बरेली. ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने भारत में अल्पसंख्यकों की धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिका की रिपोर्ट को खारिज किया है. मौलाना ने कहा कि अमेरिकी रिपोर्ट गुमराह करने वाली है. खुद अमेरिका के अंदर मानव अधिकारों का हनन होता है. वो अपने घर के मुद्दों को न देखकर भारत के अंदर झांकने की कोशिश कर रहा है. भारत में अल्पसंख्यक खुद को सुरक्षित और स्वतंत्र समझते हैं. यहां संविधान के अधीन और भारतीय परंपराओं के तहत अल्पसंख्यक समुदाय के लोग आजादी के साथ अपने धार्मिक कार्यक्रम हमेशा करते रहते हैं.
अमर उजाला की एक रिपोर्ट के अनुसार, मौलाना ने कहा कि अमेरिका अपनी दोहरी नीति के तहत विभिन्न देशों को आपस में लड़ाता रहता है. इसका हालिया उदाहरण फलस्तीन और इस्राइल की जंग है. एक तरफ इस्राइल को असलाह और बारुद देकर फलस्तीनी मुसलमानों को बेतहाशा कत्लेआम करा रहा है, वहीं दूसरी तरफ गाजा के मुसलमानों को खाने के लिए पैकेट भी भेजा रहा है. एक तरफ येरुशलम जाकर अमेरिकी राष्ट्रपति इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की पीठ थपथपाते हैं, तो वहीं दूसरी तरफ फलस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास से मिलकर जंगबंदी की बचकाना तसल्ली देते हैं.
शहाबुद्दीन रजवी ने कहा कि हिंदुस्तान और पाकिस्तान के संदर्भ में देखें, तो इस तनाव के पीछे अमेरिका का हाथ नजर आएगा. अफगानिस्तान में तालिबान को परवान चढ़ाने में 20 साल का लंबा अरसा गुजार कर बहुत आसानी के साथ एक रणनीत के तहत पूरे अफगानिस्तान को तालिबान के हवाले कर दिया. सबसे बड़ा उदाहरण दुनिया के साथ रूस और यूक्रेन की जंग है. इसलिए अमेरिका इंसानियत की दुहाई देकर भारत को बदनाम करने की कोशिश न करें. मुस्लिम जमात अमेरिकी रिपोर्ट को खारिज करती है.
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