नई दिल्ली/बरेली
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) के खिलाफ तीखे आरोप लगाते हुए ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने सोमवार को कहा कि बोर्ड अपने मूल उद्देश्य से भटक चुका है और अब उसे राजनेताओं ने "हाईजैक" कर लिया है.
मौलाना रजवी का यह बयान तब सामने आया जब एआईएमपीएलबी ने दिल्ली के जंतर मंतर पर वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू किया. इस प्रदर्शन में कांग्रेस सहित ग्यारह विपक्षी दलों ने हिस्सा लिया, जो इस विधेयक को लेकर सरकार पर आरोप लगा रहे थे कि वह वक्फ संपत्तियों को जब्त करने की साजिश कर रही है.
🔴LIVE from JANTAR MANTAR Maha Dharna against Waqf Amendment Bill by AIMPLB https://t.co/QGPomLSRyQ
— All India Muslim Personal Law Board (@AIMPLB_Official) March 17, 2025
वक्फ विधेयक पर मौलाना रजवी का दृष्टिकोण
वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 को लेकर चल रहे विवाद के बीच मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने अपनी बात रखते हुए कहा कि एआईएमपीएलबी का मुख्य उद्देश्य कभी भी राजनीतिक विरोध या आंदोलनों का हिस्सा बनना नहीं था.
उनका कहना था कि बोर्ड का गठन मुस्लिम समुदाय के सामाजिक मामलों और शरिया से संबंधित मुद्दों को सुलझाने के लिए किया गया था, लेकिन अब वह अपने मूल उद्देश्य से दूर हो चुका है. उन्होंने यह भी कहा कि आजकल बोर्ड में ऐसे लोग शामिल हैं जो राजनीतिक दलों से जुड़े हुए हैं और उनकी प्राथमिकताएं अब राजनीतिक संघर्षों और गठबंधनों के आसपास घूमती हैं.
राजनीतिक हस्तक्षेप और एआईएमपीएलबी की दिशा
मौलाना रजवी ने स्पष्ट रूप से कहा कि पहले मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड में कोई राजनीतिक हस्ती नहीं होती थी, लेकिन आजकल इसमें समाजवादी पार्टी, कांग्रेस, और यहां तक कि एआईएमआईएम के नेता जैसे असदुद्दीन ओवैसी के करीबी लोग भी शामिल हैं.
उन्होंने कहा कि इससे यह साफ होता है कि बोर्ड अब शरिया और समाज के मुद्दों से हटकर राजनीति में उलझ गया है, जो मुस्लिम समुदाय की वास्तविक चिंताओं को नजरअंदाज कर रहा है. उनका कहना था कि यह हाईजैकिंग मुस्लिम समुदाय के लिए लंबे समय में न केवल खतरनाक बल्कि विनाशकारी साबित हो सकती है.
वक्फ विधेयक और उसकी भूमिका
वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 में वक्फ संपत्तियों के कुप्रबंधन, भ्रष्टाचार और अतिक्रमण जैसे मुद्दों को सुधारने के लिए डिजिटलीकरण, पारदर्शिता और बेहतर ऑडिट जैसे सुधारों का प्रस्ताव है. इस विधेयक के तहत, वक्फ संपत्तियों की अवैध कब्जेदारी को फिर से कब्जे में लेने और संपत्तियों को बेहतर तरीके से नियोजित करने के लिए कानूनी तंत्र को मजबूत करने की योजना है.
हालांकि, इस विधेयक को लेकर विभिन्न राजनीतिक दलों और संगठनों से तीव्र विरोध हो रहा है, जो इसे मुस्लिम समुदाय की संपत्तियों पर सरकार का अतिक्रमण मानते हैं. मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने इस प्रदर्शन को लेकर भी अपनी चिंताएं जाहिर कीं और आरोप लगाया कि एआईएमपीएलबी राजनीतिक दलों के प्रभाव में आकर केवल सांप्रदायिक मुद्दों को उठाने में व्यस्त है.
वक़्फ़ संशोधन बिल भारत के धर्म निरपेक्ष लोकतांत्रिक सिद्धांतों के खिलाफ है और भारतीय संविधान का स्वरूप 12 से 35 मे मौजूद बुनियादी अधिकारों का उनलंघन करता है। साथ ही यह बिल 25 करोड़ से ज्यादा अल्पसंखियांक नागरिको के भावनाओ को कष्ट देने के बराबर है। अर्थात हम इसे पूरी तरह अस्वीकार…
— All India Muslim Personal Law Board (@AIMPLB_Official) March 17, 2025
मौलाना रजवी की चेतावनी
मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने इस दौरान चेतावनी दी कि यदि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अपनी दिशा को ठीक नहीं किया और अपनी प्राथमिकताएं राजनीति से हटाकर समाजिक और शरिया मुद्दों पर केंद्रित नहीं की, तो यह मुस्लिम समुदाय के लिए एक बहुत बड़ी समस्या बन सकती है.
उनका मानना था कि अगर बोर्ड को लेकर इस प्रकार के राजनीतिक हस्तक्षेप जारी रहे, तो यह पूरी तरह से समुदाय की वास्तविक समस्याओं को नजरअंदाज करेगा और मुस्लिम समाज के हित में काम करने में विफल हो जाएगा.
मौलाना शहाबुद्दीन रजवी की यह टिप्पणी एआईएमपीएलबी द्वारा वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 के खिलाफ किए गए प्रदर्शन की पृष्ठभूमि में महत्वपूर्ण है. उनका आरोप है कि बोर्ड ने अपना मूल उद्देश्य छोड़ दिया है और अब इसे राजनीतिक दलों ने हाईजैक कर लिया है.
इस प्रकार के विरोध और राजनीतिक हस्तक्षेप से बोर्ड की प्रामाणिकता पर सवाल उठ रहे हैं. मुस्लिम समाज के नेताओं और संगठनों को इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है, ताकि मुस्लिम समुदाय के वास्तविक मुद्दों को प्राथमिकता दी जा सके और उनकी संस्कृति, धर्म और अधिकारों का संरक्षण सुनिश्चित किया जा सके.