आवाज द वॉयस/ नई दिल्ली
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद देशभर में उपजे आक्रोश और निंदा के बीच जम्मू-कश्मीर विधानसभा सोमवार को विशेष सत्र आयोजित कर रही है, जिसमें पीड़ितों के प्रति संवेदना व्यक्त की जाएगी और इस कृत्य की निंदा की जाएगी. इस सत्र में विधानसभा के सभी सदस्य भाग ले रहे हैं, जिनमें विपक्ष के नेता सुनील शर्मा, बारामुल्ला से निर्दलीय विधायक शेख अब्दुल राशिद, आप जम्मू-कश्मीर के अध्यक्ष मेहराज मलिक, नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता मुबारक गुल, जम्मू-कश्मीर के मंत्री जावेद डार, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता वहीद पारा, अवामी इत्तेहाद पार्टी के नेता खुर्शीद अहमद शेख और अन्य शामिल हैं, जो आज सुबह विधानसभा पहुंचे.
विशेष सत्र के बारे में पत्रकारों से बात करते हुए विपक्ष के नेता शर्मा ने कहा कि इस सत्र का एजेंडा हमले में जान गंवाने वाले 26 लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त करना और आतंकवाद से लड़ने और लोगों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए केंद्र सरकार के साथ एकजुट होना है. "सत्र का एजेंडा स्पष्ट है. हम उन 26 लोगों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करेंगे जो अपने जीवन के बेहतरीन पल बिताने के लिए पर्यटक के रूप में यहां आए थे... दुर्भाग्यपूर्ण घटना ने पूरे भारत के लोगों को झकझोर कर रख दिया है और इस हमले के विरोध में हम यहां एकजुट हुए हैं... सत्र का उद्देश्य जम्मू-कश्मीर विधानसभा को आतंकवाद से निपटने के लिए केंद्र सरकार का संदेश पहुंचाना है... आज कोई राजनीतिक चर्चा नहीं होगी, जिसमें देश को बांटने वाली या धार्मिक आधार पर विभाजनकारी चर्चाएं शामिल हैं.
विशेष सत्र केंद्र सरकार को समर्थन और ताकत देता है," शर्मा ने कहा. यह पूछे जाने पर कि क्या सत्र के दौरान हमले पर किसी तरह का प्रस्ताव पेश किया जाएगा, जम्मू-कश्मीर के एलओपी ने कहा, "हमें नहीं पता कि आज यहां किस तरह का प्रस्ताव लाया जाएगा, लेकिन हमने सर्वदलीय बैठक के दौरान सीएम द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव का पूरा समर्थन किया है... अगर वे यहां भी इस तरह का प्रस्ताव लाते हैं, तो हमें बहुत खुशी होगी." इस बीच, आवामी इत्तेहाद पार्टी के नेता खुर्शीद अहमद शेख ने इस मुद्दे पर पाकिस्तान से बातचीत करने और आतंकवादियों से लड़ते हुए अपनी जान कुर्बान करने वाले टट्टू संचालक आदिल के लिए एक स्मारक बनाने का आह्वान किया.
... मलिक ने कहा, "पूरी दुनिया इस हमले की निंदा और शोक मना रही है. आज विधानसभा में इस घटना पर चर्चा करना जरूरी है. आज पूरा देश एकजुट है... सबसे पहले हमें पाकिस्तान को जवाब देना होगा, फिर बातचीत की गुंजाइश बनेगी... हम उन्हें बातचीत से जवाब नहीं देंगे, हमें उन्हें अपनी ताकत दिखानी होगी... सिंधु नदी का पानी हमारी आबादी को प्रभावित किए बिना 3-4 दिनों से ज्यादा स्टोर नहीं किया जा सकता. हमें उनके साथ यह जल युद्ध लड़ने की जरूरत नहीं है... हमारे पास इतनी बड़ी सेना और इतनी बड़ी मात्रा में गोला-बारूद क्यों है? किस लिए? हमें उन्हें एक बार जवाब देना होगा... अगर हम उन्हें अभी जवाब नहीं देते हैं, तो पाकिस्तान चार महीने बाद ऐसी घटना दोहराएगा." यह हमला 2019 के पुलवामा हमले के बाद घाटी में हुए सबसे घातक हमलों में से एक है, जिसमें सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे. पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने सीमा पार आतंकवाद को समर्थन देने के लिए पाकिस्तान के खिलाफ कड़े कदम उठाए हैं.