खान-पान दुकानदारों के लिए नेमप्लेट अनिवार्य करने पर हिमाचल सरकार का यूटर्न

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 26-09-2024
Rajiv Shukla
Rajiv Shukla

 

शिमला. हिमाचल प्रदेश के शहरी विकास मंत्री विक्रमादित्य सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में फास्ट फूड, रेहड़ी-पटरी और ढाबा मालिकों को अपनी दुकानों के बाहर नेमप्लेट लगाने और पहचान प्रदर्शित करने के निर्देश के महज एक दिन बाद सुक्खू सरकार ने यू-टर्न ले लिया. सरकार ने गुरुवार को कहा कि अब तक इस संबंध में कोई निर्णय नहीं लिया गया है.

कांग्रेस के हिमाचल प्रदेश प्रभारी राजीव शुक्ला ने आज कहा, "कल मैंने हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से बात की थी. स्ट्रीट वेंडर्स पॉलिसी पर विचार करने के लिए संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान की अध्यक्षता में एक समिति बनाई गई है. इसमें कहा गया है कि जो भी व्यक्ति बेचने के लिए विभिन्न स्थानों पर अपना ठेला लगाता है, उसका लाइसेंस बनाया जाए. उसे नियंत्रित किया जाए, ताकि पुलिस उसे भगा न सके. जिसे जहां जगह दी गई है, वह वहीं बैठे. इसके लिए दस्तावेज के तौर पर आधार कार्ड की जरूरत होगी. इसमें ऐसा कुछ नहीं है कि इसके लिए उसे अपनी दुकान पर बोर्ड लगाना होगा. इस नीति में प्रावधान यह है कि ठेला वालों को सिर्फ नामित और नियंत्रित किया जाए. इससे अतिक्रमण कम होगा. हिमाचल पहाड़ी क्षेत्र है. इससे यहां ट्रैफिक जाम भी नहीं लगेगा."

इस मुद्दे पर फैसला बरकरार रहेगा या फिर वापस लिया जाएगा, इस सवाल के जवाब में मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि इस विषय पर एक सर्वदलीय समिति बनाई गई है, जिसमें भाजपा के विधायक भी शामिल हैं. उन्होंने इस बात को दोहराया कि कोई भी हिमाचल में आकर रोजगार प्राप्त कर सकता है, लेकिन प्रदेश के लोगों के हितों का ख्याल रखना, हमारी सरकार का दायित्व है.

उन्होंने आगे बताया कि हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने एक्ट के आधार पर समिति बनाने का निर्देश दिया है. इस पर कैसे आगे बढ़ना है, इसके लिए ऑल पार्टी बॉडी बनाई गई है, जिसमें कांग्रेस, भाजपा, भाकपा और माकपा समेत सभी दलों के लोग हैं.

इससे पहले विक्रमादित्य सिंह ने कहा था कि हिमाचल प्रदेश में शांति बनाना हमारी जिम्मेदारी है. यहां पर बाहरी लोगों का स्वागत है, लेकिन प्रदेश की आंतरिक सुरक्षा, कानून-व्यवस्था और स्वच्छता रखना हमारी जिम्मेदारी है. इसके लिए फूड वेंडर्स का आईडेंटिफिकेशन कराया जाएगा और उत्तर प्रदेश के योगी सरकार के फैसले से इसका कोई लेना-देना नहीं है. 

 

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