कसौली. पूर्व रॉ प्रमुख और पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य के पूर्व सलाहकार ए.एस. दुलत ने कहा है कि घाटी में अशांति के बावजूद कश्मीर भारत का हिस्सा बना रहेगा. अलगाववादियों और हुर्रियत नेताओं के साथ अपनी बैठकों को याद करते हुए उन्होंने कहा कि कश्मीर में सामान्य स्थिति लाने का एकमात्र रास्ता बातचीत, धैर्य और सहानुभूति है.
घाटी में अनुच्छेद 370 को ख़त्म करने का विरोध करने वाले दुलत का मानना है कि हर कोई 'बातचीत' करता है. "और हर हितधारक के साथ बात करने में क्या हर्ज है? कोई भी स्थायी दुश्मन नहीं है, चाहे वह पाकिस्तान हो या चीन. वाजपेयी के कार्यकाल के दौरान, कश्मीरी अलगाववादियों के साथ कई दौर की बैठकें हुईं. इतने सारे लोग मेरे घर आते थे."
उन्होंने कहा कि इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद भी उन लोगों से बात करती है, जिन्हें वे अपना दुश्मन कहते हैं. मैं उनके प्रमुखों में से एक के काफी करीब था, और उन्होंने स्वीकार किया कि स्थायी शांति केवल मेज पर प्राप्त की जा सकती है, युद्ध के मैदान पर नहीं."
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