नई दिल्ली
आर्थिक सर्वेक्षण में जोर दिया गया है कि भारत को अपने विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए एक या दो दशक तक लगभग 8 प्रतिशत की वृद्धि की आवश्यकता है, ऐसे समय में जब देश की वृद्धि ने चालू वित्त वर्ष की पहली दो तिमाहियों में कमजोर प्रगति दिखाई है. भारत का लक्ष्य 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनना है जब देश अपनी स्वतंत्रता की 100वीं वर्षगांठ मनाएगा.
स्वतंत्रता की शताब्दी तक विकसित भारत बनने की अपनी आर्थिक आकांक्षाओं को साकार करने के लिए, भारत को लगभग एक या दो दशक तक औसतन स्थिर कीमतों पर लगभग 8 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल करने की आवश्यकता है, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में पेश की गई अर्थव्यवस्था की स्थिति रिपोर्ट में कहा गया है.
इसमें चेतावनी दी गई है कि "जबकि इस विकास दर की वांछनीयता पर कोई सवाल नहीं है, यह पहचानना महत्वपूर्ण है कि वैश्विक वातावरण - राजनीतिक और आर्थिक - भारत के विकास परिणामों को प्रभावित करेगा." हाल ही में अक्टूबर 2024-25 में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) द्वारा भारत के लिए किए गए अनुमान आशावादी हैं. IMF ने अनुमान लगाया है कि भारत 2027-28 तक 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाएगा और 2029-30 तक 6.307 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के आकार तक पहुँच जाएगा.
इसका मतलब है कि 2024-25 से 2029-30 तक अमेरिकी डॉलर के हिसाब से सालाना नाममात्र वृद्धि दर लगभग 10.2 प्रतिशत होगी. आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में कहा गया है कि आगे बढ़ते हुए, व्यक्तियों और छोटे व्यवसायों के लिए आर्थिक स्वतंत्रता को बढ़ाना यकीनन भारत की मध्यम अवधि की विकास संभावनाओं को परिभाषित करने और उसे बढ़ावा देने के लिए सबसे महत्वपूर्ण नीतिगत प्राथमिकता है.
चालू वित्त वर्ष 2024-25 की जुलाई-सितंबर तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था वास्तविक रूप से 5.4 प्रतिशत बढ़ी. तिमाही वृद्धि RBI के 7 प्रतिशत के पूर्वानुमान से काफी कम थी. अप्रैल-जून तिमाही में भी भारत की जीडीपी में वृद्धि उसके केंद्रीय बैंक द्वारा लगाए गए अनुमान से कम रही.
रिजर्व बैंक ने अपनी नवीनतम मौद्रिक नीति में 2024-25 के लिए भारत के विकास पूर्वानुमान को 7.2 प्रतिशत से घटाकर 6.6 प्रतिशत कर दिया था. सरकार को 6.4 प्रतिशत की वृद्धि की उम्मीद है.
वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान भारत की जीडीपी में 8.2 प्रतिशत की प्रभावशाली वृद्धि हुई और यह सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बनी रही. 2022-23 में अर्थव्यवस्था में 7.2 प्रतिशत और 2021-22 में 8.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई.
आज पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि 2025-26 में भारतीय अर्थव्यवस्था में 6.3 प्रतिशत से 6.8 प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान है. सर्वेक्षण दस्तावेज में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि देश की आर्थिक बुनियाद मजबूत बनी हुई है, जिसे स्थिर बाह्य खाता, राजकोषीय समेकन और निजी खपत का समर्थन प्राप्त है.
इसमें कहा गया है कि सरकार अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी), सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) और पूंजीगत वस्तुओं पर ध्यान केंद्रित करके दीर्घकालिक औद्योगिक विकास को मजबूत करने की योजना बना रही है. इन उपायों का उद्देश्य उत्पादकता, नवाचार और वैश्विक प्रतिस्पर्धा को बढ़ाना है.