उज्जैन. मध्य प्रदेश के उज्जैन जिला प्रशासन ने निजामुद्दीन कॉलोनी में तोड़फोड़ अभियान चलाया, जिसमें महाकाल मंदिर कॉरिडोर परियोजना के विस्तार की सुविधा के लिए मस्जिद तकिया समेत 250 घरों और अवैध संरचनाओं को हटाया गया.
इस तोड़फोड़ में लगभग 257 स्थायी संरचनाएं ढाई हेक्टेयर भूमि पर बनाई गई थीं. स्थानीय प्रशासन ने इस बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे की पहल के लिए मार्ग प्रशस्त करने हेतु प्रभावित निवासियों को कथित तौर पर 33 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया है.
विध्वंस का प्राथमिक उद्देश्य मंदिर की सुविधाओं को बढ़ाने के लिए अतिरिक्त स्थान प्रदान करना है, जिसमें पार्किंग स्थल और प्रवचन हॉल का डिजाइन और निर्माण शामिल है. यह अभियान 2028 के अनुमानित उज्जैन सिंहस्थ (कुंभ) आयोजन के लिए भी लक्षित है, जिसके लिए व्यापक शहरी प्रक्रिया का काम लंबित है.
अतिरिक्त जिला कलेक्टर अनुकूल जैन और अतिरिक्त एसपी नितेश भार्गव की देखरेख में बुलडोजर और चीनी मिट्टी की मशीनों की मदद से ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया को अंजाम दिया गया.
स्थानीय अधिकारियों ने विध्वंस को सुचारू रूप से आगे बढ़ाने और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए एक विशाल पुलिस बल जुटाया. प्रशासन ने कथित तौर पर अभियान से पहले निवासियों को सूचित किया था, ताकि उन्हें विस्थापन के लिए तैयार होने के लिए कुछ समय मिल सके.
इंडियन एक्सप्रेस ने उज्जैन के जिला कलेक्टर नीरज सिंह के हवाले से बताया, ‘‘257 स्थायी ढांचों में से 17-18 को छोड़कर बाकी सभी (जिनमें एक धार्मिक ढाँचा भी शामिल है) हटा दिए जाएँगे, क्योंकि भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और वहाँ के निवासियों को 33 करोड़ रुपए का भुगतान किया जा चुका है. हालाँकि, जिन ढांचों के मालिकों या रहने वालों को न्यायालय से स्थगन मिल गया है, उन्हें नहीं छुआ जाएगा.’’