नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केरल उच्च न्यायालय के उस हालिया आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें लक्षद्वीप के सांसद मोहम्मद फैजल की हत्या के प्रयास के मामले में उनकी सजा को निलंबित करने की याचिका खारिज कर दी गई थी.
केरल हाई कोर्ट के आदेश के बाद, फैज़ल को दूसरी बार सांसद के रूप में अयोग्यता का सामना करना पड़ा. शीर्ष अदालत की रोक के बाद फैजल अब सांसद बने रह सकते हैं. न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति संजय करोल की खंडपीठ ने उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाते हुए यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट के 22 अगस्त के रिमांड आदेश से दोषसिद्धि के निलंबन का लाभ चालू रहेगा.
सुप्रीम कोर्ट के 22 अगस्त के आदेश ने दोषसिद्धि के निलंबन पर पुनर्विचार करने के लिए आदेश को वापस हाई कोर्ट को भेज दिया. हालांकि, शीर्ष अदालत ने आदेश दिया कि दोषसिद्धि के निलंबन का लाभ फिलहाल जारी रहेगा. अदालत के समक्ष फैज़ल का प्रतिनिधित्व करते हुए, वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने तर्क दिया कि सांसद के रूप में चुने जाने के बाद प्राथमिकी संशोधित कर उसमें हत्या के लिए प्रयुक्त हथियार के रूप में लोहे की रॉड को शामिल किया गया था.
सिब्बल ने आगे कहा कि यह दो राजनीतिक दलों, एनसीपी और कांग्रेस के बीच की लड़ाई थी. फैजल जहां एनसीपी से हैं, वहीं सभी गवाह कांग्रेस कार्यकर्ता हैं. सिब्बल ने कहा, "सत्र न्यायाधीश ने पाया कि कोई स्वतंत्र गवाह नहीं है." सिब्बल ने आगे कहा कि फैजल के निर्वाचन क्षेत्र लक्षद्वीप को बिना प्रतिनिधित्व के नहीं रहने दिया जाना चाहिए. शीर्ष अदालत ने सजा पर रोक लगाते हुए लक्षद्वीप प्रशासन और शिकायतकर्ता से जवाब मांगा.
जनवरी में, लक्षद्वीप के कावारत्ती की एक सत्र अदालत ने 2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान दिवंगत केंद्रीय मंत्री पी.एम. सईद के दामाद मोहम्मद सलीह की हत्या के प्रयास के लिए फैज़ल को सजा सुनाई. इसके बाद 25 जनवरी को फैजल को लोकसभा से निलंबित कर दिया गया.
सत्र अदालत ने फैज़ल को 10 साल के लिए कठोर कारावास की सजा सुनाई. उच्च न्यायालय ने मार्च में मामले में उनकी दोषसिद्धि और सजा को निलंबित कर दिया था. फिर शिकायतकर्ता और लक्षद्वीप प्रशासन ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया.
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