कोलकाता
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ (संशोधन) अधिनियम के विरोध में हुए प्रदर्शन के दौरान भड़की हिंसा के कारण विस्थापित हुए लोगों की पहचान और उनके पुनर्वास के लिए तीन सदस्यीय समिति के गठन का आदेश दिया है.
न्यायमूर्ति सौमेन सेन और न्यायमूर्ति राजा बसु चौधरी की खंडपीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि 12 अप्रैल को दिया गया सीएपीएफ (केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल) की तैनाती का अंतरिम आदेश आगे भी लागू रहेगा.
न्यायालय द्वारा गठित इस तीन सदस्यीय समिति में निम्नलिखित अधिकारी शामिल होंगे:
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) का एक प्रतिनिधि
पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग (डब्ल्यूबीएचआरसी) का एक प्रतिनिधि
राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (एसएलएसए) के सदस्य सचिव
अदालत ने कहा,"हम मानते हैं कि तीन अधिकारियों की एक समिति का गठन आवश्यक है, जो स्थिति की निगरानी और समन्वय सुनिश्चित करे."
इस समिति को निम्नलिखित कार्य सौंपे गए हैं:
हिंसा के कारण विस्थापित हुए लोगों की पहचान करना
पीड़ितों की संपत्तियों को हुए नुकसान का आकलन करना
दर्ज प्राथमिकियों (FIR) का पूरा ब्यौरा एकत्र करना
पीड़ितों को FIR दर्ज कराने में सहायता देना
अंतरिम अवधि में विस्थापितों के कल्याण की निगरानी करना
इसके साथ ही, अदालत ने राज्य प्रशासन को निर्देश दिया कि वह समिति को अपना कार्य करने के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचा और संसाधन उपलब्ध कराए.अंत में, अदालत ने राज्य सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) और पुनर्वास समिति को निर्देश दिया कि वे 15 मई को होने वाली अगली सुनवाई तक अपनी-अपनी रिपोर्ट अदालत में प्रस्तुत करें.