शहताज खान / पुणे
भेड़ बकरियों को भी हजामत की आवश्यकता होती है, लेकिन गली-कूचों केे सलून इनकी हजामत नहीं कर सकते. भले ही इन्हें महीने-दो महीने में बाल कटवाने की जरूरत नहीं पड़ती. फिर भी साल में एक-दो बार अगर मुंडन हो जाए, तो इनके स्वास्थ्य पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है. समस्या तब उत्पन्न होती है, जब अपनी बारी के लिए इन्हें लम्बी प्रतीक्षा करना पड़ जाए.
मोहम्मद आमिर शाह कोई आम हेयर स्टाइलिस्ट नहीं हैं. इनके हाथ में उस्तरे की जगह एक मशीन होती है, जो कुछ ही समय में पूरे शरीर के बाल साफ करने में सक्षम है. यह इंसानों के नहीं, बल्कि भेड़-बकरियों के हज्जाम हैं.
मुंबई में रहने वाले आमिर शाह पिछले दस साल से यह काम कर रहे हैं. वह बताते हैं कि पूरे मुंबई और आस-पास के शहरों में तीस-पैंतीस लोग ही यह काम करते हैं. काम ज्यादा है और करने वाले बहुत कम हैं. इस लिए भेड़-बकरियों की हजामत कराने के लिए इन जानवरों को पालने वालों को लंबा इंतजार करना पड़ता है.
एक समय था, जब नाई उस्तरा लेकर बच्चों को गंजा करने के लिए घर पर बुलाए जाते थे. आज भी कई अवसरों पर उन्हें आमंत्रण दिया जाता है और कई बार हज्जाम के पास उपलब्ध समय अनुसार ही अपना प्रोग्राम तय करना पड़ता है. लेकिन आम हालात में गली मोहल्लों और सड़कों पर खुले सलून प्रतीक्षा नहीं कराते और अब तो ऑनलाइन भी यह सुविधा उपलब्ध है. समस्या जानवरों की हजामत के समय उत्पन्न होती है.
आमिर शाह फोन पर बुकिंग लेते हैं. उनका कहना है कि वह न केवल मुंबई बल्कि पुणे, नासिक और दूसरे कई शहरों में बकरों के बाल और नाखून काटने के लिए जाते रहते हैं. वह बताते हैं कि कई बार उनके ग्राहकों को लंबा इंतजार करना पड़ता है. अगस्त और सितंबर में काम ज्यादा होता है, क्योंकि सर्दियां आने तक जानवरों के बाल दुबारा आ जाते हैं. इसलिए दिसंबर से दो तीन महीने पहले प्रतीक्षा कतार बहुत लंबी हो जाती है.
उन्होंने कहा कि मुझे अपना काम बहुत पसंद है. यह हमारा खानदानी पेशा है. मैं हर रोज कई किलोमीटर की यात्रा करता हूं. आमिर आगे कहते हैं कि वो कभी भी खाली नहीं होते हैं. हर सुबह वो अपने औजार लेकर भेड़ बकरियों की हजामत के लिए घर से निकल जाते हैं. मुंबई में वह अपने ताया के साथ रहते हैं.
भेड़ बकरियां पालने वाले आम लोग और व्यापारी भलीभांति जानते हैं कि साल में दो से तीन बार जानवरों के बाल कटवाने से उनकी ग्रोथ बहुत तेजी से होती है. त्वचा पर होने वाली बीमारियों का भी निवारण हो जाता है. जानवर अच्छा महसूस करते हैं.
आमिर का कहना है कि सर्दियों में जानवरों के बाल साफ नहीं कराना चाहिए. साथ ही गर्मी आने से पहले अगर बाल कटवाए जाएं, तो जानवरों की सेहत के लिए भी फायदेमंद होता है. आमिर बताते हैं कि मैं फार्म पर भी भेड़ बकरियों के बाल काटने जाता हूं और जो लोग घरों में जानवर पालते हैं, उनके लिए भी अपनी सेवा देता हूं.
जब उनसे आवाज-द वॉयस ने पूछा कि इस काम से उन्हें कितनी आय होती है, तो उन्होंने बताया कि डेढ़ से दो हजार तक एक दिन में मिल जाते हैं, लेकिन यह मुझ पर निर्भर है कि मैं प्रतिदिन कितना काम करता हूं.
यह कहा जाता है कि जरूरत इजाद की मां है. जब जरूरत महसूस हुई, तो भेड़ बकरियों की हजामत करने वालों के काम को आसान बनाने के लिए छोटी-छोटी मशीनें तैयार हो गई. पहले जो काम करने में पूरा दिन लगता था, अब मशीनों के द्वारा कुछ ही देर में पूरा हो जाया है.
आमिर कहते हैं कि यही कारण है कि अब मैं इन मशीनों के द्वारा एक ही दिन में कई जगह जाकर जल्दी और अधिक काम कर पाता हूं. जानवरों के लिए जगह जगह अस्पताल और मेडिकल क्लिनिक मोजूद हैं, लेकिन जानवरों की हजामत करने वालों की संखया आज भी काफी कम है. इसी लिए जानवरों को हेयर कटिंग की सुविधा मिलने में समय लग जाता है.