लखनऊ : सात समंदर पार 'इंग्लैंड-अमेरिका' जाएगा काला नमक चावल

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 26-07-2024
 Kala Namak rice sowing
Kala Namak rice sowing

 

लखनऊ. भगवान बुद्ध के महाप्रसाद कहा जाने वाला काला नमक चावल विदेशों की सैर पर निकलने वाला है. उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा इसे ओडीओपी घोषित करने के बाद इसके क्रेज में लगातार इजाफा हो रहा है.  

पिछले तीन साल में तीन गुने से अधिक का रिकॉर्ड एक्सपोर्ट लक्ष्य हासिल करने वाले काला नमक चावल को लगभग सात दशक बाद इंग्लैंड और पहली बार अमेरिका भेजने की तैयारी पूरी हो चुकी है.

इसके पहले नेपाल, सिंगापुर, जर्मनी, दुबई आदि देशों को भी काला नमक चावल का निर्यात किया जा चुका है. सरकार की तैयारी के मुताबिक इस वर्ष पहली बार इंग्लैंड और अमेरिका को 5-5क्विंटल काला नमक चावल का निर्यात होगा. कृषि विशेषज्ञों के अनुसार इंग्लैंड तो काला नमक चावल के स्वाद और सुगंध का मुरीद रह चुका है.

बात करीब सात दशक पुरानी है. तब, गुलाम भारत में देश भर में अंग्रेजों के बड़े-बड़े फॉर्म हाउस हुआ करते थे. ये इतने बड़े होते थे कि इनके नाम से उस क्षेत्र की पहचान जुड़ जाती थी. मसलन बर्डघाट, कैंपियरगंज आदि. सिद्धार्थनगर भी इसका अपवाद नहीं रहा. उस समय सिद्धार्थनगर में अंग्रेजों के फॉर्म हाउसेज में काला नमक धान की बड़े पैमाने पर खेती होती थी. अंग्रेज, काला नमक चावल के स्वाद और सुगंध से वाकिफ थे. इन खूबियों के कारण इंग्लैंड में काला नमक चावल के दाम भी अच्छे मिलते थे. तब जहाज के जहाज चावल इंग्लैंड भेजे जाते थे.

लगभग सात दशक पहले जमींदारी उन्मूलन के बाद यह सिलसिला क्रमशः कम होता गया और आजादी मिलने के बाद खत्म ही हो गया. उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने जबसे काला नमक धान को सिद्धार्थनगर का 'एक जिला, एक उत्पाद' (ओडीओपी) घोषित किया है, तबसे देश और दुनिया में इसकी मांग लगातार बढ़ रही है. स्वाद, सुगंध में बेमिसाल और पौष्टिकता में परंपरागत चावलों से बेहतर काला नमक धान के चावल के क्रेज में अभी बढ़ोत्तरी होने का अनुमान लगाया जा रहा है.

राज्यसभा में 17दिसंबर 2021को दिए गए आंकड़ों के अनुसार 2019/2020में इसका निर्यात 2फीसद था. अगले साल यह बढ़कर 4फीसद हो गया. 2021/2022में यह 7फीसद रहा.

काला नमक धान को केंद्र में रखकर पिछले दो दशक से काम कर रही गोरखपुर की संस्था पीआरडीएफ (पार्टिसिपेटरी रूरल डेवलपमेंट फाउंडेशन) के चेयरमैन पदमश्री डॉ. आरसी चौधरी के अनुसार पिछले दो वर्षो के दौरान उनकी संस्था ने सिंगापुर को 55टन और नेपाल को 10टन काला नमक चावल का निर्यात किया. इन दोनों देशों से अब भी लगातार मांग आ रही है. कुछ मात्रा में दुबई और जर्मनी को भी इसका निर्यात हुआ है. पीआरडीएफ के अलावा भी कई संस्थाएं काला नमक चावल के निर्यात में लगी हैं.

डॉ. चौधरी के अनुसार निर्यात का प्लेटफार्म बन चुका है. आने वाले समय में यह और बढ़ेगा. दुनिया का एकमात्र प्राकृतिक चावल, जिसमें वीटा कैरोटिन के रूप में विटामिन ए उपलब्ध है. अन्य चावलों की तुलना में इसमें प्रोटीन और जिंक की मात्रा अधिक है. जिंक, दिमाग और प्रोटीन हर उम्र में शरीर के विकास के लिए जरूरी है. ग्लाईसेमिक इंडेक्स कम (49 से 52 प्रतिशत) होने से इसे शुगर के रोगियों के लिए भी मुफीद माना जाता है. 

 

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