भारत सबमरीन केबल नेटवर्क के लिए बन सकता है ग्लोबल ट्रांजिट हब : इंडस्ट्री

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  onikamaheshwari | Date 25-03-2025
India can become a global transit hub for submarine cable networks: Industry
India can become a global transit hub for submarine cable networks: Industry

 

नई दिल्ली
 
भारत में सबमरीन केबल नेटवर्क के लिए एक ग्लोबल ट्रांजिट हब बनने की प्रबल संभावना है. इसकी वजह, देश का रणनीतिक रूप से अहम स्थान पर होना और बढ़ता हुआ डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर है. यह बयान ब्रॉडबैंड इंडिया फोरम (बीआईएफ) की अध्यक्ष, अरुणा सुंदरराजन ने मंगलवार को दिया.  
 
उन्होंने कहा कि बढ़ती हुई डेटा खपत को पूरा करने के लिए सबमरीन केबल इन्फ्रास्ट्रक्चर को चार से पांच गुना बढ़ाने की जरूरत है.
 
सुंदरराजन ने कहा, "भारत में सबमरीन केबल नेटवर्क के एक ग्लोबल ट्रांजिट हब के रूप में उभरने की प्रबल संभावना है. इसके लिए हमें अपने सबमरीन केबल इन्फ्रास्ट्रक्चर को चार से पांच गुना बढ़ाना होगा."
 
राष्ट्रीय राजधानी में ‘इंटरनेशनल सबसी केबल सिस्टम कॉन्फ्रेंस’ में बोलते हुए उन्होंने कहा कि ऐसे समय पर सबमरीन केबल नेटवर्क को प्राथमिकता देना आवश्यक है, जहां भू-राजनीतिक परिस्थितियां तेजी से बदल रही हैं.
 
इस इवेंट में, टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) के चेयरमैन अनिल कुमार लाहोटी ने कहा कि सबमरीन केबल नेटवर्क वर्ल्ड डेटा ट्रैफिक का 95 प्रतिशत से अधिक का वहन करता है. 
 
उन्होंने बताया कि हाल ही में ग्लोबल केबल नेटवर्क में आई रुकावटों ने सबमरीन केबल इन्फ्रास्ट्रक्चर के महत्व को उजागर किया. 
 
भारत पहले से ही वैश्विक सबमरीन केबल नेटवर्क में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, जिसके अंतर्गत लगभग 17 अंतरराष्ट्रीय सबमरीन केबल नेटवर्क मुंबई, चेन्नई, कोचीन, तूतीकोरिन और त्रिवेंद्रम में मौजूद 14 लैंडिंग स्टेशनों से जुड़े हुए हैं.
 
टाटा कम्युनिकेशंस, भारती एयरटेल, ग्लोबल क्लाउड एक्सचेंज और बीएसएनएल जैसी भारतीय दूरसंचार कंपनियां इन महत्वपूर्ण इन्फ्रास्ट्रक्चर का संचालन करती हैं.
 
हाल ही में, भारती एयरटेल ने चेन्नई में सीईए-एमई-डब्ल्यूई 6 सबमरीन केबल बिछाई, जिससे देश की अंतरराष्ट्रीय कनेक्टिविटी मजबूत हुई है.
 
इसके अलावा, दिग्गज टेक्नोलॉजी कंपनी मेटा ने 'प्रोजेक्ट वाटरवर्थ' शुरू किया है. इसके तहत भारत, अमेरिका, ब्राजील और साउथ अफ्रीका को जोड़ते हुए एक सबमरीन केबल नेटवर्क बिछाया जाएगा.