जम्मू-कश्मीर : कई बंदिशों के बीच श्रीनगर में निकला 8वें मुहर्रम का जुलूस

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 16-07-2024
Jammu and Kashmir: Thousands of people participated in the 8th Muharram procession in Srinagar
Jammu and Kashmir: Thousands of people participated in the 8th Muharram procession in Srinagar

 

आवाज द वाॅयस / श्रीनगर

जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर शहर में सोमवार को शिया समुदाय के हजारों लोगों ने 8वें मुहर्रम का जुलूस निकाला.अधिकारियों ने आयोजकों से शांतिपूर्ण एवं अनुशासित मुहर्रम जुलूस का आश्वासन लेकर कार्यक्रम की अनुमति दे दी थी. मुहर्रम का जुलूस गुरु बाजार से शुरू होकर श्रीनगर शहर के डलगेट क्षेत्र में समाप्त हुआ.

जुलूस इराक के कर्बला के रेगिस्तान में यजीद की सेना के हाथों पैगंबर के नवासे इमाम हुसैन, उनके परिवार और समर्थकों की शहादत की याद में निकाला जाता है.कश्मीर जोन के आईजीपी वीके बिरदी और नागरिक प्रशासन के अधिकारियों ने मुहर्रम जुलूस की निगरानी की.
 
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आईजीपी ने गम मनाने शिया समुदाय के लोगों पानी और ठंडा पेय भी पिलाया.इस्लाम के समर्थन में नारे लगाते हुए और इमाम हुसैन की शहादत को याद कर गम मनाने वालों ने पूरे जुलूस के दौरान जिम्मेदारी निभाई और असामाजिक तत्वों को सांप्रदायिक भावनाएं भड़काने का कोई मौका नहीं दिया.
 
स्थानीय समाज के सभी वर्गों ने श्रीनगर में 8वें मुहर्रम जुलूस की इजाजत देने के प्रशासन के फैसले की सराहना की है. जम्मू-कश्मीर में सशस्त्र हिंसा शुरू होने के 30 साल से अधिक समय बाद पिछले साल भी जुलूस को इजाजत दी गई थी.शोक मनाने वालों के एक समूह ने कहा, "हम प्रशासन के आभारी हैं कि उन्होंने हमें 8वीं मुहर्रम का जुलूस निकालने की अनुमति दी."
 
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प्रशासन द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि प्रतिभागियों को सड़क के केवल बाएं हिस्से का उपयोग करने की आवश्यकता है, आपातकालीन सेवाओं के लिए दाएं हिस्से को खुला रखना चाहिए और आयोजकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जुलूस प्रशासन द्वारा निर्धारित समय सीमा के भीतर समाप्त हो, जो सुबह 6 बजे गुरु बाजार से शुरू होकर 6:30 बजे तक जहांगीर चौक और सुबह 8 बजे तक जेएंडके बैंक मुख्यालय एम.ए. रोड को पार करना है.
 
इसमें आगे लिखा है, "जुलूस के लिए मुख्य शर्तों में शामिल हैं, कोई राष्ट्र-विरोधी या प्रशासन-विरोधी भाषण या गतिविधियाँ नहीं. सांप्रदायिक और सांप्रदायिक सद्भाव का संरक्षण. राज्य की सुरक्षा और राष्ट्रीय प्रतीकों का सम्मान. प्रतिबंधित संगठनों से संबंधित भड़काऊ नारे या चित्र वाले झंडे नहीं.
 
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नियमों का पालन करना और ऐसी कार्रवाइयों से बचना जिससे कानून-व्यवस्था की समस्या पैदा हो सकती है.