सातारा, कोल्हापुर के लोगों से संवाद साधा. गठबंधन और महाविकास अघाड़ी के उम्मीदवारों को अल्पसंख्यकों के मुद्दों को विधानसभा में उठाने के उद्देश्य से हमने अपना घोषणापत्र उम्मीदवारों को सौंपा है.’’

इस घोषणापत्र में मुस्लिम और अल्पसंख्यक समुदाय की शिक्षा, आजीविका, रोजगार, विभिन्न अधिकारों और सुरक्षा से जुड़े मुद्दों को दर्ज किया गया है.

घोषणापत्र की आवश्यकता क्यों पड़ी?

मुनीर भाई कहते हैं, ‘‘पिछले तीन चुनावों में मैंने देखा कि किसी भी पार्टी के घोषणापत्र में अल्पसंख्यकों का विचार नहीं किया गया और इस पर कभी भी विधानसभा में चर्चा नहीं हुई. साथ ही मुस्लिम समाज भी इस बारे में जागरूक नहीं है.’’ वे आगे बताते हैं, ‘‘हमें लगा कि अब अल्पसंख्यकों की प्रगति पर विचार होना चाहिए. सरकार के साथ संवाद कर इस पर ठोस निर्णय लेना चाहिए, इसलिए हमने खुद 300 गांवों में जाकर लोगों से बात की और उनसे उनकी समस्याओं के बारे में जानकारी ली.’’

इन युवाओं ने सर्वे किया और मुस्लिम समाज के नागरिकों से संवाद साधा. इस दौरान उन्होंने शिक्षा, सुरक्षा, रोजगार, और विभिन्न स्कॉलरशिप जैसी समस्याओं के बारे में जानकारी प्राप्त की. यह जानकारी प्रत्येक पार्टी के उम्मीदवारों तक पहुंचाने के लिए उन्होंने इन सभी समस्याओं को घोषणापत्र के रूप में प्रस्तुत किया है.

घोषणापत्र में रखे गए सभी मुद्दों को उम्मीदवारों द्वारा ध्यान में लिया जाए, विधानसभा में उन्हें उठाया जाए, और इन सभी समस्याओं पर उचित ध्यान दिया जाए, ऐसी अपेक्षा कार्यकर्ताओं ने उम्मीदवारों से व्यक्त की है.

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घोषणापत्र में मुख्य मांगें

  • अल्पसंख्यक समुदाय के लिए जीवन, संपत्ति और सांप्रदायिक तनाव संबंधी सुरक्षा कानून हो.
  • अल्पसंख्यक समुदाय के शैक्षणिक, आर्थिक और प्रशासनिक सेवा के लिए प्रोत्साहन देने हेतु मौलाना आजाद प्रशिक्षण और अनुसंधान संस्थान की स्थापना हो.
  • उद्योगों को आर्थिक सहयोग देने के लिए मौलाना आजाद मंडल को अतिरिक्त फंड और सशक्तिकरण मिले.
  • अल्पसंख्यक विद्यार्थियों के लिए अलग से छात्रावास सुविधा हो.
  • शिक्षा के लिए आधुनिक तकनीक और कौशल विकास प्रशिक्षण संस्थान बनाए जाएं.

उम्मीदवारों की प्रतिक्रिया 

हर पार्टी के उम्मीदवारों ने इन युवा सामाजिक कार्यकर्ताओं के कार्य की सराहना की. साथ ही उन्होंने घोषणापत्र में बताई गई हर समस्या को सुलझाने का प्रयास करने का आश्वासन भी दिया. सभी पार्टियों के उम्मीदवारों से इस घोषणापत्र को सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली. ऐसी जानकारी मुनीर भाई ने आवाज-द वॉयस को दी.

मुनीर भाई ने कहा, “मुस्लिम समाज इस तरह की विकास की मांगें रख रहा है, इसकी प्रशंसा हर उम्मीदवार ने की.”

वे आगे बताते हैं, “महाविकास अघाड़ी के तीन उम्मीदवारों ने तो हमें बहुत अच्छी प्रतिक्रिया दी. जो मुद्दा आज तक किसी ने सामने नहीं रखा था, वह मुद्दा हमारे माध्यम से पार्टी के सामने और उम्मीदवारों के सामने रखा गया. इस कारण उन्होंने हमारी सराहना की.”

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कई उम्मीदवारों ने इन कार्यकर्ताओं को आश्वासन दिया है कि ‘‘हम इन मुद्दों पर शत-प्रतिशत उपाय करेंगे. हम जीतें या न जीतें, लेकिन इन समस्याओं पर समाधान करने का प्रयास अवश्य करेंगे.’’ इस प्रकार उम्मीदवारों से सकारात्मक प्रतिक्रिया प्राप्त हुई है.

