गाजीपुर (उत्तर प्रदेश). उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में एक सांसद विधायक अदालत ने शनिवार को भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या से संबंधित अपहरण और हत्या के मामले में जेल में बंद माफिया मुख्तार अंसारी को दोषी ठहराया और उसे 10 साल की सजा सुनाई. जेल में बंद माफिया पर पांच लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया. उन्हें आज वर्चुअल कोर्ट के समक्ष पेश किया गया.
इससे पहले आज दिवंगत भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की पत्नी, जिनकी 2005 में गाजीपुर में कथित रूप से गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी द्वारा हत्या कर दी गई थी, उन्होंने शनिवार को कहा कि उत्तर प्रदेश में माफिया का शासन समाप्त हो गया है और उन्हें भारत की न्यायपालिका पर भरोसा है. दिवंगत भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की पत्नी अलका राय ने कहा, ‘‘मैं न्यायपालिका में विश्वास करती हूं. गुंडों, माफियाओं का शासन (राज्य में) समाप्त हो गया है.’’
गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी, उनके बड़े भाई और बसपा सांसद अफजाल अंसारी के खिलाफ शनिवार को अपहरण और हत्या के मामले में उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में एमपी-एमएलए कोर्ट द्वारा फैसला सुनाए जाने से पहले सुरक्षा बढ़ा दी गई थी.
इसी साल जनवरी में पुलिस ने मुख्तार अंसारी के खिलाफ 2001 की उसरी चट्टी गैंगवार की घटना के सिलसिले में हत्या का मामला दर्ज किया था. अंसारी के खिलाफ गाजीपुर के पीएस मोहम्मदाबाद में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 के तहत मामला दर्ज किया गया था.
इससे पहले 18 जनवरी को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गाजीपुर एमपी / एमएलए कोर्ट के 15 मार्च के उस आदेश को खारिज कर दिया था, जिसमें अंसारी को बांदा में उच्च श्रेणी की जेल में रखने की अनुमति दी गई थी. अदालत ने आदेश देते हुए कहा था कि विशेष अदालत का आदेश अधिकार क्षेत्र से बाहर है और गैंगस्टर, खूंखार अपराधी बाहुबली अंसारी कानूनी तौर पर जेल में उच्च श्रेणी पाने का हकदार नहीं है.
इससे पहले पिछले साल 15 दिसंबर को अंसारी और उसके सहयोगी भीम सिंह को गाजीपुर की गैंगस्टर कोर्ट ने हत्या और हत्या के प्रयास के पांच मामलों में 10 साल कैद की सजा सुनाई थी. इन मामलों में कांस्टेबल रघुवंश सिंह की हत्या और गाजीपुर के एक अतिरिक्त एसपी पर जानलेवा हमला शामिल है.
जेलर एसके अवस्थी को धमकाने और पिस्टल तानने के मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने 21 सितंबर को मुख्तार अंसारी को दोषी करार देते हुए सजा सुनाई थी. मामला 2003 का है, जब लखनऊ जिला जेल के जेलर एसके अवस्थी ने यह कहते हुए प्राथमिकी दर्ज कराई थी कि उन्हें जेल में अंसारी से मिलने आए लोगों की तलाशी लेने पर धमकी दी गई थी.
1999 में गैंगस्टर एक्ट के तहत दर्ज मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने 23 सितंबर को उसे पांच साल की सजा सुनाई थी. 23 साल पुराने इस मामले में कोर्ट ने मुख्तार पर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया था.