आवाज द वाॅयस/ नई दिल्ली
भारतीय अल्पसंख्यक फाउंडेशन (आईएमएफ) ने संयुक्त राज्य अमेरिका के अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (यूएससीआईआरएफ) की रिपोर्ट की निंदा की है, जिसमें अमेरिकी सरकार से भारत को अफगानिस्तान, क्यूबा, उत्तर कोरिया, रूस और चीन जैसे देशों के साथ विशेष चिंता वाले देश (सीपीसी) के रूप में वर्गीकृत किया गया है.
एक कड़े शब्दों वाले बयान में, आईएमएफ ने कहा कि यूएससीआईआरएफ की रिपोर्ट सवाल उठाती है कि 'क्या यह निकाय सद्भाव के साधन के बजाय संघर्ष के एजेंट के रूप में खुद को संचालित कर रहा है.'
बयान में कहा गया, "यूएससीआईआरएफ द्वारा दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत को अफगानिस्तान, क्यूबा, उत्तर कोरिया, रूस और चीन जैसे देशों के साथ जोड़ने का प्रयास इसकी सक्रियता की गलत प्रकृति को उजागर करता है.
भारत के पास न केवल एक मजबूत संवैधानिक ढांचा है,एक जीवंत नागरिक समाज और बहुलवाद का एक लंबा इतिहास है. यह पहचानने में इसकी विफलता इस बात की स्पष्ट टिप्पणी है कि कैसे USCIRF ने वर्षों से अपना रास्ता खो दिया है."
समाचार एजेंसी ANI ने X पर इंडिया माइनॉरिटीज फाउंडेशन का बयान पोस्ट किया: बयान में कहा गया है कि रिपोर्ट में उल्लिखित सत्तावादी शासनों के विपरीत, कानून प्रवर्तन जैसे मामलों पर राज्यों को स्वायत्तता के साथ भारतीय संघवाद विभिन्न क्षेत्रों को अमेरिकी संघवाद से अलग तरीके से कानून बनाने और लागू करने की संवैधानिक स्वतंत्रता देता है.
"गैर-लोकतंत्रों के साथ दोषपूर्ण तुलना भारत के धार्मिक स्वतंत्रता परिदृश्य की सूक्ष्म वास्तविकता को समझने में USCIRF की विफलता को उजागर करती है और वैश्विक स्तर पर मानवाधिकारों के उल्लंघन के बारे में वास्तविक चिंताओं को बदनाम करती है."