मॉन्ट्रियल: बांग्लादेश में हिंदू नरसंहार के खिलाफ प्रदर्शन

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 02-12-2024
Montreal: Protest against Hindu genocide in Bangladesh
Montreal: Protest against Hindu genocide in Bangladesh

 

मॉन्ट्रियल, कनाडा. कनाडा के मॉन्ट्रियल में बांग्लादेशी हिंदुओं ने मंगलवार को इस्कॉन बांग्लादेश के साथ एकजुटता दिखाते हुए एक विरोध प्रदर्शन आयोजित किया. कनाडाई बांग्लादेशी हिंदुओं ने सरकार से आग्रह किया कि वह बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के अधिकारों का सम्मान करने के लिए अंतरिम बांग्लादेशी सरकार पर दबाव डाले.

प्रदर्शनकारियों ने अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की मांग करते हुए नारे लगाए. बांग्लादेशी प्रवासी समुदाय के एक सदस्य ने एएनआई को बताया, ‘‘शांति और भाईचारा. हम शांति चाहते हैं. हम न्याय चाहते हैं. हम बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों पर चल रही हिंसा को समाप्त करना चाहते हैं. क्या हो रहा है? क्या आपने देखा?.’’

एएनआई से बात करते हुए एक प्रदर्शनकारी ने कहा कि देश में कट्टरपंथियों को खुला छोड़ दिया गया है और वे संस्थानों पर कब्जा कर रहे हैं.

उन्होंने कहा, ‘‘तो आप मुझसे पूछ रहे हैं कि बांग्लादेश में क्या हो रहा है? खैर, 5 अगस्त को तख्तापलट हुआ और सेना ने सत्ता संभाली और उन्होंने मुस्कुराते हुए चेहरे के लिए मुहम्मद यूनुस को लाया, लेकिन उन्होंने मुस्लिम कट्टरपंथियों के गिरोहों को सड़कों पर दौड़ने, लोगों पर हमला करने, अदालतों में लोगों पर हमला करने के लिए छोड़ दिया. वे संस्थानों, शैक्षणिक संस्थानों पर कब्जा कर रहे हैं. इसलिए यह बहुत अच्छी स्थिति नहीं है. वे अल्पसंख्यक समुदायों पर हमला कर रहे हैं, वे उन लोगों पर भी हमला कर रहे हैं, जो अवामी लीग या उनके गठबंधन में किसी अन्य पार्टी से जुड़े थे. इसलिए यह एक सैन्य सरकार है.’’

विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए कंजर्वेटिव पार्टी के उम्मीदवार नील ओबरमैन ने कहा कि वह बांग्लादेशी नहीं हैं, बल्कि सहयोगी हैं. उन्होंने कहा कि नफरत कहीं भी स्वीकार्य नहीं है और इसीलिए वह विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘‘मैं आज यहां इसलिए आया हूं, क्योंकि किसी भी कारण से किसी को भी कहीं भी नफरत स्वीकार्य नहीं है और आज आप यहां जो देख रहे हैं वह एक मजबूत समुदाय है. मैं आपके समुदाय से नहीं हूं, लेकिन मैं ऐसे समुदाय से हूं, जो नफरत के कारण पीड़ित है. नफरत से हमें कोई मदद नहीं मिलती और इसीलिए बाहर आना, मजबूत होना, यह संदेश देना कि हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे, यही एकमात्र संदेश है. जब भी मैं किसी कार्यक्रम में जाता हूं तो मैं यही बात कहता हूं. एक समुदाय के साथ जो होता है, वह दूसरे समुदाय के साथ भी होता है. मजबूत बनो, मजबूती से खड़े रहो और सुनिश्चित करो कि लोग तुम्हारी आवाज सुनें.’’

बांग्लादेश में कथित देशद्रोह के आरोप में आध्यात्मिक उपदेशक चिन्मय कृष्ण दास की हाल ही में हुई गिरफ्तारी ने अंतरिम सरकार के खिलाफ व्यापक विरोध को जन्म दिया है और अल्पसंख्यक समूहों ने सरकार पर उन्हें नजरअंदाज करने का आरोप लगाया है.