तिरुवनंतपुरम. मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के खिलाफ आरोप लगाने के कारण सत्तारूढ़ सीपीआई(एम) के नेतृत्व वाले लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट से निकाले जाने के बाद दो बार के लेफ्ट समर्थित निर्दलीय विधायक पी.वी. अनवर ने अब कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ का दामन थामना शुरू कर दिया है.
2016 में कांग्रेस के दिग्गज नेता आर्यदान मोहम्मद के चुनावी राजनीति छोड़ने के बाद अनवर मलप्पुरम जिले के नीलांबुर विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.
2016 के विधानसभा चुनावों में अनवर ने मोहम्मद के बेटे आर्यदान शौकत को हराया था और 2021 के चुनावों में कांग्रेस उम्मीदवार वी.वी. प्रकाश को हराकर सीट बरकरार रखी. दोनों ही मौकों पर अनवर ने लेफ्ट समर्थित निर्दलीय विधायक के तौर पर चुनाव लड़ा और पिछले साल सितंबर तक सब कुछ ठीक रहा, जब उन्होंने सीएम विजयन के दो करीबी सहयोगियों - एडीजीपी एम.आर. अजितकुमार और राजनीतिक सचिव पी. शशि के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए.
सीएम विजयन द्वारा अनवर के अनुरोध को नजरअंदाज करने के बाद, अनवर ने अपना गुस्सा अनवर के खिलाफ निकाल दिया और जल्द ही उन्हें सत्तारूढ़ एलडीएफ से बाहर कर दिया गया. रविवार (5 जनवरी) को, यह झगड़ा उस समय और बढ़ गया जब पुलिस ने अनवर को उनके गृह नगर नीलांबुर में प्रदर्शनकारियों के एक समूह का नेतृत्व करने के लिए गिरफ्तार कर लिया, जहाँ एक व्यक्ति को जंगली हाथी ने कुचलकर मार डाला था.
जमानत मिलने के एक दिन बाद, अनवर ने सीएम विजयन के खिलाफ युद्ध की घोषणा की और घोषणा की कि उनका एकमात्र एजेंडा विजयन को मुख्यमंत्री पद से हटाना है. अनवर ने कहा, ‘‘मैं अब कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ के सभी नेताओं से संपर्क करूंगा और पहले कदम के तौर पर मैंने इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (यूडीएफ में दूसरा सबसे बड़ा सहयोगी) के सर्वोच्च नेता से मुलाकात की है और अब विपक्ष के नेता वी.डी. सतीशन और यूडीएफ के सभी प्रमुख नेताओं से मुलाकात करूंगा.’’
सतीशन अनवर से नाराज हैं, क्योंकि पिछले साल अनवर ने विधानसभा में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे. तब से सतीशन ने अनवर के साथ युद्ध की घोषणा कर दी है. सतीशन ने कहा, ‘‘मैं यूडीएफ का अध्यक्ष हूं और मीडिया से मेरा अनुरोध है कि हमें अपने मामले तय करने दें. कृपया बेबुनियाद खबरें न दें. अनवर का मुद्दा यूडीएफ के सामने आया ही नहीं.’’
नाम न बताने की शर्त पर एक मीडिया आलोचक ने कहा, ‘‘केरल में पिछले कई दशकों से यह चलन देखने को मिल रहा है कि जब कोई पार्टी या विधायक किसी एक राजनीतिक मोर्चे से रिश्ता खत्म करने का फैसला करता है, तो अगला विकल्प विपक्ष में शामिल होना होता है और अनवर यही करने की कोशिश कर रहे हैं. अनवर के मामले में कांग्रेस का एक वर्ग अनवर को अपने पाले में लाने के लिए उत्सुक नहीं है. लेकिन यह काम आईयूएमएल कर सकती है, क्योंकि अनवर की राजनीतिक जमीन मुस्लिम बहुल मलप्पुरम जिला है, जहां आईयूएमएल-- जो पिछले कई सालों से सत्ता से बाहर है,अनवर को नाराज करने का जोखिम नहीं उठाएगी. इसलिए इस साल के अंत में होने वाले स्थानीय निकाय चुनाव और अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर आईयूएमएल अनवर के लिए मैदान में उतरने जा रही है.’’
केरल विधानसभा का बजट सत्र इस महीने के आखिर में शुरू होने वाला है. पिछले आठ सालों से कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ विपक्ष पर हमला करने में वामपंथियों की ओर से सक्रिय रहे अनवर ने सीएम विजयन को चुनौती देने के बाद अपनी रणनीति में बदलाव किया है.
मंगलवार को उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य के वन अधिनियम में वाम सरकार द्वारा प्रस्तावित संशोधन ‘खतरनाक’ और ‘जनविरोधी’ हैं. उन्होंने कहा कि वे इसका विरोध करने में कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ के साथ खड़े होंगे. अनवर ने यूडीएफ से वन अधिनियम संशोधन विधेयक का विरोध करने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि आदिवासियों और पहाड़ी इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए काम करने पर ध्यान केंद्रित करना समय की मांग है, क्योंकि इससे विपक्ष को सत्ता में वापस आने में मदद मिलेगी.