महाराष्ट्र चुनाव : 10 मुस्लिम बहुल निर्वाचन क्षेत्रों में जीते ‘ये’ उम्मीदवार

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 04-12-2024
‘These’ candidates won in 10 Muslim majority constituencies
‘These’ candidates won in 10 Muslim majority constituencies

 

प्रज्ञा शिंदे

2024 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों के परिणामों ने बहुतों को चौंका दिया. लोकसभा चुनावों में महाविकास आघाड़ी ने एक शानदार जीत हासिल की, जबकि विधानसभा चुनावों में महायुति ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की. इन दोनों चुनावों में मुस्लिम बहुल निर्वाचन क्षेत्रों का महत्वपूर्ण योगदान रहा. इसलिए, इन क्षेत्रों से आए परिणामों पर सभी की नजरें थीं, क्योंकि लोकसभा चुनावों में इन क्षेत्रों ने एक अलग ही मोड़ लिया था.

लोकसभा चुनावों में मुस्लिम मतदाताओं ने महाविकास आघाड़ी को भरपूर समर्थन दिया था. लेकिन विधानसभा चुनावों में एक बार फिर महाविकास आघाड़ी ने मुस्लिम समुदाय के राजनीतिक प्रतिनिधित्व की अनदेखी की, जिससे समुदाय में असंतोष था. चुनाव के दौरान ‘बटेंगे तो कंटेंगे’ और ‘वोट जिहाद’ जैसे नारे महायुति के खिलाफ भ्रम उत्पन्न कर रहे थे. इसी भ्रम के बीच मोदी के ष्एक है तो सेफ हैष् नारे ने कमाल कर दिया. हालांकि, इस बात को लेकर लोगों में यह जिज्ञासा बनी रही कि मुस्लिम मतदाता इस बार किसे वोट देंगे.

महाराष्ट्र में 38 निर्वाचन क्षेत्र ऐसे हैं, जहां मुस्लिम आबादी 20ः से अधिक है. आइए जानते हैं इस विशेष रिपोर्ट में कि इन 10 मुस्लिम बहुल निर्वाचन क्षेत्रों के मतदाता ने किसे वोट दिया.

मालेगांव सेंट्रल

मालेगांव सेंट्रल निर्वाचन क्षेत्र में सबसे अधिक मुस्लिम मतदाता हैं. यहां असली मुकाबला था मौलाना मुफ्ती मोहम्मद इस्माइल (एआईएमआईएम) और आसिफ शेख (इस्लाम पार्टी) के बीच. काउंटिंग काफी रोमांचक रही. पहले राउंड में आसिफ शेख, जो श्इस्लामश् पार्टी के संस्थापक और पूर्व विधायक हैं, आगे थे. लेकिन काउंटिंग के 15वें राउंड के बाद मौलाना मुफ्ती मोहम्मद इस्माइल ने बढ़त बनाई. आखिरी दौर में मौलाना मुफ्ती मोहम्मद इस्माइल ने 1,09,653 वोटों से जीत दर्ज की, जबकि आसिफ शेख ने 1,09,491 वोट प्राप्त किए, और उन्हें सिर्फ 162 वोटों से हार मिली.

मुंबई मध्य

मुंबई मध्य में 53 फीसद मुस्लिम मतदाता हैं. यहां महायुति के मजबूत प्रदर्शन के बावजूद, कांग्रेस ने इस सीट पर जीत हासिल की. कांग्रेस के उम्मीदवार आमीन पटेल ने शिवसेना की शायना एन.सी. को 34,844 वोटों से हराया. आमीन पटेल ने 74,990 वोटों से यह सीट जीती. 2019 के चुनावों में भी आमीन पटेल ने यह सीट जीती थी और इस बार भी वह पुनः निर्वाचित हुए.

भिवंडी पश्चिम

भिवंडी पश्चिम में 52 फीसद मुस्लिम मतदाता हैं. यहां बीजेपी ने जीत दर्ज की. बीजेपी के उम्मीदवार महेश प्रभाकर चौगुले ने समाजवादी पार्टी के आजमी रियाज मुकीमुद्दीन को 31,293 वोटों से हराया. महेश चौगुले को 70,172 वोट मिले, जबकि आजमी रियाज मुकीमुद्दीन को 38,879 वोट मिले. इस सीट पर बीजेपी का मजबूत दबदबा था.

