मुख्तार अंसारी का निधन: कैसे जामिया मिल्लिया इस्लामिया के चांसलर का पोता बन गया अपराधी

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 30-03-2024
Mukhtar Ansari passes away: How Jamia Millia Islamia Chancellor's grandson became a criminal
Mukhtar Ansari passes away: How Jamia Millia Islamia Chancellor's grandson became a criminal

 

आवाज द वाॅयस नई दिल्ली

जेल में बंद गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी की गुरुवार को उत्तर प्रदेश के बांदा में दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई.जेल अधिकारियों ने कहा कि 60वर्षीय राजनेता की रमजान का उपवास तोड़ने के बाद स्वास्थ्य स्थिति बिगड़ गई.उत्तर प्रदेश के मऊ से पांच बार विधायक रहे मुख्तार अंसारी के खिलाफ 60से अधिक मामले लंबित थे और वह बांदा जिला जेल में बंद थे.भारत के स्वतंत्रता संग्राम में गहरी जड़ें रखने वाले परिवार में जन्मे अंसारी का अंडरवर्ल्ड में प्रवेश उनके शानदार वंश से एक अलग प्रस्थान था.

मुख्तार अंसारी का पारिवारिक इतिहास

1960 में उत्तर प्रदेश के यूसुफपुर में जन्मे मुख्तार अंसारी का अपराध की गलियों से सत्ता के गलियारों तक का सफर जितना विवादास्पद था उतना ही मनोरम भी.उनका जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ ,जो भारत के स्वतंत्रता आंदोलन और स्वतंत्रता के बाद के राजनीतिक परिदृश्य में अपने योगदान के लिए प्रसिद्ध था.उनके दादा, मुख्तार अहमद अंसारी, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में एक प्रमुख व्यक्ति थे.1927में इसके अध्यक्ष के रूप में कार्यरत थे.

अलगाववादी एजेंडे के कारण खुद को अलग करने से पहले मुख्तार अहमद अंसारी मुस्लिम लीग से भी जुड़े थे.उन्होंने जामिया मिलिया इस्लामिया के चांसलर के रूप में भी कार्य किया. इस पद पर वे 1936में अपनी मृत्यु तक बने रहे. मातृ पक्ष में, मुख्तार अंसारी के दादा ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान भारतीय सेना में एक सम्मानित अधिकारी थे.उन्होंने 1948में पाकिस्तान के साथ संघर्ष के दौरान जम्मू-कश्मीर के नौशेरा सेक्टर में सर्वोच्च बलिदान दिया और मरणोपरांत महावीर चक्र अर्जित किया.

मुख्तार अंसारी का अपराध जगत में पतन

महान विरासत के बावजूद, मुख्तार अंसारी ने बिल्कुल अलग रास्ता चुना.उनका आपराधिक करियर 1980 के दशक में पूर्वांचल की अराजकता के बीच शुरू हुआ, जो सरकारी ठेकों के लिए प्रतिस्पर्धा करने वाले आपराधिक गिरोहों के लिए कुख्यात क्षेत्र था.

मुख्तार अंसारी तेजी से पार्टी में उभरे. उनका नाम पूरे उत्तर प्रदेश में आतंक का पर्याय बन गया.हत्या, हत्या का प्रयास, सशस्त्र दंगे और धोखाधड़ी सहित कई आपराधिक गतिविधियों में उनकी संलिप्तता के कारण उन्हें कई मामलों में दोषी ठहराया गया.

गंभीर अपराध से अंसारी का पहला परिचय 1988 में ग़ाज़ीपुर में भूमि विवाद को लेकर सच्चिदानंद राय की हत्या से जुड़ा था.इसने एक लंबी और अंधकारमय यात्रा की शुरुआत की, जिसमें वह विशेष रूप से प्रतिद्वंद्वी माफिया ब्रिजेश सिंह के खिलाफ गिरोह युद्धों में उलझा हुआ था, और अप्रैल 2009 में कपिल देव सिंह, अगस्त 2009 में ठेकेदार अजय प्रकाश सिंह और राम सिंह मौर्य की हत्या में फंसा हुआ था.

यह अवधि हिंसक टकरावों से चिह्नित थी, जिसमें 2002में उनके काफिले पर घात लगाकर किया गया हमला भी शामिल था, जिसमें उनके तीन लोग मारे गए थे और क्षेत्र में और अधिक रक्तपात हुआ था.

आपराधिक आरोपों के बीच राजनीतिक करियर

अपनी कुख्याति के बावजूद, अंसारी ने 1996 से शुरू होकर पांच बार मऊ निर्वाचन क्षेत्र से विधान सभा सदस्य (एमएलए) के रूप में एक सीट सुरक्षित करने के लिए अपने प्रभाव का लाभ उठाते हुए राजनीति में कदम रखा.अंसारी का राजनीतिक करियर द्वंद्व की विशेषता वाला रहा.जबकि कुछ लोगों ने उसे रॉबिन हुड की छवि के रूप में देखा, वहीं अन्य ने उसे उसकी आपराधिक गतिविधियों के चश्मे से देखा.

राजनीति में उनके कार्यकाल में बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के साथ जुड़ाव शामिल था, जहां उन्हें गरीबों के मसीहा के रूप में चित्रित किया गया था.बाद में, बीएसपी से निकाले जाने के बाद उन्होंने अपने भाइयों के साथ कौमी एकता दल (क्यूईडी) का गठन किया.

मुख्तार अंसारी का कार्यकाल सांप्रदायिक हिंसा भड़काने और व्यक्तिगत लाभ के लिए धार्मिक भावनाओं का शोषण करने के आरोपों से भी घिरा रहा.जेल में रहने के बावजूद, अंसारी की छाया पूर्वी उत्तर प्रदेश की राजनीति पर मंडरा रही थी, उनके बेटे अब्बास अंसारी सहित उनके परिवार के सदस्यों ने उनकी राजनीतिक विरासत को जारी रखा.

इनपुटः इंडिया टुडे