तस्वीरों में जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावा: बुलेट पर बैलेट भारी, 3 बजे तक 50.65 प्रतिशत मतदान

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 19-09-2024
 Ballots outweigh bullets (All photos by Basit Zargar)
Ballots outweigh bullets (All photos by Basit Zargar)

 

Update: 18.07.0224, 5.17PM

मतदान सुबह 7 बजे शुरू हुआ. दोपहर 3 बजे तक, 50.65 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया. अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए लोगों की लंबी कतारों को देखकर उत्साहित अधिकारियों ने उम्मीद जताई कि शाम 6 बजे तक मतदान बंद होने तक मतदान प्रतिशत काफी बढ़ जाएगा.

आवाज द वाॅयस /श्रीनगर

जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों का पहला चरण 18 सितंबर 2024 को शांति और जोश के साथ संपन्न हुआ. 10 साल बाद हो रहे इन चुनावों में जनता का उत्साह देखते ही बनता है. आतंकवादियों के खौफ को दरकिनार कर, मतदाता बुलेट पर बैलेट से करारा प्रहार करते हुए अपने लोकतांत्रिक अधिकार का उपयोग कर रहे हैं.

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दोपहर एक बजे तक 40 प्रतिशत मतदान हो चुका है. आज का मतदान पिछले चुनावों के रिकार्ड ध्वस्त करने के लिए उतावला हो रहा है. सुबह 7 बजे से ही मतदान शुरू हो गया. इस बार 3,276 मतदान केंद्रों पर 14,000 मतदान कर्मी तैनात किए गए थे, ताकि मतदान प्रक्रिया सुचारू रूप से संपन्न हो सके.

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मतदान में जहां किश्तवाड़ में सबसे अधिक 56.86 फीसदी वोटिंग हुई, वहीं पुलवामा में 29.84 फीसदी मतदान दर्ज किया गया. 11 बजे तक कुल 27 फीसदी से ज्यादा वोटिंग हो चुकी थी. यह दिखाता है कि जनता में अपना भविष्य चुनने का जोश किस कदर हावी है. इस बार 7 जिलों की 24 सीटों पर मतदान हो रहा है, जिनमें से 16 सीटें कश्मीर घाटी की और 8 जम्मू क्षेत्र की हैं.

 

 

मुख्य मुकाबला भाजपा, कांग्रेस-नेशनल कॉन्फ्रेंस गठबंधन और पीडीपी के बीच है. सभी दलों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है, जबकि छोटे दल भी मुकाबले को दिलचस्प बना रहे हैं.

इस बार, चुनावों के दौरान जम्मू-कश्मीर की जनता ने यह संदेश स्पष्ट कर दिया है कि वे बुलेट से नहीं, बल्कि बैलेट से अपनी आवाज बुलंद करना चाहते हैं.

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कश्मीर के बुजुर्ग मतदाता, जिन्होंने पहले भी चुनावों में भाग लिया था, इस बार भी अपनी भूमिका निभाने के लिए मैदान में उतरे.

कुलगाम के बशीर अहमद ने इस अवसर को लोकतंत्र का उत्सव करार देते हुए कहा, ‘‘हम 10 साल बाद अपने प्रतिनिधि चुन रहे हैं, यह हमारे लिए खास मौका है.’’ साथ ही, राज्य का दर्जा बहाल करना उनके लिए सबसे बड़ा मुद्दा बना हुआ है.

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महिलाएं भी पीछे नहीं रहीं. कई मतदान केंद्रों पर महिलाओं की लंबी कतारें देखी गईं.

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एक महिला मतदाता ने कहा, ‘‘यह समय है जब हमें अपने हक के लिए खड़ा होना चाहिए और अपने भविष्य को चुनना चाहिए.’’

(सभी फोटो बासित जरगर)