शाहनवाज आलम/ गुरुग्राम
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की एक पहचान अदब-ओ-एहतराम के साथ प्रणब दा के रूप में हमेशा रही है. प्रणब मुखर्जी का निधन हुए एक साल हो गया है, लेकिन आज भी पूर्व राष्ट्रपति हजारों लोगों को किस्मत चमका रहे है.
देश के पिछड़े राज्यों में शुमार मुस्लिमबहुल जिला नूंह (मेवात) को विकसित जिले के श्रेणी में लाने के लिए प्रणब मुखर्जी फाउंडेशन वहां के गांवों को गोद लेकर विकसित करने में अब भी जुटा हुआ है. विकास कामों का खास फायदा यहां के हजारों मुसलमानों को बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सशक्तिकरण के रूप में मिल रहा है.
जिला प्रशासन के मुताबिक, जुलाई 2016 में प्रणब मुखर्जी ने हरियाणा के पांच गांवों को स्मार्ट विलेज में बदलने के लिए गोद लिया था. इसमें चार गांव गुरुग्राम के और एक गांव नूंह जिले का रोजकामेव था.
इसके बाद 2017 में प्रणब मुखर्जी फाउंडेशन की नींव रखते हुए पाटुका, पीपाका, किरूरी, कोराली समेत नूंह जिले के 20 गांवों को गोद लिया गया.
राष्ट्रपति कार्यालय की सीधी निगरानी और खुद प्रणब दा की दिलचस्पी होने के कारण गांवों की तस्वीर बदल गई और यहां रहने वाले हजारों लोगों की तकदीर. हरियाणा सरकार की सभी योजनाएं सही तरीके से लागू होने से भी हजारों लोगों को लाभ हुआ.
प्रणब मुखर्जी फाउंडेशन के सलाहकार सुनील जगलान का दावा है कि प्रणब दा के गांव गोद लेने के बाद यहां पर 24 घंटे बिजली की व्यवस्था हो गई. पानी की दिक्कत को दूर करने के लिए वाटर एटीएम लगाए गए. लड़कियों के पढ़ने के लिए लाडो पुस्तकालय शुरू किए गए. गांवों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए ई-डॉक्टर की सुवधिा दी गई. इन गांवों के मरीज ऑनलाइन डॉक्टर से बातचीत कर इलाज का लाभ लेते है. तीन आयुष केंद्र मेवात में शुरू किए गए.
सुनील जगलान का कहना है, “मेवात में शिक्षा की स्थिति ठीक नहीं है. सरकारी स्कूलों में ड्रॉप आउट रेट अधिक है. इसे रोकने के लिए 2017 से मेवात में प्रणब दा के नाम से दस पाठशालाएं चल रही है. इन स्कूलों में ऑनलाइन एजुकेशन की व्यवस्था है. इसके अलावा शिक्षा का स्तर सुधारने और शिक्षकों की कमी को पूरा करने के लिए स्कूलों की जरूरत के अनुसार फाउंडेशन की जानिब से जेबीटी व बीएड टीचर भी अस्थायी तौर पर रखे गए थे.”
पाटुका के तत्कालीन सरपंच अंजुम आरा कहती हैं, “मरहूम प्रणब दा द्वारा गांव गोद लेने के बाद यहां बहुत बदलाव आए है. बुनियादी सुविधाओं में सुधार हुआ है. गांवों के युवाओं को सबल बनाने के लिए समय-समय पर स्किल ट्रेनिंग भी दी जाती है. यहां अब बदलाव दिख रहा है.”