मानखुर्द शिवाजी नगर

मानखुर्द शिवाजी नगर में 51 फीसद मुस्लिम मतदाता हैं. यहां दो प्रमुख मुस्लिम नेताओं के बीच मुकाबला था. अबू आजमी, जो तीन बार के विधायक रहे हैं, को एनसीपी के नवाब मलिक से चुनौती मिली थी. नवाब मलिक ने मुकाबला कड़ा किया था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा. नवाब मलिक चौथे स्थान पर रहे, उन्हें 15,501 वोट मिले. अबू आजमी ने 54,780 वोटों से जीत हासिल की. उन्होंने एआईएमआईएम के आतिक अहमद खान (42,027 वोट) और शिवसेना के सुरेश पाटिल (35,263 वोट) को हराया. अबू आजमी ने अपनी चौथी बार जीत हासिल की और 12,753 वोटों से जीत दर्ज की.

भिवंडी ईस्ट

भिवंडी ईस्ट में 50 फीसइ मुस्लिम मतदाता हैं. समाजवादी पार्टी के रईस कसम खान ने शिवसेना के संतोष शेट्टी को 67,672 वोटों से हराया. रईस कसम खान ने दूसरी बार जीत हासिल की. रईस कसम खान को 1,19,687 वोट मिले, जबकि संतोष शेट्टी को 67,672 वोट मिले. इस निर्वाचन क्षेत्र में आठ उम्मीदवार एक हजार वोट भी हासिल नहीं कर पाए.

बायकुला

बायकुला निर्वाचन क्षेत्र में 43 फीसद मुस्लिम मतदाता हैं. महायुति इस क्षेत्र में हार गई, जबकि कांग्रेस के यामिनी जाधव को केवल 48,772 वोट मिले. शिवसेना उद्धव ठाकरे के मनोज जामसुतकर ने 80,133 वोटों से जीत दर्ज की और यह सीट उद्धव ठाकरे के शिवसेना के खाते में गई.

मुंब्रा-कलवा

मुंब्रा-कलवा में जितेंद्र आव्हाड, जिन्होंने तीन बार इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था, को चुनौती मिली. जितेंद्र आव्हाड ने शरद पवार के साथ गठबंधन किया था, जबकि नजीब मुल्ला और आनंद परांजपे अजीत पवार के साथ शामिल हो गए थे. नजीब मुल्ला ने जितेंद्र आव्हाड को चुनौती दी, लेकिन वे लगभग एक लाख वोटों से हार गए. नजीब मुल्ला को 60,821 वोट मिले, जबकि जितेंद्र आव्हाड को 1,56,675 वोट मिले. उन्होंने अपनी चौथी बार जीत दर्ज की.

औरंगाबाद ईस्ट

औरंगाबाद ईस्ट में 40 फीसद मुस्लिम मतदाता हैं. यहां बीजेपी ने जीत हासिल की. इम्तियाज जलील, जो पूर्व सांसद थे, ने कड़ी टक्कर दी थी, लेकिन बीजेपी के अतुल सेव ने उन्हें हराया. अतुल सेव ने 93,274 वोट हासिल किए, जबकि इम्तियाज जलील को 91,113 वोट मिले और उन्हें केवल 2,161 वोटों से हार का सामना करना पड़ा. कांग्रेस के लाहू हनमंत राव शेवले भी भारी अंतर से हार गए.

औरंगाबाद सेंट्रल

इस निर्वाचन क्षेत्र में 37 फीसद मुस्लिम मतदाता हैं. यहां शिवसेना और शिवसेना उद्धव ठाकरे के उम्मीदवारों के बीच मुकाबला था. शिवसेना उद्धव ठाकरे के डॉ. बालासाहेब थोराट को शिवसेना महायुति के जयस्वाल प्रदीप शिवनारायण ने हराया. जयस्वाल प्रदीप ने 85,459 वोट हासिल किए और यह सीट महायुति के पक्ष में बनी.

