मोहम्मद अकरम / नई दिल्ली
मरकज़ी जमीयत अहले हदीस हिंद द्वारा दिल्ली के ऐतिहासिक रामलीला मैदान में 9 और 10 नवंबर 2024 को दो दिवसीय “मानवता का सम्मान और विश्व धर्म” विषय पर आधारित 35वीं ऑल इंडिया अहले हदीस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया जा रहा है. इस कॉन्फ्रेंस का मुख्य आकर्षण यह है कि मस्जिद-ए-नबवी के इमाम, डॉक्टर अब्दुल्लाह बिन अब्दुर्रहमान अल बुऐजान भी इस कार्यक्रम में विशेष रूप से शामिल होंगे.
इमाम बुऐजान, इस्लाम के पवित्र स्थल से आए हुए इस प्रभावशाली सम्मेलन में 10 नवंबर की शाम को मग़रिब और ईशा की नमाज अदा कराएंगे और फिर एक प्रेरणादायक भाषण देंगे, जिसमें वे धार्मिक और सामाजिक संदेशों को साझा करेंगे.
कॉन्फ्रेंस के उद्देश्य और आयोजन का महत्व
मरकज़ी जमीयत अहले हदीस हिंद के अमीर (अध्यक्ष), मौलाना असगर अली इमाम महदी सल्फ़ी ने इस कॉन्फ्रेंस के उद्देश्य और उसके महत्व को विस्तार से समझाया. उन्होंने प्रेस क्लब में मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, “इस कॉन्फ्रेंस का मकसद सिर्फ धार्मिक चिंतन ही नहीं, बल्कि देश और मानवता के सामने मौजूद चुनौतियों पर विचार करना और समाधान की दिशा में पहल करना है.
'मानवता का सम्मान और विश्व धर्म' के विषय पर यह सम्मेलन सभी धार्मिक, सामाजिक, और सांस्कृतिक सीमाओं से परे जाकर इस्लाम के बुनियादी संदेश को पेश करेगा, जो कि समानता, सम्मान और मानवता की सेवा है.”
मौलाना असगर अली ने इस आयोजन के महत्व को बताते हुए कहा कि दुनिया के सभी धर्म और मत मनुष्यों की जान, माल, इज़्ज़त, और आस्था की रक्षा को सर्वोपरि मानते हैं. उन्होंने इस्लाम के मूल स्रोत, कुरआन और हदीस की शिक्षाओं के आधार पर कहा कि इस्लाम हर इंसान का आदर करने की सीख देता है, चाहे वह किसी भी पृष्ठभूमि से क्यों न हो.
इस्लाम का संदेश स्पष्ट है कि हर व्यक्ति मूलतः सम्मानित और उच्च है और उसे समाज में सम्मान और सुरक्षा का अधिकार है। इस कार्यक्रम में भाग लेने वाले विद्वान और वक्ता इस महत्वपूर्ण विषय पर अपने विचार साझा करेंगे, ताकि देशभर से आए प्रतिनिधि इस संदेश को समझ सकें और समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकें.
अंतर्राष्ट्रीय स्तर के विद्वानों की उपस्थिति
इस कॉन्फ्रेंस में भारत और विदेश से प्रतिष्ठित इस्लामी विद्वान, बुद्धिजीवी, और धार्मिक हस्तियां भाग ले रही हैं. ये सभी वक्ता विभिन्न धर्मों और समाजों में मानवता के महत्व और उसकी रक्षा के सिद्धांतों पर प्रकाश डालेंगे. वे इस्लामिक शिक्षाओं को सामाजिक समस्याओं के समाधान के रूप में प्रस्तुत करेंगे, जो कि आज के समय में अत्यधिक प्रासंगिक है.
