कोच्चि. केरल सरकार ने दिसंबर 2024 में तटीय गांव मुनंबम में भूमि विवाद की जांच के लिए रविवार को सीएन रामचंद्रन नायर आयोग नियुक्त किया. यह विवाद वक्फ बोर्ड और गांव के मूल निवासियों के बीच था.
न्यायमूर्ति सीएन रामचंद्रन नायर ने उल्लेख किया कि आयोग के गठन को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई थी. उन्होंने आगे कहा कि आयोग को पहले से ही अधिकांश संबंधित पक्षों से लिखित बयान मिल चुके हैं.
नायर ने कहा, ‘‘मुनंबम न्यायिक आयोग के लगभग दो महीने बाद, किसी ने आयोग के गठन को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की है. आयोग को अधिकांश पक्षों से लिखित बयान मिल चुके हैं...’’
इसके अलावा, उन्होंने कहा कि आयुक्तों के पास अब अपनी रिपोर्ट तैयार करने और सरकार को सौंपने के लिए लगभग एक महीने का समय है. उन्होंने कहा, ‘‘अब आयुक्तों के पास रिपोर्ट तैयार करने और सरकार के समक्ष इसे दाखिल करने के लिए लगभग एक महीने का समय है. चूंकि उच्च न्यायालय ने मामले को स्वीकार कर लिया है, इसलिए आयोग ने फिलहाल अपनी कार्यवाही रोकने का फैसला किया है...’’
25 जनवरी को, कथित वक्फ शोषण के खिलाफ प्रदर्शनकारियों ने अपनी भूख हड़ताल के 100वें दिन भारत के राजनीतिक दलों और संसद सदस्यों को एक पत्र लिखा था. पत्र में, प्रदर्शनकारियों ने खुद को मुनंबम के श्निवासीश् बताते हुए 1995 के वक्फ अधिनियम के कारण उनके सामने आने वाली समस्याओं पर ध्यान देने और समर्थन मांगा.
पत्र में लिखा गया है, ‘‘हम, केरल के एर्नाकुलम जिले में बसे मुनंबम गांव के निवासी, एक ऐसे गंभीर अन्याय के मामले पर आपका ध्यान आकर्षित करने और अटूट समर्थन की अपील करते हैं, जो हमारे समुदाय और देश भर के असंख्य अन्य नागरिकों को परेशान करता है, जो वक्फ अधिनियम 1995 से उपजा है, जिसे बाद में 2013 में संशोधित किया गया.’’
पत्र में बताया गया है कि किस तरह से वक्फ बोर्ड ने मुनंबम में जमीन पर दावा करने के लिए अधिनियम के भीतर की खामियों का फायदा उठाया है. पत्र के अनुसार, ‘‘हमारी दयनीय परिस्थितियों में, वक्फ बोर्ड ने मुनंबम में हमारी प्रिय भूमि पर कपटपूर्ण तरीके से दावा करने के लिए अधिनियम के भीतर की खामियों का स्पष्ट रूप से फायदा उठाया है. बोर्ड ने हमारी भूमि को वक्फ संपत्ति के रूप में नामित करने की हिम्मत की है, इस फर्जी घोषणा को केवल 1995 के विलेख में ‘वक्फ’ शब्द के आकस्मिक आगमन पर आधारित किया है, जबकि जानबूझकर विलेख के मूल सार की अवहेलना की है, जिसमें स्पष्ट रूप से संपत्ति की बिक्री की अनुमति देने वाला एक खंड और ऐसी शर्तें शामिल हैं जो मूल रूप से वक्फ की प्रकृति के विपरीत हैं.’’