लेह (लद्दाख). लद्दाख के सांसद हाजी हनीफा ने गुरुवार को पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच तनाव कम करने का स्वागत किया, लेकिन समझौते का सम्मान करने के लिए चीन की प्रतिबद्धता पर संदेह जताया.
सांसद की टिप्पणी हाल ही में देपसांग और डेमचोक में भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच तनाव कम करने की प्रक्रिया के पूरा होने के बाद आई है. दोनों पक्षों के सैनिकों ने दिवाली के अवसर पर लद्दाख सेक्टर में विभिन्न सीमा बिंदुओं पर मिठाइयों का आदान-प्रदान भी किया.
सांसद हनीफा ने कहा, ‘‘हममें से जो लोग सीमा के पास रहते हैं, वे जानते हैं कि युद्ध कैसा लगता है. हम सीमा पर शांति चाहते हैं. हम दोनों देशों के बीच समझौते का स्वागत करते हैं, लेकिन हम इसे जमीन पर लागू होते देखना चाहते हैं. सीमा पर तनाव को कूटनीतिक तरीकों से कम किया जाना चाहिए.’’ उन्होंने कहा, ‘‘कल मैं डेमचोक में था, जहां मैंने स्थानीय लोगों से मुलाकात की. चीन पर पूरी तरह से भरोसा करना मुश्किल है. हमारी भारतीय सेना और सरकार समझौते को कायम रखने में ईमानदार है, लेकिन चीन को भी इसका पालन करना चाहिए.’’
न्योमा पार्षद इशे स्पालजांग ने केंद्र सरकार के प्रति आभार व्यक्त करते हुए अपनी संतुष्टि साझा की. उन्होंने कहा, ‘‘डेमचोक के सभी लोगों और सीमा पर रहने वाले लोगों की ओर से मैं केंद्र सरकार को धन्यवाद देता हूं. जनता इस कदम से बहुत खुश है.’’
चुशुल के पार्षद कोंचोक स्टैनजिन ने सैनिकों के पीछे हटने के महत्व पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा, ‘‘यह एक सकारात्मक कदम है. सैनिकों का पीछे हटना बहुत जरूरी है. इससे चरागाह क्षेत्रों का विस्तार होगा और सीमा पर शांति और सौहार्द को बढ़ावा मिलेगा.’’
भारत और चीन ने हाल ही में भारत-चीन सीमा पर एलएसी पर गश्त व्यवस्था पर सहमति जताई है. भारत और चीन के बीच सीमा गतिरोध 2020 में एलएसी पर पूर्वी लद्दाख में शुरू हुआ था, जो चीनी सैन्य कार्रवाइयों के कारण शुरू हुआ था. इस घटना के कारण दोनों देशों के बीच लंबे समय तक तनाव बना रहा, जिससे उनके संबंधों में काफी तनाव पैदा हो गया.
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