लिव-इन रिलेशनशिप मेें रहना है, तो चाहिए मौलवी की मंजूरी

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 02-02-2025
Live-in relationship
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देहरादून. उत्तराखंड देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है, जिसने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू किया है. इसके तहत लिव-इन रिलेशनशिप को रजिस्टर कराना जरूरी है. यह कदम बिना शादी शुदा जोड़ों को साथ रहने लिए कानूनी तौर से इजाजत देने का प्रतीक है. यूसीसी के तहत जो जोड़े एक साथ रहना चाहते हैं, उन्हें अपने रिश्ते को सरकार के सामने दर्ज कराना होगा.

रजिस्ट्रेशन कराने के लिए उन्हें कई सारे दस्तावेज जमा करने होंगे. दस्तावेजों में आधार कार्ड, रिश्ते की जानकारी, निवास सर्टिफिकेट, इसके अलावा जिस मकान मालिक ने किराए पर घर दिया है, उसकी पूरी जानकारी. इसके अलावा एक दस्तावेज और देना होगा, जो किसी मजहबी नेता यानी मौलवी या पंडित की तरफ से दिया जाएगा. इस सर्टिफिकेट में यह लिखा होगा कि जो जोड़ा साथ रहना चाहता है और वह शादी करने के काबिल है.

उत्तराखंड यूसीसी सिर्फ हेटरोसेक्सुअल (विषमलैंगिक) जोड़ों को लिव-इन रिश्ते में रहने की इजाजत देता है. इन लोगों को चाहे अपने रिश्ते को शुरू करना हो या खत्म करना, दोनों सूरतों में ऑनलाइन या ऑफलाइन रजिस्टर कराना होगा. लिव इन रिलेशनशिप को रजिस्टर कराने के लिए 500 रुपये फीस लगेगी. लोकल रजिस्ट्रार इसकी समीक्षा करेगा, इसके बाद वह 30 दिनों के अंदर या तो आवेदन को अप्रूव करेगा या रिजेक्ट करेगा. रजिस्ट्रार यह एप्लीकेशन जांच के लिए पुलिस को भी भेज सकता है.

अगर कोई जोड़ा लिव-इन रिलेशनशिप बिना रजिस्टर कराए रहता है, तो उसको 3 महीने की जेल या फिर 25000 हजार रुपये जुर्माना हो सकता है. अगर कोई दूसरा शख्स जोड़ों की शिकायत करता है कि इन लोगों ने अपने रिश्ते को रजिस्टर नहीं कराया है, तो ऐसे जोड़ों को रजिस्ट्रार नोटिस भेज सकता है. अगर, कोई शख्स जोड़ों के खिलाफ गलत शिकायत करता है, तो उसे भी कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है.

समान नागरिक संहिता एक कानून है, जिसका मकसद शादी, तलाक, विरासत, उत्तराधिकार और गोद लेने जैसे मामलों के ताल्लुक से सभी नागरिकों के लिए एक तरह का कानून बनाता है. यूसीसी कानूनी मामलों में समानता और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए सभी मजहब के कानून को एक समान करता है.