परभणी

परभणी में 36 फीसद मुस्लिम मतदाता हैं. यहां शिवसेना के डॉ. राहुल वेदप्रकाश पटिल ने शिवसेना के आनंद भरोजे को 34,216 वोटों से हराया. डॉ. राहुल पटिल को 1,26,803 वोट मिले, जबकि आनंद भरोजे को 92,587 वोट मिले. डॉ. राहुल पटिल ने परभणी में शिवसेना की जीत का सिलसिला बरकरार रखा.

मुस्लिम बहुल निर्वाचन क्षेत्रों में महायुति की जीत

महाराष्ट्र में 38 निर्वाचन क्षेत्र हैं, जहां मुस्लिम आबादी 20 फीसद से अधिक है. इनमें से महायुति ने 22 निर्वाचन क्षेत्रों में जीत दर्ज की. बीजेपी ने 14 सीटें जीतीं, जबकि शिवसेना ने 6 सीटें जीतीं. अजित पवार के नेतृत्व में एनसीपी ने इन मुस्लिम बहुल निर्वाचन क्षेत्रों में दो सीटें जीतीं.

वहीं, महाविकास आघाड़ी महज 13 सीटों पर ही जीत दर्ज कर पाई. शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) ने 6 सीटें जीतीं, जबकि एनसीपी (शरद पवार गुट) ने 2 सीटें जीतीं. कांग्रेस ने 2019 में 11 सीटें जीती थीं, लेकिन इस बार वह सिर्फ 5 सीटें ही जीत सकी. कांग्रेस का प्रदर्शन अन्य निर्वाचन क्षेत्रों में भी कमजोर रहा, और उसके वोट शेयर में भारी गिरावट आई.

एआईएमआईएम का निराशाजनक प्रदर्शन

यह चुनाव एआईएमआईएम के लिए निराशाजनक साबित हुआ. 2019 में पार्टी ने 2 सीटें जीती थीं. लेकिन इस बार 16 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली एआईएमआईएम को सिर्फ मालेगाव मध्य की सीट ही जीतने में सफलता मिली है. मुफ्ती इस्माइल ने इस सीट पर केवल 162 वोटों से जीत हासिल की है. अन्य सीटों पर एआईएमआईएम का प्रदर्शन कमजोर रहा. एआईएमआईएम का प्रदर्शन लगातार गिर रहा है. औरंगाबाद पूर्व से चुनाव लड़ने वाले पार्टी के प्रमुख नेता इम्तियाज जलील को बीजेपी के उम्मीदवार से हार का सामना करना पड़ा है. मालेगाव मध्य सीट पर उनकी जीत का अंतर भी बहुत कम हुआ है.

मुस्लिम बहुल निर्वाचन क्षेत्रों में बीजेपी की विशेष रणनीति

मुस्लिम बहुल सीटों पर बीजेपी ने अपनी रणनीति जोर-शोर से लागू की थी. अंधेरी पश्चिम, भिवंडी पश्चिम, नागपुर मध्य और सोलापुर मध्य जैसी महत्वपूर्ण सीटों को जीतकर बीजेपी ने यह साबित कर दिया कि वह मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में भी प्रवेश करने में सक्षम है. बीजेपी की व्यापक संगठनात्मक क्षमता और सहयोगी पार्टियों के साथ अच्छा समन्वय इसका परिणाम है.

नई विधानसभा में भी मुस्लिम प्रतिनिधित्व जैसे का तैसा

2019 की तरह इस बार भी विधानसभा में 10 मुस्लिम विधायक चुने गए हैं. इनमें कांग्रेस के अमीन पटेल, असलम शेख और सज्जाद पठाण, राष्ट्रवादी के हसन मुश्रीफ और सना मलिक, शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट के हारून खान, शिवसेना के अब्दुल सत्तार, एआईएमआईएम के मुफ्ती इस्माइल और समाजवादी पार्टी के अबू आजमी और रईस शेख शामिल हैं. हालांकि, दूसरी ओर नवाब मलिक और जीशान सिद्दीकी जैसे कई बड़े मुस्लिम नेताओं को इस बार हार का सामना करना पड़ा है.