तख्तापलट के बाद भारत और बांग्लादेश के बीच आयात-निर्यात गतिविधियां बुरी तरह प्रभावितजलपाईगुड़ी (पश्चिम बंगाल). बांग्लादेश में चल रही उथल-पुथल ने फुलबारी भारत-बांग्लादेश सीमा पर व्यापार को बुरी तरह प्रभावित किया है, जिससे भारत और बांग्लादेश के बीच आयात-निर्यात गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित हुई हैं. व्यापारियों के अनुसार, पड़ोसी देश बांग्लादेश में फंड की कमी के कारण भारत और बांग्लादेश के बीच आयात-निर्यात गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित हुई हैं.
भारत से बांग्लादेश को बोल्डर और स्टोन क्लिप का निर्यात 10 से 15 प्रतिशत तक कम हो गया है. फुलबारी इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट (आईसीपी) के माध्यम से केवल कुछ बांग्लादेशी नागरिक ही अपने मेडिकल वीजा के साथ भारत आ रहे हैं. नतीजतन, फुलबारी लैंड कस्टम स्टेशन पर एक्सचेंज काउंटर लगभग खाली दिखाई दे रहे हैं.
इसके अलावा, बांग्लादेशी नागरिकों के लिए पर्यटक वीजा पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद दार्जिलिंग और सिक्किम जाने वाले पर्यटकों की संख्या में काफी कमी आई है. परिणामस्वरूप, टूर ऑपरेटरों को भी भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है.
एएनआई से बात करते हुए, नॉर्थ बंगाल एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के सचिव बृज किशोर प्रसाद ने कहा कि बांग्लादेश में चल रही स्थिति के बाद वे संकट में हैं. ‘‘वहां कोई स्थिर सरकार नहीं है और हाल ही में अशांति के कारण, स्थिति ने बांग्लादेश में वित्तीय संकट पैदा कर दिया है. परिणामस्वरूप, एक बड़ी राशि फंस गई है और समकक्ष से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल रही है. इसलिए क्षेत्र के निर्यातक पैसे वापस पाने के लिए अदालत गए हैं. हम उस निर्णय का स्वागत करते हैं जिसके तहत बांग्लादेश और भारत की सरकारों ने चावल और उबले चावल का व्यापार शुरू करने पर सहमति जताई है.’’
प्रसाद ने कहा, ‘‘लेकिन भारत सरकार को दोनों देशों के बीच आयात-निर्यात व्यापार को सामान्य बनाने के लिए तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए.’’
भारत-बांग्लादेश सीमा पर फुलबारी के एक व्यापारी सुवनकर नस्कर ने कहा, ‘‘फुलबारी में व्यापार की स्थिति बहुत खराब होती जा रही है. बोल्डर और स्टोन क्लिप ले जाने वाले भारतीय ट्रकों की एक छोटी संख्या बांग्लादेश को निर्यात की जाती है. एक्सचेंज काउंटर खाली होते जा रहे हैं. इस स्थिति में, हमें सरकारी हस्तक्षेप की आवश्यकता है.’’
उल्लेखनीय है कि 5 अगस्त को छात्रों के नेतृत्व वाले आंदोलन ने बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को सत्ता से बेदखल कर दिया था. हफ्तों तक चले विरोध प्रदर्शनों और झड़पों में 600 से ज्यादा लोग मारे गए थे. हसीना (76) को भारत में शरण लेनी पड़ी और नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का गठन हुआ. बढ़ते विरोध प्रदर्शनों के मद्देनजर शेख हसीना के अपने पद से इस्तीफा देने के बाद बांग्लादेश में राजनीतिक स्थिति अस्थिर हो गई थी. सरकारी नौकरियों में कोटा प्रणाली को समाप्त करने की मांग करने वाले छात्रों द्वारा किए गए विरोध प्रदर्शनों ने सरकार विरोधी प्रदर्शनों का रूप ले लिया.