कश्मीरः कुम्हार मुहम्मद उमर दिवाली के लिए बना रहे 20 हजार दीपक

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 05-11-2023
Kashmir: Potter Muhammad Umar is making 20 thousand lamps for Diwali.
Kashmir: Potter Muhammad Umar is making 20 thousand lamps for Diwali.

 

श्रीनगर. सांप्रदायिक सद्भाव के स्पष्ट संकेत में, एक कश्मीरी मुस्लिम कुम्हार आधी रात को तेल जलाकर दिवाली के लिए दीपक तैयार कर रहा है, क्योंकि उसे रोशनी के इस त्योहार से पहले बीस हजार दीपक तैयार करने हैं. 

मुहम्मद उमर श्रीनगर के बाहरी इलाके निशात के निवासी हैं. वे अपनी समय सीमा को पूरा करने के लिए चैबीसों घंटे काम कर रहे हैं. एक ऊर्जावान उद्यमी उमर घाटी में मिट्टी के बर्तन बनाने की कला को पुनर्जीवित करने की कोशिश कर रहे हैं.

उमर ने एएनआई से बात करते हुए कहा, ‘‘ईद के दौरान, वे (हिंदू) हमारे लिए उत्पाद बनाते हैं और उन्हें रोजगार मिलता है. इसी तरह, दिवाली के दौरान, हम उनके लिए उत्पाद बनाते हैं और रोजगार पाते हैं.’’

अपने जैसे कारीगरों के लिए दिवाली के आर्थिक महत्व के बारे में बोलते हुए, उमर ने कहा, ‘‘जब दिवाली आती है, तो हमें रोजगार भी मिलता है. जिस व्यक्ति को हम ये दीये बेचेंगे, वह इन्हें थोक में बेच रहा होगा, और उसे लाभ होगा. जब दिवाली आती है तो हम बहुत खुश होते हैं, क्योंकि हमें थोक में अॉर्डर मिलते हैं.’’

उमर का मानना है कि अगर जम्मू-कश्मीर में कला रूपों को पुनर्जीवित किया जाए, तो घाटी में बेरोजगारी की समस्या खत्म हो जाएगी. उमर ने कहा, ‘‘अगर हम कश्मीर में उन कला रूपों को जीवंत करते हैं जो लुप्त हो रहे हैं या ख़त्म हो गए हैं, तो बेरोजगारी अपने आप ख़त्म हो जाएगी.’’

उमर ने स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद अपनी पारिवारिक कला को पुनर्जीवित करने का फैसला किया. उन्होंने अपने पिता से मिट्टी के बर्तन बनाने की कला सीखी. उन्होंने कहा, ‘‘मिट्टी के बर्तन बनाना हमारी पारिवारिक परंपरा है. मेरे दादा और पिता भी मिट्टी के बर्तन बनाने का काम करते हैं. मैंने मिट्टी के बर्तन बनाना अपने पिता से सीखा. बी.कॉम पूरा करने के बाद, मैंने अपनी पारिवारिक परंपरा को आगे बढ़ाने और इस कला को पुनर्जीवित करने का फैसला किया, जो कश्मीर में गिरावट पर है.’’

कश्मीरी उद्यमी ने कहा कि जब लोगों को प्लास्टिक से बनी दैनिक आवश्यक वस्तुओं के उपयोग के दुष्प्रभावों के बारे में पता चला तो उनके उत्पादों की मांग बढ़ गई. उमर ने कहा, ‘‘जब लोगों को प्लास्टिक उत्पादों के उपयोग के दुष्प्रभावों के बारे में पता चला, तो हमारे उत्पादों (मिट्टी के बर्तनों की वस्तुओं) की मांग बढ़ गई. लोगों को समझ में आया कि प्लास्टिक से बने बर्तनों की तुलना में मिट्टी के बर्तनों, गिलासों के उपयोग का कोई दुष्प्रभाव नहीं है.’’

अपने अॉर्डर के बारे में बात करते हुए उमर ने कहा, ‘‘पिछले साल हमें 15000 दीयों का अॉर्डर मिला था. इस साल हमने 20,000 दीयों के अॉर्डर की तैयारी की है. 5,500 दीये तैयार हैं. दिवाली में कुछ ही दिन बचे हैं. इसलिए हम ऐसा करेंगे, इस बार 20,000 से अधिक दीयों को पूरा करने में सक्षम... हम 9 तारीख तक दीयों के उत्पादन पर काम करेंगे.’’

दिवाली रोशनी का त्योहार है. यह आध्यात्मिक ‘अंधकार पर प्रकाश की, बुराई पर अच्छाई की और अज्ञान पर ज्ञान की जीत’का प्रतीक है. दिवाली हर साल कार्तिक महीने के 15वें दिन अमावस्या (या अमावस्या) को मनाई जाती है. इस साल दिवाली 12 नवंबर को मनाई जाएगी.