मंसूरुद्दीन फरीदी / नई दिल्ली
यहूदी रब्बी ईजेकील इसाक मालेकर ने कहा कि इजरायल-हमास युद्ध या संघर्ष दो देशों के बीच नहीं है. ऐसा नहीं है कि मुसलमान और यहूदी आपस में लड़ रहे हैं. ऐसा भी नहीं है कि ये लड़ाई इजराइल और फिलिस्तीनियों के बीच है, ये आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई है, ये एक संगठन के खिलाफ लड़ाई है. मैं आतंकवाद को किसी धर्म से नहीं जोड़ रहा हूं. यहूदी और मुसलमान भाई-भाई हैं. अनगिनत धार्मिक समानताओं के साथ हमारा भगवान एक है.
रब्बी ईजेकील इसाक मालेकर ने आवाज-द वॉयस से एक बातचीत में मध्य पूर्व की स्थिति पर ये विचार व्यक्त किये. जो देश की राजधानी में एकमात्र यहूदी पूजा स्थल, सिनेगॉग के प्रमुख हैं. यह सिनेगॉग दिल्ली में दस से कम परिवारों के एक छोटे यहूदी समुदाय को जोड़ता है और यहूदी परंपराओं को जीवित रखता है.
रब्बी ईजेकील से इसहाक ने कहा कि. मैं आपको बता रहा हूं कि धर्म का मुद्दा इसलिए नहीं है, क्योंकि हम एक ही हैं. चाहे इस्लाम हो, यहूदी धर्म हो या ईसाई धर्म, हम सब एक हैं. एक जड़, एक तना और अलग-अलग शाखाएं हैं. मुसलमान हजरत इब्राहीम को मानते हैं, हजरत इशाक को मानते हैं और हजरत याकूब को मानते हैं, हजरत मूसा को मानते हैं और हजरत सलमान को मानते हैं.
उन्होंने कहा कि हम मुसलमानों को अपना भाई मानते हैं, हम सब हजरत इब्राहीम के वंशज हैं. हम इब्राहीम कहते हैं, आप हजरत इब्राहीम कहते हैं. यहूदी कहते हैं जैकब, फिर आप हजरत याक़ूब कहते हैं. वे यूसुफ कहते हैं, आप लोग हजरत यूसुफ कहते हैं.
हम अपने रिश्ते-नाते भूल गए हैं, हम भाई-भाई हैं. ये खून का रिश्ता है, हमारा भगवान एक है, और क्या रिश्ता चाहिए? हमें बस राजनीति और धार्मिक नफरत से बचना है, क्योंकि ज्ञान की कमी के कारण हम गुमराह हो जाते हैं. यह एकरूपता बता रही है कि हम एक ईश्वर को मानने वाले हैं, फिर यह विवाद क्यों हो रहा है. मैं भगवान से प्रार्थना करता हूं कि इस समस्या का समाधान हो और ये नफरत जल्द खत्म हो.
ये इस्लाम नहीं है
उनका कहना है कि चाहे हमास हो या आतंकवाद का कोई अन्य रूप, वह इस्लाम या मुसलमानों का प्रतिनिधित्व या व्याख्या नहीं कर सकता. आतंक था. अब इजराइल ने जवाबी कार्रवाई की है और निर्दोष लोग शहीद हो रहे हैं.
एक ही रास्ता है कि आतंकवाद छोड़ दिया जाए और फिर इजराइली सरकार और फिलिस्तीनी अथॉरिटी साथ बैठकर समस्या का समाधान करें. इसमें संयुक्त राष्ट्र भी शामिल हो सकता है. ऐसी कोई समस्या नहीं है, जिसे दुनिया में सुलझाया नहीं जा सकता, रास्ते में शांति का होना जरूरी है.
उन्होंने कहा कि इस युद्ध में जो हो रहा है, वो अमानवीय है. ये सब नहीं होना चाहिए. शांति आवश्यक है. जब तक शांति नहीं होगी, तब तक कोई भी समस्या हल नहीं होगी. यह समस्या ऐसी है कि हम शांति की बहाली के लिए प्रार्थना कर सकते हैं. मेरा मानना है कि धर्म और राजनीति अलग-अलग हैं. बेशक एक ही सिक्के के दो पहलू हो सकते हैं.
मैं बहुधार्मिक समाज का समर्थक हूं
रब्बी का कहना है कि मैं इस विचार में विश्वास करता हूं कि सभी धर्मों को एक साथ रहना होगा. मैं दिल्ली में रहता हूं और देश की राजधानी में होने वाले हर बहु-विश्वास सम्मेलन में शामिल होता हूं. प्रार्थना करता हूं. उन्होंने कहा कि मैं अजमेर शरीफ जा रहा हूं. इस्लाम के पैगम्बर से लेकर ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की शिक्षाओं तक, सूफी विचारों पर चर्चा होती है.
उन्होंने कहा कि दिल्ली में मेरे दोस्तों का दायरा बहुत बड़ा है, खासकर मुसलमानों के बीच. पुरानी दिल्ली में मेरे कई दोस्त हैं, मैं उन सभी से मिलने जाता हूं. मुझे मौलाना वहीदुद्दीन खान बहुत पसंद थे. मैं पवित्र कुरान की शिक्षाओं पर चर्चा करता हूं मेरे मित्रों से. एक यहूदी त्योहार है, जिसमें हम आठ चरखे या दीपक जलाते हैं. मैं हर दिन एक धर्म के व्यक्ति को आमंत्रित करता हूं.
