नई दिल्ली. भारतीयों की ओर से वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही (जुलाई से सितंबर) के बीच 248.3 टन गोल्ड खरीदा गया है. यह समान अवधि के दौरान चीन के लोगों द्वारा खरीदे गए 165 टन गोल्ड से 51 प्रतिशत अधिक है.
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, भारतीयों ने सबसे ज्यादा गोल्ड को सिक्कों और बार के रूप में लिया है. जुलाई से सितंबर की अवधि के दौरान भारत की गोल्ड की मांग में सालाना आधार पर 18 प्रतिशत का इजाफा देखने को मिला है.
वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में भारत में गोल्ड की मांग में बढ़ोतरी होने की वजह पीली धातु पर आयात शुल्क कम होने को माना जा रहा है. केंद्र सरकार द्वारा जुलाई में पेश किए गए आम बजट में गोल्ड पर आयात शुल्क को 15 प्रतिशत से घटाकर 6 प्रतिशत कर दिया गया था.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, जुलाई-सितंबर तिमाही में भारतीयों नें 77 टन गोल्ड सिक्कों और बार के रूप में खरीदा है.
आगे कहा गया कि इस दौरान भारत में गोल्ड ज्वेलरी की मांग में सालाना आधार पर 10 प्रतिशत का इजाफा देखने को मिला है और यह बढ़कर 171.6 टन हो गया है.
गोल्ड में निवेश बढ़ने की वजह पीली धातु की कीमतों में इजाफा होना है. बीते एक साल में गोल्ड करीब 30 प्रतिशत का रिटर्न दे चुका है.
इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स के मुताबिक, गोल्ड की खरीदारी में बढ़ोतरी की वजह वैश्विक स्तर पर तनाव में वृद्धि होना है. गोल्ड को महंगाई के खिलाफ एक हेज के रूप में इस्तेमाल किया जाता है और उठापटक के बीच यह एक सुरक्षित निवेश माना जाता है. इस कारण से लोग गोल्ड में निवेश बढ़ा रहे हैं. इससे गोल्ड की कीमतों को सहारा मिल रहा है.
ये भी पढ़ें : शायरी में बयां दिवाली की ख़ुशबू और रौनक