कर्नाटक में मुस्लिम ठेकेदारों के लिए 4% कोटा मंजूर

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 16-03-2025
Karnataka approves 4% quota for Muslim contractors
Karnataka approves 4% quota for Muslim contractors

 

आवाज द वाॅयस /नई दिल्ली

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की कैबिनेट ने हाल ही में कर्नाटक पारदर्शिता सार्वजनिक खरीद (केटीपीपी) अधिनियम में संशोधन को मंजूरी दे दी है, जिससे 2 करोड़ रुपये तक की निविदाओं के लिए मुस्लिम ठेकेदारों के लिए 4 प्रतिशत आरक्षण का रास्ता साफ हो गया.

हालांकि, उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार ने  कहा कि यह कोटा सिर्फ मुसलमानों के लिए नहीं बल्कि सभी अल्पसंख्यकों के लिए है. उन्होंने स्पष्ट किया, "अल्पसंख्यकों में ईसाई, जैन, पारसी और सिख भी शामिल हैं." उन्होंने यह भी कहा कि अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए भी अनुबंध आरक्षण प्रदान करने के लिए संशोधन किया गया है.

क्या कहता है संशोधित केटीपीपी अधिनियम?

इस संशोधन में पिछड़ी जातियों की 2बी श्रेणी के लिए चार प्रतिशत आरक्षण को विशेष रूप से अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षित किया गया है। यह सरकारी विभागों, निगमों और एजेंसियों में सार्वजनिक निर्माण अनुबंधों के लिए अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और श्रेणी-1 और श्रेणी-2ए के तहत मौजूदा श्रेणियों के अतिरिक्त है.

संशोधन के तहत अनुबंध मूल्य सीमा को भी 1 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 2 करोड़ रुपये कर दिया गया है, जिससे छोटे ठेकेदारों को अधिक अवसर मिलेंगे.

राजनीतिक प्रतिक्रिया और संभावित प्रभाव

भाजपा का कहना है कि यह नीति धार्मिक आधार पर भेदभावपूर्ण है और इससे समाज में दरार पैदा होगी. वहीं, कांग्रेस का तर्क है कि यह निर्णय सामाजिक न्याय को ध्यान में रखते हुए लिया गया है और इससे पिछड़े अल्पसंख्यक समुदायों को आर्थिक अवसर मिलेंगे.

इस मुद्दे पर राजनीतिक बहस जारी है और आगामी चुनावों में यह एक बड़ा मुद्दा बन सकता है. भाजपा इस फैसले के खिलाफ कानूनी कदम उठाने पर भी विचार कर रही है.

कर्नाटक सरकार द्वारा सार्वजनिक निविदाओं में मुस्लिम ठेकेदारों के लिए 4% आरक्षण देने के फैसले से राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है. भाजपा ने इस कदम की तीखी आलोचना करते हुए इसे "तुष्टिकरण की राजनीति" करार दिया है. आरोप लगाया है कि यह निर्णय कांग्रेस नेता राहुल गांधी के प्रभाव में लिया गया.

भाजपा के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने रविवार को कहा, "कर्नाटक सरकार द्वारा मुसलमानों के लिए 4% आरक्षण को राहुल गांधी के पूर्ण संरक्षण के साथ पारित किया गया है. हम यह पूरी जिम्मेदारी के साथ कह रहे हैं." उन्होंने आगे कहा कि यह निर्णय कांग्रेस की "विभाजनकारी नीति" का हिस्सा है. इससे देशव्यापी प्रभाव पड़ेगा.

भाजपा के ही तेजस्वी सूर्या ने इस कदम को "धर्मांतरण को बढ़ावा देने वाला" करार देते हुए कहा, "यह सरकार सत्ता और सार्वजनिक संसाधनों का दुरुपयोग कर रही है. हमारी अर्थव्यवस्था को राजनीतिक अवसरवाद के लिए खेल का मैदान बना रही है."

रविशंकर प्रसाद ने इसे पूरी तरह असंवैधानिक करार देते हुए कहा कि भारतीय संविधान धर्म-आधारित आरक्षण की अनुमति नहीं देता। उन्होंने तंज कसते हुए पूछा, "क्या आप अब ट्रेन टिकटों पर भी मुसलमानों को आरक्षण देंगे?"

कर्नाटक सरकार के इस फैसले ने देशभर में बहस छेड़ दी है. जहां कांग्रेस इसे सामाजिक न्याय का एक महत्वपूर्ण कदम मान रही है, वहीं भाजपा इसे असंवैधानिक और विभाजनकारी बता रही है. देखना दिलचस्प होगा कि इस विवाद का आगामी राजनीतिक घटनाक्रमों पर क्या प्रभाव पड़ता है.