नई दिल्ली. जमात-ए-इस्लामी दिल्ली ने मांग की है कि सरकार वर्ष 2025-2026 के बजट में कुछ महत्वपूर्ण प्रावधान शामिल करे. संगठन ने कहा है कि वित्त विभाग को अगला बजट पेश करते समय इन महत्वपूर्ण बिंदुओं को ध्यान में रखना चाहिए. जमात-ए-इस्लामी ने इस संबंध में विशेष रूप से 10 मांगें प्रस्तुत की हैं.
जमात-ए-इस्लामी हिंद ने आज दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में केंद्र सरकार के सामने कुछ बड़े प्रस्ताव रखे हैं. जमात-ए-इस्लामी हिंद ने केंद्र सरकार से बजट में शामिल करने के लिए जो 10 महत्वपूर्ण मांगें की हैं, वे इस प्रकार हैं.
मनरेगा का विस्तार किया जाना चाहिए, 33 फीसद कटौती वापस ली जानी चाहिए.
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दिया जाना चाहिए.
एमएसआई का समर्थन किया जाना चाहिए.
रोजगार को पीएलआई के बजाय नौकरी सृजन से जोड़ा जाना चाहिए.
स्वास्थ्य देखभाल बजट में सकल घरेलू उत्पाद का 4 प्रतिशत की वृद्धि की जाएगी.
शिक्षा पर 6 फीसद जीएसटी आबंटन के साथ मिशन शिक्षा भारत शुरू किया जाना चाहिए.
अल्पसंख्यकों की बेहतरी के लिए काम किया जाना चाहिए, मुस्लिम छात्रवृत्ति को फिर से शुरू किया जाना चाहिए. इसके अलावा, विद्यार्थियों और व्यापारियों के लिए ब्याज मुक्त ऋण कोष की स्थापना की जानी चाहिए.
एससी-एसटी समुदाय के लिए भूमि सशक्तिकरण कार्यक्रम शुरू किया जाना चाहिए.
कृषि संकट का समाधान किया जाना चाहिए.
संभल मुद्दे पर भी दिया बयान
इसके साथ ही जमात-ए-इस्लामी हिंद ने भी यूपी के संभल मुद्दे पर अपने विचार व्यक्त किए हैं. संगठन ने कहा है कि संभल में पूरी तरह से बदले की भावना से काम किया जा रहा है. 1978 के कुछ मामले खोले गए हैं और इन मामलों को खोलकर सिर्फ बदले की राजनीति की जा रही है. संगठन ने कहा कि पहले बिजली के मुद्दे पर कोई कार्रवाई नहीं की गई, लेकिन अब कार्रवाई हो रही है. यह जानबूझकर हो रहा है.