मोदी सरकार ने महिलाओं का किया उत्थान, योजनाओं से बदली जिंदगी, आंकड़े दे रहे गवाही

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 12-03-2025
Modi government uplifted women, schemes changed lives, statistics are giving testimony
Modi government uplifted women, schemes changed lives, statistics are giving testimony

 

नई दिल्ली
 
केंद्र में साल 2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से महिलाओं का लगातार उत्थान हो रहा है. केंद्र की मोदी सरकार ने महिलाओं के सशक्तिकरण को एक प्रमुख उद्देश्य बना लिया है. खासकर ग्रामीण इलाकों में, जहां महिलाएं पारंपरिक रूप से सीमित अवसरों का सामना करती रही हैं.
 
केंद्र सरकार ने कई योजनाओं के माध्यम से देश की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं. इन योजनाओं ने न केवल ग्रामीण महिलाओं को कौशल प्रशिक्षण दिया, बल्कि उन्हें परिवार और समुदाय में अपनी भूमिका को मजबूत करने का अवसर भी प्रदान किया है.
 
रूरल सेल्फ-एंप्लॉयमेंट ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट के माध्यम से सरकार ने ग्रामीण महिलाओं को कौशल प्रशिक्षण और खुद को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई अवसर प्रदान किए हैं. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर 'इंफो इन डाटा' की ओर से साझा की गई जानकारी के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2020 में 2.02 लाख महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया.
 
इस दौरान 2.74 लाख महिलाओं ने खुद को स्थिर किया। वित्तीय वर्ष 2021 में 1.39 लाख महिलाओं को प्रशिक्षण दिया गया, इस दौरान 2.07 लाख महिलाओं ने खुद को स्थिर किया.इसी तरह, वित्तीय वर्ष 2022 में 2.12 लाख महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया.
 
इस दौरान 2.57 लाख महिलाओं ने खुद को स्थिर किया। वित्तीय वर्ष 2023 में 2.73 लाख महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया. इस दौरान 3.32 लाख महिलाओं ने खुद को स्थिर किया. वित्तीय वर्ष 2024 में 2.90 लाख महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया.
 
इस दौरान 3.60 लाख महिलाओं ने खुद को स्थिर किया. वित्तीय वर्ष 2025 (दिसंबर 2024 तक) में 2.50 लाख महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया. इस दौरान 3.83 लाख महिलाओं ने खुद को स्थिर किया.
 
इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि रूरल सेल्फ-एंप्लॉयमेंट ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट के माध्यम से महिलाओं की भागीदारी में निरंतर वृद्धि हो रही है. यह केवल उनकी व्यक्तिगत आजीविका में सुधार का कारण नहीं बन रहा, बल्कि महिलाओं को अपने परिवारों और समुदायों के लिए एक सशक्त नेतृत्व के रूप में उभरने का अवसर भी दे रहा है.
 
इसके अलावा, ग्रामीण भारत में स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से प्रशिक्षण और लामबंदी में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी ने उन्हें परिवार और समुदाय को बेहतर जीवनशैली की ओर ले जाने में सक्षम बनाया है. 'इंफो इन डाटा' की ओर से जारी आंकड़ों की मानें तो वित्तीय वर्ष 2020 में कुल 2.47 लाख लोगों को प्रशिक्षित किया गया, जिनमें से 1.27 लाख महिलाएं थीं, जो कुल प्रशिक्षण का 51 प्रत‍िशत थीं.
 
वित्तीय वर्ष 2021 में 38 हजार लोग प्रशिक्षित हुए, जिनमें से 20 हजार महिलाएं थीं, जो कुल का 53 प्रत‍िशत थीं. वित्तीय वर्ष 2022 में 97 हजार लोग प्रशिक्षित हुए, जिनमें से 58 हजार महिलाएं थीं, जो कुल का 60 प्रत‍िशत थीं। वित्तीय वर्ष 2023 में 2.31 लाख लोग प्रशिक्षित हुए, जिनमें से 1.34 लाख महिलाएं थीं, जो कुल का 58 प्रत‍िशत थीं.
 
वित्तीय वर्ष 2024 में 2 लाख लोग प्रशिक्षित हुए, जिनमें से 1.22 लाख महिलाएं थीं, जो कुल का 61 प्रत‍िशत थीं. तो वहीं, वित्तीय वर्ष 2025 (दिसंबर 2024 तक) में 69 हजार लोग प्रशिक्षित हुए, जिनमें से 43 हजार महिलाएं थीं, जो कुल का 62 प्रत‍िशत थीं.
 
इन सभी आंकड़ों से यह साफ है कि मोदी सरकार की योजनाओं ने ग्रामीण महिलाओं के जीवन में एक बड़ा परिवर्तन लाया है. प्रशिक्षण और कौशल विकास के इन प्रयासों से महिलाएं अब केवल अपने परिवारों के लिए नहीं, बल्कि समाज और देश की समृद्धि में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं. इन योजनाओं ने ग्रामीण इलाकों में महिलाओं के आत्मसम्मान, सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़े बदलाव किए हैं.