आवाज-द वॉयस / श्रीनगर
श्रीनगर स्थित कश्मीर आर्ट एम्पोरियम में रविवार को ‘अपने कारीगर को जानें’ पहल के तहत दो दिवसीय प्रदर्शनी का समापन हुआ. हस्तशिल्प और हथकरघा विभाग द्वारा आयोजित प्रदर्शनी में यानी कैलीग्राफी सुलेख का मनमोहक प्रदर्शन हुआ, जिसने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों के आगंतुकों को मंत्रमुग्ध और प्रेरित किया.
इस कलात्मक असाधारण कार्यक्रम के केंद्र में दो मास्टर कैलीग्राफर थे, जिनमें से प्रत्येक अपनी अनूठी शैली के साथ शोकेस में बड़ी संख्या में दर्शकों को आकर्षित कर रहे थे. पहले कलाकार, 67 वर्षीय मोहम्मद शफी मीर, उत्तरी कश्मीर के बारामूला जिले के रहने वाले हैं. वह पेपर कैलीग्राफी में माहिर हैं. जटिल और विस्मयकारी टुकड़े बनाने के लिए पारंपरिक ऑन-पेपर दृष्टिकोण को नियोजित करते हैं.
दूसरी ओर, मध्य कश्मीर का श्रीनगर जिला दूसरे कलाकार 40 वर्षीय शाहनवाज अहमद सोफी का घर है. शाहनवाज अहमद सोफी ने कैलीग्राफी और कालीन बुनाई के अपने उल्लेखनीय मिश्रण के लिए प्रशंसा प्राप्त की है, जो एक विशिष्ट मिश्रण तैयार करता है जो दर्शकों और कला प्रेमियों को समान रूप से मंत्रमुग्ध कर देता है. मीर की शास्त्रीय कुशलता और सोफी के माध्यमों के अभिनव संयोजन का मेल प्रदर्शनी का मुख्य आकर्षण बन गया, जिसने हर तरफ से ध्यान आकर्षित किया और प्रशंसा की.
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आगंतुकों को रचनात्मकता की दावत दी गई और यह कार्यक्रम कश्मीर की कलात्मक विरासत के सार से गूंज उठा. इससे पहले, प्रदर्शनी का उद्घाटन करते हुए, हस्तशिल्प और हथकरघा निदेशक महमूद अहमद शाह ने कला को बढ़ावा देने और केंद्र शासित प्रदेश के प्रतिभाशाली कलाकारों का समर्थन करने में ऐसी प्रदर्शनियों के गहरा महत्व व्यक्त किया.
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस आयोजन का प्राथमिक उद्देश्य उभरते कलाकारों को एक मंच देना और क्षेत्र में कला के विकास को बढ़ावा देना है. शाह ने बताया, ‘‘यह हमें नए बाजार तलाशने में मदद करता है और इसके द्वारा हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि हमारा शिल्प उन स्थानों तक पहुंचे, जहां यह अभी तक नहीं पहुंचा है.’’
यह कार्यक्रम सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता के लिए यूनेस्को क्रिएटिव सिटीज नेटवर्क में श्रीनगर की मान्यता के प्रमाण के रूप में भी काम करता है. नवीन कला रूपों का प्रदर्शन और स्थानीय कारीगरों के लिए एक मंच प्रदान करके, शहर रचनात्मकता और शिल्प कौशल के केंद्र के रूप में चमक रहा है.
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प्रदर्शनी को आगंतुकों से गर्मजोशी और उत्साहपूर्ण प्रतिक्रिया मिली, जिन्होंने इस तरह की पहल को अत्यधिक स्वागत योग्य पाया. एक आगंतुक सुहैल सलीम ने टिप्पणी की, ‘‘ये पहल स्वागत योग्य हैं और न केवल हमारी समृद्ध कला और संस्कृति को संरक्षित करने में बल्कि प्रतिभाशाली कलाकारों को वह पहचान दिलाने में भी मददगार हैं जिसके वे वास्तव में हकदार हैं.’’
ऐसी दुनिया में जो लगातार विकसित हो रही है, पारंपरिक कला रूपों को संरक्षित करना और नई कलात्मक अभिव्यक्तियों को अपनाना सर्वोपरि हो गया है. कश्मीर आर्ट एम्पोरियम की सुलेख प्रदर्शनी क्षेत्र के जीवंत कलात्मक समुदाय और रचनात्मकता को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता के प्रमाण के रूप में खड़ी है. जब प्रशंसा से भरे दिलों के साथ दर्शक प्रदर्शनी से बाहर निकले, तो एक बात बिल्कुल स्पष्ट हो गई कि कला में बाधाओं को पार करने, दूरियों को पाटने और दिलों को एकजुट करने की शक्ति है.