घोषणापत्र की मुख्य बातें

युवा सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि इस घोषणापत्र में मुख्य ध्यान शिक्षा पर दिया गया है. अब तक मुस्लिम समाज धार्मिक मुद्दों पर बात करता था, लेकिन इस बार हमने शिक्षा, छात्रवृत्ति, छात्रावास, और स्वायत्त संस्था जैसे मुद्दे रखे हैं. इन मुद्दों पर अब तक किसी ने बात नहीं की थी. यह मुद्दा वास्तव में पंद्रह-बीस साल पहले ही उठाया जाना चाहिए था. अब हमने अपने घोषणापत्र के माध्यम से कई उम्मीदवारों के सामने ये मुद्दे प्रस्तुत किए हैं.

मुस्लिम मतदाताओं का ट्रेंड 

लोकसभा के बाद ये सामाजिक कार्यकर्ता 300 गांवों में घूमे. सांगली, सातारा और कोल्हापुर के आसपास के ये गांव थे. लोकसभा में महाविकास अघाड़ी को भरपूर वोट मिले, लेकिन विधानसभा में यह ट्रेंड नहीं दिख रहा है, ऐसी जानकारी इन कार्यकर्ताओं ने दी.

कार्यकर्ता बताते हैं, “हमने 300 गांवों में दौरा किया, जिसमें कुछ शहरी क्षेत्रों में भी गए और ग्रामीण क्षेत्रों में भी गए. महानगरपालिका क्षेत्रों में भी गए. हमें एक बात महसूस हुई कि इस बार बड़े-बड़े दलों ने मुस्लिम उम्मीदवारों पर ध्यान नहीं दिया. मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट भी नहीं दिया गया. इससे मुस्लिम समाज में असंतोष है.”

वे आगे कहते हैं, “हमें एक बात समझ में आई कि इस बार मुस्लिम समाज उसी उम्मीदवार को वोट देगा, जो उनकी मदद करेगा, जो उनकी समस्याओं को हल करेगा, जो उन्हें रोजगार उपलब्ध कराएगा.”

लोकसभा में महाविकास अघाड़ी को भारी वोट मिलने के कारण विधानसभा में मुस्लिम मतों को महत्त्व दिया गया है और इसी कारण महाविकास अघाड़ी से मुस्लिम समाज की उपेक्षा भी हो गई है. साथ ही महाविकास अघाड़ी और मुस्लिम समाज का संपर्क भी कम हो गया है, ऐसा इन कार्यकर्ताओं को संबंधित क्षेत्रों में देखने को मिला.

आदर्श उम्मीदवार कैसा होना चाहिए 

मुस्लिम मतदाताओं के मतदान का पहला मानदंड यह है कि उम्मीदवार मध्यम मार्गी होना चाहिए. मध्यम मार्गी मतलब किसी भी प्रकार की कठोर विचारधारा के बजाय विवेकपूर्ण निर्णय लेने वाला और मुस्लिमों को समझने वाला होना चाहिए, तभी उसे मुस्लिमों के वोट मिलेंगे.

मुस्लिम समाज की शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य और सुरक्षा की समस्या को जो उम्मीदवार हल करेगा, मुस्लिम समाज इस बार उसे ही वोट देगा. ईदगाह, सामाजिक सभा भवन, शादीखाना जैसी जो सामाजिक कार्यक्रमों के लिए स्थल हैं, उन स्थानों के लिए जो भरपूर मदद करेगा, ऐसा उम्मीदवार उन्हें चाहिए.

घोषणापत्र को अमल में लाने से मुस्लिम समाज में कौन से सकारात्मक बदलाव आएंगे? 

  • साक्षरता का स्तर बढ़ेगा 
  • रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे 
  • आजीविका के सवाल हल होंगे 
  • बच्चों को उचित शैक्षिक अवसर मिलेंगे 
  • स्वास्थ्य में सुधार होगा 
  • मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति से जीवन स्तर में सुधार होगा 
  • राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक विकास होगा 

कुल मिलाकर, मुस्लिम समाज को हल्के में लेना अब हर पार्टी के उम्मीदवार के लिए एक चुनौती बन गया है. मुस्लिम समाज पार्टी नहीं बल्कि उम्मीदवार के काम को देखकर उसे वोट देगा.

सांगली, सातारा और कोल्हापुर क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मतदाता घोषणापत्र प्रस्तुत कर पारंपरिक मतदान की प्रथा को विराम दिया है. इससे इस बार वैचारिक तरीके से मतदान होने की शुरुआत होती दिख रही है.