ओनिका माहेश्वरी/ नई दिल्ली
जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले के प्रसिद्ध पारंपरिक शिल्प बसोहली पश्मीना को हाल ही में प्रतिष्ठित भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग से सम्मानित किया गया है. जी हाँ कश्मीरी पश्मीना को ग्लोबल इंडियन अवॉर्ड से नवाजा गया है. 3 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर के शिल्प बसोहली पश्मीना को भौगोलिक संकेतक GI टैग मिला है. साल 2023 की शुरुआत में जम्मू के राजौरी जिले की बसोहली पेंटिंग और चिकरी की लकड़ी को GI टैग मिला था.
बसोहली पश्मीना, जम्मू के सुरम्य जिले कठुआ से उत्पन्न एक सदियों पुराना पारंपरिक शिल्प है, जिसने हाल ही में प्रतिष्ठित भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग अर्जित किया है. इस मान्यता ने न केवल कारीगरों की असाधारण शिल्प कौशल को जश्न मनाने का मौका प्रदान किया बल्कि इस कारीगर विरासत की प्रामाणिकता और विशिष्टता की भी तरक्की है.
बसोहली पश्मीना की खासियत
बसोहली पश्मीना हाथ से बुने हुए उत्पादों की सुंदरता, कोमलता और हल्के वजन के लिए प्रसिद्ध है. पश्मीना उत्पादों में पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए शॉल, मफलर, कंबल और टोकरी शामिल हैं. बसोहली पश्मीना कठुआ जिले का 100 साल पुराना पारंपरिक शिल्प है. बसोहली पश्मीना उत्पाद पश्मीना बकरी के ऊन से बनते है.
बसोहली पश्मीना- कोमलता की विरासत
बसोहली पश्मीना अपनी कोमलता, सुंदरता और पंख जैसे हल्के वजन के लिए प्रसिद्ध है. पारंपरिक हाथ से कताई तकनीक का उपयोग करके कुशल कारीगरों द्वारा तैयार किया गया, यह उत्तम कपड़ा एक सदी से भी अधिक समय से विलासिता और सुंदरता का प्रतीक रहा है. इसकी पहचान इसकी भारी मात्रा में वृद्धि किए बिना गर्माहट प्रदान करने की उल्लेखनीय क्षमता है, जो इसे ठंडी जलवायु और समझदार फैशन उत्साही लोगों के लिए एक आदर्श विकल्प बनाती है.
बसोहली पश्मीना के असाधारण गुण
इन्सुलेशन गुण: बसोहली पश्मीना अपने उल्लेखनीय इन्सुलेशन गुणों के लिए बेशकीमती है. अपनी हल्की प्रकृति के बावजूद, यह अद्वितीय गर्मी प्रदान करता है, जिससे यह ठंडी सर्दियों के लिए आदर्श साथी बन जाता है.
विस्तारित जीवन: बसोहली पश्मीना का स्थायित्व पौराणिक है. उचित देखभाल के साथ, हाथ से बनाई गई ये रचनाएँ पीढ़ियों तक चल सकती हैं, और पोषित विरासत बन सकती हैं जो शिल्प कौशल और परंपरा की कहानियाँ बताती हैं.
विशिष्टता: बसोहली पश्मीना का प्रत्येक टुकड़ा अद्वितीय है, जिस पर इसे बनाने वाले कारीगर के हस्ताक्षर हैं. यह विशिष्टता इसके आकर्षण को बढ़ाती है और इसे किसी भी अलमारी के लिए एक मूल्यवान जोड़ बनाती है.
पश्मीना उत्पादों की एक श्रृंखला
जबकि बसोहली पश्मीना शॉल सबसे प्रसिद्ध उत्पाद हैं, यह शिल्प विभिन्न प्रकार की वस्तुओं में अपना आकर्षण बढ़ाता है, जिनमें शामिल हैं:
पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए शॉल: बसोहली पश्मीना शॉल किसी भी लिंग तक सीमित नहीं हैं; वे पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए कालातीत सुंदरता का प्रतीक हैं.
मफलर: किसी भी पोशाक में परिष्कार और गर्माहट का स्पर्श जोड़ने के लिए बिल्कुल उपयुक्त, बसोहली पश्मीना मफलर बहुमुखी और स्टाइलिश हैं.
कंबल: बसोहली पश्मीना के इन्सुलेटिंग गुणों को कंबल में उत्कृष्ट उपयोग के लिए रखा जाता है, जो ठंडी रातों के दौरान एक आरामदायक कोकून प्रदान करता है.
टोकरी बनाना: कुछ कारीगरों ने बसोहली पश्मीना का उपयोग करके अनूठी टोकरियाँ तैयार करने के लिए अपनी रचनात्मकता का विस्तार किया है, जो कपड़ों से परे इस शिल्प की बहुमुखी प्रतिभा को प्रदर्शित करता है.
भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग: प्रामाणिकता का एक प्रमाण
भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग एक प्रतिष्ठित मान्यता है जो किसी विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र से किसी उत्पाद की उत्पत्ति, विशिष्टता और प्रामाणिकता स्थापित करती है. बसोहली पश्मीना के मामले में, यह जीआई टैग सिर्फ एक प्रतीक नहीं है; यह उन कारीगरों की शिल्प कौशल और समर्पण का प्रमाण है जिन्होंने पीढ़ियों से अपने कौशल को निखारा है.
सहयोगात्मक मील का पत्थर उपलब्धि
उद्योग और वाणिज्य विभाग ने नाबार्ड जम्मू और ह्यूमन वेलफेयर एसोसिएशन, वाराणसी के सहयोग से बसोहली पश्मीना के लिए जीआई टैग हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. यह उपलब्धि इसके सांस्कृतिक महत्व और आर्थिक क्षमता को पहचानते हुए इस शिल्प को संरक्षित और बढ़ावा देने के ठोस प्रयासों का परिणाम थी.