नई दिल्ली. अधिकारियों ने बताया कि वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की अगली बैठक 27 जनवरी को होने वाली है.
इस बीच, वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 पर संयुक्त संसदीय समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सांसद कल्याण बनर्जी पर उनके खिलाफ ‘असंसदीय’ भाषा का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया. पाल ने कहा कि विपक्षी नेताओं द्वारा कथित रूप से किए गए हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही दो बार स्थगित की गई, जिन्हें जेपीसी बैठक से निलंबित कर दिया गया है.
पाल ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद निशिकांत दुबे ने विपक्षी सांसदों को ‘हंगामा’ करने के लिए निलंबित करने का प्रस्ताव पेश किया, क्योंकि उन्होंने ‘चिल्लाने’ और ‘नारेबाजी’ का सहारा लिया, जिससे बैठक जारी नहीं रह सकी.
जगदंबिका पाल ने एएनआई से कहा, ‘‘हमने सदन को दो बार स्थगित किया. हमने विपक्ष के सुझाव पर ही मीरवाइज उमर फारूक को समय दिया था. कल्याण बनर्जी ने मेरे खिलाफ असंसदीय शब्दों का इस्तेमाल किया और मुझे गाली दी. मैं उनसे आमंत्रितों को बोलने देने का अनुरोध करता रहा. हालांकि, वे हंगामा करने पर अड़े रहे. हमने सदन को बार-बार स्थगित किया, लेकिन वे (विपक्षी सांसद) बैठक जारी नहीं रखना चाहते थे. जम्मू-कश्मीर से एक प्रतिनिधिमंडल आया था, लेकिन वे (विपक्षी सांसद) चिल्लाते रहे और नारे लगाते रहे... इसलिए आखिरकार निशिकांत दुबे को प्रस्ताव लाना पड़ा और सभी ने उन्हें निलंबित करने पर सहमति जताई.’’
जेपीसी बैठक के लिए नोटिस के विषय को बदलने के आरोपों का जवाब देते हुए पाल ने कहा कि एजेंडा केवल आज के लिए बदला गया था और विपक्ष द्वारा किए गए अनुरोधों पर विचार किया गया था, जो चाहते थे कि कश्मीरी मौलवी मीरवाइज उमर फारूक को बैठक में आमंत्रित किया जाए.
पाल ने कहा, ‘‘हमने आज के एजेंडे में केवल विपक्षी नेताओं के अनुरोध पर बदलाव किया, जिन्होंने मुझसे संपर्क किया और कहा कि मीरवाइज को आमंत्रित किया जाना चाहिए और आज के एजेंडे (खंड-दर-खंड चर्चा आयोजित करने) को 27 जनवरी तक स्थानांतरित कर दिया जाना चाहिए.’’
इसके अलावा, दिल्ली विधानसभा चुनावों से पहले जेपीसी कार्यवाही में जल्दबाजी के आरोपों का जवाब देते हुए, वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा कि यह केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू थे जिन्होंने स्पीकर से विधेयक को जेपीसी को भेजने का आग्रह किया था, न कि विपक्ष ने. पाल ने कहा, ‘‘अगर सरकार चीजों में जल्दबाजी करना चाहती थी, तो वह विधेयक को जेपीसी को क्यों भेजती? सरकार के पास लोकसभा और राज्यसभा में बहुमत है. विपक्ष ने ऐसा नहीं किया, लेकिन किरेन रिजिजू ने संसद में इसे पेश करने के बाद खुद स्पीकर से विधेयक को जेपीसी को भेजने का आग्रह किया.’’
उन्होंने कहा, ‘‘मीरवाइज और उनके प्रतिनिधिमंडल ने अपनी चिंताएं व्यक्त कीं और (विधेयक के) कुछ खंडों पर आपत्तियां उठाईं. यह दर्शाता है कि देश में संसदीय लोकतंत्र मजबूत हो रहा है.’’ वक्फ (संशोधन) विधेयक पर जेपीसी द्वारा बजट के दौरान अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने की उम्मीद है. सत्र, संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान समिति का कार्यकाल बढ़ाया गया.
वक्फ संपत्तियों को विनियमित करने के लिए अधिनियमित वक्फ अधिनियम 1995 की लंबे समय से कुप्रबंधन, भ्रष्टाचार और अतिक्रमण जैसे मुद्दों के लिए आलोचना की जाती रही है.
संसद का बजट सत्र 31 जनवरी से शुरू होगा और 4 अप्रैल तक चलेगा, जबकि केंद्रीय बजट 1 फरवरी को पेश किया जाएगा.
वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 का उद्देश्य डिजिटलीकरण, बेहतर ऑडिट, बेहतर पारदर्शिता और अवैध रूप से कब्जे वाली संपत्तियों को वापस लेने के लिए कानूनी तंत्र जैसे सुधारों को पेश करके इन चुनौतियों का समाधान करना है.