सांसद इंजीनियर राशिद ने संसद सत्र में भाग लेने के लिए मांगी अंतरिम जमानत

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 25-11-2024
Engineer Rashid
Engineer Rashid

 

नई दिल्ली. लोकसभा सांसद अब्दुल राशिद शेख, जिन्हें इंजीनियर राशिद के नाम से भी जाना जाता है, ने संसद सत्र में भाग लेने के लिए अंतरिम जमानत की मांग करते हुए नई दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में एक आवेदन दायर किया. वह कश्मीर के बारामुल्ला से सांसद हैं और अवामी इत्तेहाद पार्टी (एआईपी) के अध्यक्ष हैं. वह एनआईए के एक मामले में न्यायिक हिरासत में हैं.

पटियाला हाउस कोर्ट के प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने नोटिस जारी कर एनआईए से जवाब मांगा है. मामले की अगली सुनवाई 27 नवंबर को होगी. इंजीनियर राशिद ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट को संबोधित किया और कहा कि संसद सत्र में भाग लेने के लिए उन्हें अंतरिम जमानत की जरूरत है.

इंजीनियर राशिद ने कहा कि उन्हें उनके लोगों ने चुना है. उन्हें पिछले संसद सत्र में भाग लेने की अनुमति नहीं दी गई थी. उन्होंने कहा, ‘‘मैं हाथ जोड़कर अनुरोध करता हूं कि मुझे अंतरिम जमानत दी जाए.’’ एक अन्य आरोपी ने भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए दलील दी कि उन्हें नहीं पता कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश होने पर सुनवाई में क्या होता है. उन्होंने कोर्ट में शारीरिक रूप से पेश होने का अनुरोध किया.

इस बीच, पटियाला हाउस कोर्ट के प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश विमल कुमार यादव ने जन प्रतिनिधियों (एमपीध्एमएलए) को आरोपी बनाने वाले एनआईए मामले की सुनवाई के लिए क्षेत्राधिकार को लंबित रखा है. एनआईए और आरोपियों के वकील ने दलील दी कि मामले को एमपी/एमएलए कोर्ट में स्थानांतरित नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि एनआईए अधिनियम में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है. उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा जारी एक परिपत्र का भी हवाला दिया. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के विशेष लोक अभियोजक ने भी दलील दी कि मामले को उसी कोर्ट में रखा जाना चाहिए. एनआईए की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा पेश हुए.

इंजीनियर राशिद की ओर से पेश हुए अधिवक्ता विख्यात ओबेरॉय ने दलील दी कि जमानत याचिका 2-3 महीने से लंबित है, साथ ही सभी आरोपी व्यक्ति शीघ्र सुनवाई चाहते हैं. एनआईए की विशेष अदालत, जो वर्तमान में जम्मू-कश्मीर आतंकी फंडिंग मामले की सुनवाई कर रही है, ने 21 नवंबर को इस मामले को सांसदोंध्विधायकों के लिए नामित विशेष अदालत में स्थानांतरित करने की सिफारिश की, यह देखते हुए कि आरोपियों में से एक, राशिद इंजीनियर अब सांसद है. अदालत ने पटियाला हाउस कोर्ट के जिला न्यायाधीश से आग्रह किया था कि मामले को सांसदों/विधायकों के लिए नामित विशेष न्यायाधीश के पास भेजा जाए. अदालत ने स्थानांतरण के लिए सिफारिशें करते हुए राशिद इंजीनियर की नियमित जमानत याचिका सहित सभी लंबित आवेदनों को जिला न्यायाधीश के पास भेज दिया.

जम्मू-कश्मीर के बारामुल्ला से लोकसभा सांसद इंजीनियर राशिद ने हाल ही में अपनी अंतरिम जमानत समाप्त होने के बाद तिहाड़ जेल में आत्मसमर्पण कर दिया है. यह जम्मू-कश्मीर आतंकी फंडिंग मामले से संबंधित है, जिसकी वर्तमान में एनआईए द्वारा जांच की जा रही है. अगस्त 2019 में, राशिद को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार किया गया था. अपनी कैद के दौरान, उन्होंने जेल से 2024 के संसदीय चुनावों के लिए अपना नामांकन दाखिल किया और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को हराकर 204,000 मतों के अंतर से जीत हासिल की. 2022 में, पटियाला हाउस कोर्ट की एनआईए अदालत ने राशिद इंजीनियर और हाफिज सईद, सैयद सलाहुद्दीन, यासीन मलिक, शब्बीर शाह, मसरत आलम, जहूर अहमद वटाली, बिट्टा कराटे, आफताब अहमद शाह, अवतार अहमद शाह, नईम खान और बशीर अहमद बट (जिन्हें पीर सैफुल्लाह के नाम से भी जाना जाता है) सहित कई अन्य प्रमुख हस्तियों के ख़िलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया.

ये आरोप जम्मू-कश्मीर में आतंकी फंडिंग की चल रही जाँच का हिस्सा हैं, जहाँ राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (एनआईए) का आरोप है कि लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिदीन, जैश-ए-मोहम्मद और जेकेएलएफ जैसे विभिन्न आतंकवादी संगठनों ने क्षेत्र में नागरिकों और सुरक्षा बलों पर हमलों की योजना बनाने के लिए पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के साथ मिलकर काम किया. एनआईए की जांच में दावा किया गया है कि 1993 में, हवाला और अन्य गुप्त तरीकों से फंडिंग के साथ अलगाववादी गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस (एपीएचसी) का गठन किया गया था. हाफिज सईद पर हुर्रियत नेताओं के साथ मिलकर इन अवैध फंडों का इस्तेमाल जम्मू-कश्मीर में अशांति फैलाने, सुरक्षा बलों को निशाना बनाने, हिंसा भड़काने, स्कूलों को जलाने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुँचाने के लिए करने का आरोप है. एजेंसी का कहना है कि ये ऑपरेशन क्षेत्र को अस्थिर करने और राजनीतिक प्रतिरोध की आड़ में आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए डिजाइन किए गए थे.