आवाज द वाॅयस / बरेली
बरेली में मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइज़ेशन ऑफ़ इंडिया (एमएसओ) का उर्स ए आला हज़रत पर "मुस्लिम यूथ मीट" का आयोजन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ. कार्यक्रम में देशभर के कई पत्रकार, विशेषज्ञ, और उलमा ने हिस्सा लिया, जिन्होंने मुस्लिम युवाओं के सामने आने वाली चुनौतियों और उनके समाधान पर गहन चर्चा की.
इस बैठक में कई अहम मुद्दों पर विचार-विमर्श के बाद एक मांग पत्र भी तैयार किया गया.
मुस्लिम यूथ की मुख्य मांगें
इस्लामी शिक्षा के सिलेबस का पुनरीक्षण
एमएसओ के राष्ट्रीय अध्यक्ष और जामिया मिलिया इस्लामिया के शोधार्थी मोदस्सर अशरफी ने मांग की कि देश के सभी प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में पढ़ाई जाने वाली इस्लामी शिक्षा के सिलेबस का सूफिज्म और भारतीय परंपराओं के दृष्टिकोण से पुनरीक्षण किया जाए.
राष्ट्रीय सुरक्षा नीति में भागीदारी
मुस्लिम युवा छात्रों ने राष्ट्रीय सुरक्षा नीति में उन्हें शामिल करने की अपील की है.
स्वरोजगार के लिए सहूलियत
बैंकों से स्वरोजगार के लिए मुद्रा लोन को अधिक उदार बनाने की मांग की गई.
शिक्षा में सब्सिडी
राजस्थान सरकार की तर्ज पर सभी सरकारी संस्थानों में मुस्लिम युवाओं की ट्यूशन फीस माफ करने की मांग की गई.
मदरसा शिक्षा को मान्यता
मदरसा डिग्रियों को देश के सभी विश्वविद्यालयों में मान्यता देने और केंद्रीय विश्वविद्यालयों में उर्दू में परीक्षा देने का विकल्प प्रदान करने की भी मांग उठाई गई.इस यूथ मीट में असम, बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली और उत्तर प्रदेश के 40 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया.
कार्यक्रम के अंत में, मुस्लिम समाज के पिछड़ेपन को दूर करने के लिए शिक्षा और स्वरोजगार पर विशेष जोर देने की आवश्यकता पर बल दिया गया.एमएसओ के यूपी अध्यक्ष यूसुफ नक्शबंदी ने मदरसों में व्यावसायिक शिक्षा को बढ़ावा देने और इसे स्वरोजगार के लिए इस्तेमाल करने की दिशा में सुझाव दिया.
संगठन के आगरा ज़ोन के संयोजक मौलाना अरशद रज़वी ने दरगाहों और खानकाहों के समावेशी विचारों को अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया, जिससे मुस्लिम समाज को व्यावसायिक और सामाजिक लाभ मिल सके.