पुंछ. केंद्र की मोदी सरकार द्वारा देश के गरीबों और मध्यम वर्ग को ध्यान में रखते हुए कई जनकल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं. 'प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना' भी इन योजनाओं में से एक है, जिससे भारत-पाकिस्तान सीमा पर स्थित पुंछ जैसे दूरदराज के इलाकों में भी लोग लाभान्वित हो रहे हैं.
'प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना' के तहत भारत-पाकिस्तान नियंत्रण रेखा पर स्थित जिले पुंछ में लोग हुनरमंद और स्वरोजगार की तरफ बढ़ रहे हैं. खास बात यह है कि यहां पर इस योजना का फायदा मुस्लिम महिलाएं उठा रही हैं. बेरोजगार महिलाएं इस योजना के कारण आज हुनरमंद और स्वरोजगार की तरफ बढ़ रही हैं.
महिलाओं और छोटे कामगारों को उनके कार्यों में दक्ष बनाने के उद्देश्य से पिछले वर्ष केंद्र सरकार और विशेष रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से 'प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना' की शुरुआत की गई थी. जम्मू-कश्मीर के पुंछ में अधिक संख्या में महिलाएं इस योजना से जुड़कर कपड़े काटने और सिलने (दर्जी) का काम कर रही हैं.
आईटीआई पुंछ 'प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना' के अंतर्गत में प्रशिक्षण प्राप्त करने वाली महिलाएं और प्रशिक्षण देने वाले शिक्षक ने आईएएनएस से बात करते हुए, इस योजना को लाभकारी बताया.
आईटीआई पुंछ के इंस्ट्रक्टर तरबेज खान ने आईएएनएस से बात करते हुए इस योजना के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने 'प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना' की शुरुआत 17 सितंबर, 2023 को किया था. यह प्रशिक्षित लोगों के लिए योजना थी. इस योजना में स्किल ट्रेनिंग और मार्केटिंग सपोर्ट जैसी चीजें रखी थी.
उन्होंने बताया कि हमारे पास इस योजना के अंतर्गत पांच कोर्स हैं. जिसमें टेलरिंग और कारपेंटर जैसे कोर्स शामिल हैं. 400 से अधिक लोग हमारे यहां ट्रेनिंग कर चुके हैं और अभी भी हमारा बैच चल रहा है. पांच प्रतिशत ब्याज दर पर इस योजना के लिए एक लाख रुपए मिलता है, जो बड़ी बात है.
सिलाई का प्रशिक्षण प्राप्त करने वाली एक लाभार्थी आमना ने आईएएनएस को बताया कि पीएम नरेंद्र मोदी ने 'प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना' शुरू की है, उसमें हमें काफी कुछ सीखने को मिल रहा है. हम अपने काम को लेकर आत्मनिर्भर बन सकते हैं. इसकी मदद से काफी हद तक बेरोजगारी खत्म हो रही है. बहुत सारे बच्चे यहां पर काम सीख रहे हैं, जो बहुत फायदेमंद है.