देशभर से आने वाले प्रतिनिधियों और श्रोताओं को इस्लामिक दृष्टिकोण से मानवीय समस्याओं पर एक नई दृष्टि मिलेगी, जो केवल धार्मिक शिक्षा ही नहीं बल्कि सामाजिक सुधार और नैतिकता के विकास के लिए भी महत्वपूर्ण है.
इस्लाम में मानवता का सम्मान
मौलाना असगर अली इमाम महदी ने कहा कि जमीयत अहले हदीस हिंद की स्थापना से लेकर अब तक संगठन ने मानवता के मूल्यों और धार्मिक मूल्यों के प्रसार के लिए कार्य किया है. उन्होंने इस्लाम के मूल सिद्धांतों का उल्लेख करते हुए कहा कि इस्लाम का संदेश सिर्फ मुसलमानों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरी मानवता के लिए है.
कुरआन और हदीस की शिक्षाएं हमें बताती हैं कि हर व्यक्ति का सम्मान और उसकी सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए। इस्लाम हर इंसान के लिए प्रेम, सम्मान और समानता का संदेश देता है, चाहे वह किसी भी धर्म या समाज से ताल्लुक रखता हो. उन्होंने कहा कि इस्लाम और मुसलमान हमेशा से इस संदेश के प्रचारक रहे हैं और इस कॉन्फ्रेंस का उद्देश्य भी इसी संदेश को फैलाना है..
जमीयत की ऐतिहासिक सेवाएं
जमीयत ए अहले हदीस हिंद ने अपने अस्तित्व के प्रारंभ से ही उच्च आदर्शों और मानवीय मूल्यों की रक्षा के लिए काम किया है. मौलाना असगर अली ने बताया कि जमीयत की सभी गतिविधियां, सेवाएं, सेमिनार, और ऑल इंडिया अहले हदीस कॉन्फ्रेंस का आयोजन इन्हीं सिद्धांतों पर आधारित रहा है.
यह संगठन सदैव इस्लाम के बुनियादी उसूलों को समाज के हर वर्ग तक पहुंचाने का कार्य करता आया है। जमीयत की यह पहल न केवल धार्मिक मामलों में बल्कि समाज में नैतिकता और समानता को बढ़ावा देने में भी सहायक है.
मौलाना असगर अली का संदेश
मौलाना असगर अली ने कहा कि यह कॉन्फ्रेंस एक अवसर है कि देश और समाज में फैली विभाजनकारी ताकतों के बीच मानवता और प्रेम का संदेश पहुंचाया जाए. उन्होंने उम्मीद जताई कि इस सम्मेलन से देश और समाज में सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और लोग आपसी भाईचारे और मानवता के संदेश को अपनाएंगे। कॉन्फ्रेंस के माध्यम से वे सभी प्रतिभागियों को इस्लाम के मानवता और प्रेम के सिद्धांतों से रूबरू कराना चाहते हैं.
विशेष अतिथियों की उपस्थिति
इस कार्यक्रम में जमीयत ए अहले हदीस बिहार के उपाध्यक्ष मौलाना खुर्शीद मदनी, मीडिया कॉर्डिनेटर मौलाना शीस तैमी, और अन्य कई प्रमुख लोग भी उपस्थित रहेंगे. इस सम्मेलन का संदेश देश के कोने-कोने में फैलाने का प्रयास किया जाएगा ताकि अधिक से अधिक लोग इस्लाम के असल संदेश को समझ सकें.
कार्यक्रम का उद्देश्य और अपेक्षाएँ
कॉन्फ्रेंस का आयोजन उन चुनौतियों और समस्याओं पर विचार करना है जो आज के समाज में व्याप्त हैं. इस आयोजन के माध्यम से इस्लाम की शिक्षाओं को साझा करने के साथ-साथ सभी धर्मों के प्रति सम्मान और प्रेम का संदेश देना भी इसका उद्देश्य है. इस्लाम की शिक्षाओं का यही संदेश है कि हर धर्म और पंथ का सम्मान किया जाए और सभी को समान दृष्टि से देखा जाए.