भक्ति चालक
हिजाब पहने एक युवती आत्मविश्वास से मुंब्रा की सड़कों पर ट्रैफिक का नियोजन करती है. दो साल पहले उसका ये वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था . रमजान के दौरान यह युवती अपनी महिला साथियों के साथ रात 1.30 से 2.00 बजे तक मुंब्रा जैसे मुस्लिम बहुल इलाके में ट्रैफिक का नियोजन कर रही थीं. सामाजिक क्षेत्र में कार्यरत यह बहादुर और प्रभावी नेता हैं मुंब्रा की मरजिया शानू पठान.
राजनीति हो या सामाजिक कार्य, महिलाओं की सक्रिय भागीदारी हमेशा से चर्चा का विषय रही है. इसी तरह मर्झिया अपने काम की वजह से हमेशा सुर्खियों में रहती हैं. वह अल्पसंख्यक समाज के समस्या और मुद्दों पर आवाज उठा रही है. मरजिया के सामाजिक कार्यों को ध्यान में रखते हुए उन्हें राष्ट्रवादी विद्यार्थी कांग्रेस- शरदचंद्र पवार पार्टी ने राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष के पद से नवाजा है.
मरजिय पठान पिछले कुछ समय से सामाजिक और सांस्कृतिक कार्य में सबसे आगे रही हैं. नागरिक मुद्दों के लिए लड़ने वाली मरजिया पठान को हाल ही में राष्ट्रवादी विद्यार्थी कांग्रेस- शरदचंद्र पवार पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में चुना गया है. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद पवार और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव जितेंद्र आव्हाड ने उन्हें नियुक्ति पत्र दिया था.
राष्ट्रवादी विद्यार्थी कांग्रेस- शरदचंद्र पवार पार्टी का राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष चुने जाने के बाद आवाज-द वॉयस से बात करते हुए मर्झिया ने कहा, “मुझे पार्टी से बड़ा पद और बड़ी जिम्मेदारी मिली है. इसके जरिए मैं युवाओं और छात्रों के लिए खासकर शिक्षा के क्षेत्र में और अधिक काम करना चाहता हूं. साथ ही छात्रों के कई सवालों का भी समाधान करना चाहती हुं.”
शिक्षा के क्षेत्र में कठिनाइयों के संबंध में मर्झिया बताती हैं, “आजकल छात्रों को आर्थिक तंगी के कारण कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. छात्रों को सरकारी शिष्यवृत्ती दिलाने की दिशा में और अधिक प्रयास करने होंगे. समाज के जरूरतमंद लोगोंके लिए सरकार द्वारा अक्सर महत्वपूर्ण योजनाओं की घोषणा की जाती है. लेकिन नागरिकों में शिक्षा की उदासीनता या जानकारी के उचित प्रसार के अभाव के कारण योजनाओं की जानकारी अधिक लोगों तक नहीं पहुंच पाती है. इसलिए ऐसे कोई भी व्यक्ति योजना से वंचित न रहे इसके लिए मैं और अधिक प्रयास करूंगी. आज की युवा पीढ़ी सीखेगी तभी हमारा देश महाशक्ति बनेगा. इसलिए मैं युवाओं की समस्याओं को हल करने के लिए अधिक इच्छुक रहूंगी.”
राष्ट्रवादी कांग्रेस- शरदचंद्र पवार पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव जितेंद्र आव्हाड ने एक कार्यक्रम में मरजिया के काम पर भरोसा जताते हुए कहा था, “पाकिस्तान में स्वात घाटी पर तालिबान के कब्जे के बाद मलाला यूसुफजई ने अपने शिक्षा के अधिकार के लिए लड़ाई लड़ी थी. 2012 में उन्हें अपनी लड़ाई की कीमत सिर में गोली लगने से चुकानी पड़ी थी . लेकिन इसके बाद भी वह फिर खड़ी हुईं और शिक्षा पर अपना अधिकार जताया. इसके बाद मुंब्रा में महिला शिक्षा के अधिकार के लिए एक मोर्चा निकाला गया और उस मोर्चा का नेतृत्व 10-12 साल की मरजिया ने किया था. तब से मैं उसका काम देख रहा हूँ. मेरा दृढ़ विश्वास है कि यह लड़की न केवल मुंब्रा, बल्कि पूरे महाराष्ट्र का नेतृत्व करेगी.”
मरजिया पठान के बारे में
मरजिया को ठाणे शहर में एक युवा झुझारू कार्यकर्ता के रूप में जाना जाता है. वह ठाणे नगर निगम के पूर्व विपक्षी नेता अश्रफ शानू पठान की बेटी हैं. बाप-बेटी की ये जोड़ी कई सालों से ठाणे शहर के बुनियादी मुद्दों पर काम कर रही है. वे पानी, कूड़ा, स्वास्थ्य, महिला उत्पीड़न जैसे मुद्दों के समाधान के लिए लगातार आवाज उठा रहे हैं. इस बीच, सामाजिक मुद्दों पर उनके आंदोलन के कारण मुंब्रा और ठाणे शहरों की कई समस्याओं का समाधान हुआ है.
मरजिया ने एमएसपी केयर फाउंडेशन के माध्यम से सामाजिक कार्य शुरू किया. उच्च शिक्षित मरजिया छात्रों की समस्याओं को प्रशासन के समक्ष प्रस्तुत करने में सबसे आगे है. इसके अलावा छात्रों और युवाओं को संविधान के प्रति जागरूक करने के लिए वो विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करती हैं. मरजिया के नेतृत्व में मुंब्रा क्षेत्र के नागरिकों के लिए हर महीने नेत्र जांच शिविर आयोजित किए जाते हैं. इसके माध्यम से वरिष्ठ नागरिकों की मोतियाबिंद सर्जरी भी निःशुल्क की जाती है.
मदरसों की लड़ाई
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने कुछ दिन पहले सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर सिफारिश की थी कि राज्य सरकारें मदरसों को फंड देना बंद कर दें. पत्र में सिफारिश की गई कि मदरसों और मदरसा बोर्डों को दी जाने वाली सरकारी फंडिंग रोक दी जाए और मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों का पंजीकरण किया जाए. उस समय यह मामला राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित हुआ था. हालाँकि, सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में मदरसों को बंद करने की एनसीपीसीआर की सिफारिश पर रोक लगा दी है.
मरजिया ने मदरसों में पढ़ाई बंद होने से रोकने के लिए अपने स्तर पर भी कोशिश की थी . उन्होंने पूरे जोश के साथ वीडियो के जरिए यह समझाने की कोशिश की थी कि मदरसों में शिक्षा व्यवस्था, उन्हें मिलने वाली सरकारी फंडिंग तकनीकी तौर पर क्यों जरूरी है . उनका यह वीडियो भी वायरल हुआ था.
मरजिया के इसी काम को देखते हुए उन्हे कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया है. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की रणभूमि में मर्झिया को यह पद दिए जाने से एनसीपी-शरद चंद्र पवार की पार्टी को खास तौर पर फायदा होगा. मरजिया का सामाजिक कार्य, चुनौतीयों से दो हाथ कर उनसे रास्ता निकालने जा जज्बा, उनका मजबूत जनसंपर्क और सोशल मीडिया की छवि से पार्टी को संगठनात्मक विकास तो होगा ही, पर साथ ही विधानसभा चुनावों के प्रचार में भी पार्टी को इसका विशेष लाभ होगा.
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