नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में 'जम्मू कश्मीर एंड लद्दाख थ्रू द एजेस' किताब का विमोचन किया गया. इस मौके पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी मौजूद रहे. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कश्मीर का नाम बदलने का भी संकेत दिया. शाह ने कहा कि अगर हमें भारत को समझना है तो हमें उन तथ्यों को समझना होगा जो इस देश को बांधे हुए हैं.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत का इतिहास हजारों साल पुराना है और परतंत्रता के काल में हमें इसे भुलाने की कोशिश की गई. यह झूठ फैलाया गया कि यह देश कभी एक नहीं हो सकेगा और लोगों ने इसे स्वीकार कर लिया. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए गृह मंत्री ने कहा कि हमारे देश का इतिहास हजारों साल पुराना है. विश्व की सभ्यता को कुछ न कुछ देने के लिए हर कोने से अनेक गतिविधियाँ हुईं. लेकिन हमारी गुलामी के कालखंड में इसे भुलाने की, हमारे जातीय विश्वास को तोड़ने की बहुत कोशिशें की गईं. झूठ फैलाया गया कि देश कभी एकजुट नहीं था. देश की आजादी की कल्पना ही बेमानी है, क्योंकि देश कभी था ही नहीं। कई लोगों ने इस झूठ को स्वीकार कर लिया. जब हम इसकी जड़ों तक जाते हैं तो हमें एहसास होता है कि ब्रिटिश काल में लिखे गए इतिहास में कोई बुरी मंशा नहीं होगी. लेकिन सीमित ज्ञान के कारण देश के बारे में उनका विवरण ग़लत था. एक तरह से दुनिया के अधिकांश देशों का अस्तित्व एक भू-राजनीतिक अस्तित्व है.
अमित शाह ने औपनिवेशिक युग के उस झूठ का खंडन किया जिसने भारत के इतिहास को विकृत किया और गहरे सांस्कृतिक संबंधों पर जोर दिया जो देश को कश्मीर से कन्याकुमारी, गांधार से ओडिशा और बंगाल से असम तक एकजुट करता है.