नई दिल्ली
भारतीय म्यूचुअल फंड उद्योग में कुछ बड़ी एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (एएमसी) का दबदबा कायम है, और ये शीर्ष खिलाड़ी उद्योग की अधिकांश संपत्तियों का प्रबंधन करते हैं, ऐसा एएमएफआई-क्रिसिल फैक्टबुक में बताया गया है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में शीर्ष पांच एएमसी कुल म्यूचुअल फंड संपत्तियों का लगभग 56 प्रतिशत हिस्सा रखती हैं, जबकि शीर्ष 10 एएमसी के पास लगभग 78 प्रतिशत हिस्सेदारी है. रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि भारतीय म्यूचुअल फंड उद्योग काफी हद तक शीर्ष एएमसी के बीच केंद्रीत है, जो सामूहिक रूप से उद्योग की अधिकांश संपत्तियों का प्रबंधन करती हैं.
इसके अलावा, रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि अमेरिका में भी इसी तरह का पैटर्न देखा जाता है. अमेरिका में शीर्ष पांच फंड हाउस कुल संपत्तियों का 56 प्रतिशत नियंत्रित करते हैं, जबकि शीर्ष 10 फर्म 69 प्रतिशत का प्रबंधन करती हैं. इससे यह स्पष्ट होता है कि भारत में शीर्ष खिलाड़ियों के बीच परिसंपत्तियों का संकेंद्रण अमेरिका की तुलना में ज्यादा है.
हालाँकि, पिछले कुछ वर्षों में इस संदर्भ में बदलाव आया है. भारत में, दिसंबर 2019 से शीर्ष पांच और शीर्ष दस एएमसी में परिसंपत्तियों का संकेंद्रण कम हुआ है, जो एक अधिक प्रतिस्पर्धी बाजार को दर्शाता है. इसके विपरीत, अमेरिका में शीर्ष एएमसी के बीच परिसंपत्तियों का संकेंद्रण इसी अवधि के दौरान बढ़ा है.
भारत में म्यूचुअल फंड उद्योग ने हाल के वर्षों में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) से अनुमोदन के बाद एएमसी की संख्या में वृद्धि देखी है. इसके चलते प्रमुख वित्तीय संस्थानों, फिनटेक कंपनियों और अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों को इस बाजार में प्रवेश करने के लिए प्रेरित किया है. मार्च 2019 में एएमसी की संख्या 41 थी, जो दिसंबर 2024 तक बढ़कर 45 हो गई है.
इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम दिसंबर 2024 में "MF लाइट" विनियमों की शुरूआत है. इन नए दिशानिर्देशों का उद्देश्य एएमसी के लिए प्रवेश बाधाओं को कम करना है, ताकि उद्योग में प्रतिस्पर्धा और नवाचार को बढ़ावा मिले. इसके परिणामस्वरूप, नए एएमसी के लॉन्च होने की संभावना है, जिससे निवेशकों को बेहतर विकल्प मिलेंगे और निवेश उत्पादों की विविधता बढ़ेगी.
जैसे-जैसे नए खिलाड़ी बाजार में प्रवेश करेंगे, भारतीय म्यूचुअल फंड उद्योग और अधिक विविधतापूर्ण और प्रतिस्पर्धी बनेगा, जिससे निवेशकों को अधिक विकल्प मिलेंगे और कुछ बड़ी कंपनियों का प्रभुत्व कम होगा.