वह कहते हैं, ‘‘मैंने दिल्ली के यहूदियों के साथ अपनी परंपराओं को बनाए रखते हुए आधुनिक समाज के साथ चलने की कोशिश की है.’’ उन्होंने अब तक 15 अंतरधार्मिक शादियां कराई हैं. वे किसी भी साथी से अपने जीवनसाथी का धर्म परिवर्तन करने के लिए नहीं कहते हैं. वह आगे कहते हैं कि समय के अनुसार हमें अपना नजरिया बदलना चाहिए. ऐसा केवल यहूदी धर्म में ही नहीं, बल्कि सभी धर्मों में होना चाहिए.
जामिया मिलिया का आशीर्वाद
रब्बी कहते हैं कि मेरी एक बेटी है, जिसने वकील या कोई अन्य पेशा अपनाने के बजाय जनसंचार करने का फैसला किया. वह जामिया मिलिया की एकमात्र यहूदी छात्रा हैं. यह जामिया मिलिया का आशीर्वाद है कि उन्हें अपनी मंजिल मिल गई.
उनका कहना है कि उस वक्त लोग कहते थे कि ये कैसे होगा. एक यहूदी लड़की जामिया मिलिया इस्लामिया में कैसे पढ़ सकती है? लेकिन ऐसा हुआ और मेरी बेटी की सहेलियां इस यहूदी आराधनालय में आती थीं. वह मुझसे प्रार्थनाएं और पूजा-पद्धति की जानकारी मांगते थे.
रब्बी ने कहा कि मुझे जामिया मिलिया में मुसलमानों और यहूदियों के बीच धार्मिक सहिष्णुता और दोस्ती पर व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित किया गया था. मैंने एक बार बताया था कि मेरी बेटी हमेशा त्योहारों, शादियों में मुस्लिम दोस्तों से मिलने उनके घर जाती थी
, लेकिन वह शाकाहारी है. इसलिए मुस्लिम दोस्त सब्जियों की व्यवस्था करते थे. यह सम्मान और ईमानदारी है. मेरी बेटी ने अफगानिस्तान में मारे गए दानिश के साथ मास्टर्स किया है. वह भी आता था. ये सभी बच्चे इस आराधनालय में आते थे.
हम भारतीय हैं
उन्होंने आवाज-द वॉयस से बातचीत में कहा कि यहूदी 2000 साल पहले भारत आए थे और यह एकमात्र देश है, जहां उन्हें यहूदियों को विरोधी भावना और उत्पीड़न का सामना नहीं करना पड़ा. हम अपने आप को भारतीय मानते हैं, क्योंकि हमें इस भूमि पर कभी किसी धोखे या छल का सामना नहीं करना पड़ा.
यही भारत की खूबसूरती है. चाहे हिंदू हो या मुस्लिम, मेरी सभी से मित्रता और निकटता है. यहूदी समुदाय स्थानीय संस्कृति के साथ एकीकृत हो गए हैं और उन्होंने क्षेत्रीय रीति-रिवाजों, परंपराओं, पोशाक शैलियों और भाषा को अपनाया है.
उनका कहना है कि 1940 के दशक में भारत में यहूदियों की आबादी करीब 50,000 थी. तब से कई यहूदी इजराइल, यूके, यूएसए, कनाडा जैसे अन्य देशों में चले गए हैं. अनुमान है कि वर्तमान में भारत में केवल 6000 यहूदी रहते हैं. दिल्ली में केवल दस परिवार रहते हैं. फिर भी यहूदी भारतीय समाज और इसकी संस्कृति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
हुमायूँ रोड पर येहुदा हयाम सिनेगॉग का उद्घाटन 1950 के दशक में किया गया था और उन्होंने 1980 के दशक से इसका रखरखाव किया है. ईजेकील इसाक दिल्ली से पहले पुणे में रहते थे और 1980 में स्वास्थ्य मंत्रालय की नौकरी के कारण राजधानी आए थे.
पुणे में वह सुकाथ शिलोमो सिनेगॉग के सचिव थे. जिज्ञासावश हिंदू, ईसाई और इस्लाम जैसे अन्य धर्मों के धर्मग्रंथों का अध्ययन किया. मालेकर ने हिंदू धर्मग्रंथों को बेहतर ढंग से समझने के लिए संस्कृत भी सीखी. उन्होंने एक यहूदी बुजुर्ग के अनुरोध पर दिल्ली में एक सरकारी घर छोड़ दिया और एक आराधनालय में चले गए, और अभी भी 67 साल पुराने आराधनालय और 100 साल पुराने यहूदी कब्रिस्तान की देखभाल कर रहे हैं.
रब्बी ईजेकील इसाक मालेकर एक वकील भी हैं, जिन्होंने भारत के 5 पूर्व मुख्य न्यायाधीशों के साथ काम किया है. उन्होंने चार किताबें भी लिखी हैं. उन्हें कई महत्वपूर्ण पुरस्कार मिले हैं. वे विश्व योग समुदाय, न्यूयॉर्क, यूएसए द्वारा यहूदी कल्याण के के लिए शांति राजदूत मार्टिन लूथर पुरस्कार, इंटरफेथ लीडरशिप पुरस्कार और विश्व शांति ट्रस्टी शांति लोटस से सम्मानित हैं.
उन्होंने कहा कि मेरे परिवार के कई सदस्य विदेश, इजराइल, ऑस्ट्रेलिया और में भी हैं. कुछ कनाडा चले गए. हालाँकि, वे अपनी मातृभूमि से दूर नहीं जाना चाहते हैं. वे कहते हैं कि इजराइल मेरे दिल में है, लेकिन भारत मेरे खून में है.